अजीज बाशा केस का 57 साल पुराना फैसला CJI ने रिटायरमेंट से पहले पलटा

AMU News: साल 1967 अजीज बाशा मामले में फैसला दिया गया था कि कोई संस्थान अगर कानून के जरिए बनाया गया है तो उसे अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा हासिल नहीं हो सकता है. आज सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी सुनवाई मामले में इसी फैसले को पलटा.

अजीज बाशा केस का 57 साल पुराना फैसला CJI ने रिटायरमेंट से पहले पलटा
नई दिल्ली: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्‍पसंख्‍यक संस्‍थान है कि नहीं इस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने 4-3 से फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के जजों ने AMU के अल्‍पसंख्‍यक के दर्जे को बरकरार रखा है. मामले पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, CJI के लिए नामित चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के साथ जस्टिस मनोज मिश्रा, जेबी पारदीवाला, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने फैसला सुनाया. हालांकि जस्टिस सूर्यकांत. जस्टिसम दीपाकंर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने फैसले से असहमति जताई. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से साल 1967 का अजीज बाशा फैसला पलट दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि AMU अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं, 3 जजों की बेंच ये तय करेगी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि AMU को अल्पसंख्यकों ने स्थापित किया था, इस बात को साबित करना होगा. अज़ीज़ बाशा मामले में ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. पढ़ें- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को कितना पैसा देती है सरकार, क्या कम कर दी गई मदद क्या है 1967 का अजीज बाशा फैसला? अजीज बाशा मामले में फैसला दिया गया था कि कोई संस्थान अगर कानून के जरिए बनाया गया है तो उसे अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा हासिल नहीं हो सकता है. उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने यह माना था कि यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विधायिका द्वारा अस्तित्व में लाया गया था, न कि मुस्लिम अल्पसंख्यक द्वारा लाया गया था. लेकिन अब सात जजों के संविधान पीठ ने उस फैसले को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के बहुमत के फैसले ने कहा कोई संस्थान सिर्फ़ इसलिए अपना अल्पसंख्यक दर्जा नहीं खो देगा क्योंकि उसे क़ानून द्वारा बनाया गया था. बहुमत ने कहा कि न्यायालय को यह जांच करनी चाहिए कि विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की और इसके पीछे “दिमाग” किसका था. अगर वह जांच अल्पसंख्यक समुदाय की ओर इशारा करता है, तो संस्थान अनुच्छेद 30 के अनुसार अल्पसंख्यक दर्जे का दावा कर सकता है. इस निर्धारण के लिए संविधान पीठ ने मामले को एक नियमित पीठ को सौंप दिया. Tags: Aligarh Muslim University, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : November 8, 2024, 14:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed