यह गेट बना विश्व विख्यात AMU की पहचान जानिए इतिहास और खासियत

विश्वविद्यालय के इस गेट को देखते ही समझ में आता है कि यह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय है. आखिर क्या है इस बाबे सैयद गेट की कहानी तो चलिए आज हम आपको बताते हैं.

यह गेट बना विश्व विख्यात AMU की पहचान जानिए इतिहास और खासियत
वसीम अहमद/अलीगढ़: विश्व विख्यात अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय दुनिया भर में अपनी तालीम के लिए जाना जाता है. 1 दिसंबर 1920 को इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई. जब कभी इस विश्वविद्यालय का नाम कहीं लिया जाता है तो सबसे पहले इसका बना बाबे सैयद गेट सामने आता है. जो विश्वविद्यालय की पहचान बना हुआ है. विश्वविद्यालय के इस गेट को देखते ही समझ में आता है कि यह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय है. आखिर क्या है इस बाबे सैयद गेट की कहानी तो चलिए आज हम आपको बताते हैं. दरअसल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बाबे सैयद गेट और सेनेटरी गेट प्रमुख प्रवेश द्वार है. इससे पहले कैनेडी हाल, विक्टोरिया गेट स्ट्रैची हाल, मौलाना आजाद लाइब्रेरी और अन्य इमारतें एएमयू की पहचान थी. लेकिन बाबे सैयद गेट बन जाने के बाद इसकी खूबसूरती और इसका आकर देख यह गेट विश्वविद्यालय की पहचान बन गया. जब कभी कोई बाहर से इस विश्वविद्यालय में आता है तो वह गेट के सामने फोटो खिंचवाना नहीं भूलता. विश्वविद्यालय के सिंबल की तरह दर्शाया जाता है गेट जानकारी देते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर एमके पुंडीर ने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का प्रवेश द्वार यानी कि बाबे सैयद गेट यह विश्वविद्यालय की पहचान है. इस गेट को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सिंबल की तरह भी दर्शाया जाता है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रहे महमूदुर रहमान साहब के आने तक इस गेट का कोई अस्तित्व नहीं था. इसके बाद मेहमूदउर रहमान साहब ने इस गेट का निर्माण कराया. इसके बाद यह गेट अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की पहचान बन गया जिसे लोग आज भी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय काप्रतीक मानते हैं. यह गेट आर्किटेक्चर का एक बेहतरीन नमूना है. इससे पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की पहचान विक्टोरिया गेट और स्टैचू हाल हुआ करता था. लेकिन इस बाबे सैयद गेट के बन जाने के बाद दुनिया भर में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की पहचान इस गेट के द्वारा ही की जाती है जब भी विश्वविद्यालय का जगराता है तो इस गेट को दर्शाया जाता है. विश्वविद्यालय की पहचान बन चुका है गेट एमके पुंडीर साहब ने आगे बताया कि इस गेट का निर्माण 1995 से लेकर वर्ष 2000 तक कराया गया जो 1999 तक लगभग कंप्लीट हो चुका था. इस गेट को बाबे सैयद नाम दिया गया. बाबे सैयद का मतलब है जो पर्शियन शब्द मे सैयद का दरवाजा कहा जाता है उसे बाबे सैयद कहते हैं. बहुत से लोगों को नहीं मालूम बाबे सैयद का क्या मतलब होता है और इस नाम को जानने के लिए लोगों में उत्सुकता भी रहती है. आज दुनिया भर में विश्वविद्यालय को इसी गेट से पहचाना जाता है जो विश्वविद्यालय की पहचान बन चुका है. Tags: Aligarh news, Local18FIRST PUBLISHED : May 7, 2024, 10:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed