कैदियों के लिए कमाई का जरिया बना ताला निर्माण इस स्कीम का मिल रहा है लाभ
कैदियों के लिए कमाई का जरिया बना ताला निर्माण इस स्कीम का मिल रहा है लाभ
जेल अधीक्षक ब्रजेंद्र यादव ने बताया कि वेस्पा एंटरप्राइजेज के माध्यम से कारागार विभाग के द्वारा एक एमओयू साइन किया गया है. जेल में वन जेल वन प्रोडक्ट के तहत ताले का निर्माण किया जा रहा है. तीन से चार दिन में दो से ढाई हजार ताले कैदी बना ले रहे हैं. कैदी को छोटे ताले के लिए 85 पैसे और बड़े ताले बनाने के लिए 1.90 रूपए दिया जा रहा है.
अलीगढ़. उत्तर प्रदेश के विभिन्न जेलों में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही है. जेल में बंद कैदियों को हुनरमंद बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ताकि जेल से बाहर आने के बाद जीविकोपार्जन का जरिया बन सके और मुख्यधारा में लौट सके. वैसे तो अलीगढ़ के हर गली में ताला बनाने का काम होता है, लेकिन सरकार की वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट स्कीम के तहत जेल में भी अब ताला बनाने का काम शुरू हो चुका है. अलीगढ़ स्थित जिला कारागार में बंद कैदी प्रशिक्षण लेने के बाद ताला बनाने का काम कर रहे हैं.
वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत कैदी बना रहे हैं ताले
अलीगढ़ स्थित जिला कारागार में बंद कैदी जेल प्रशासन की मदद से हुनरमंद बन रहे हैं. अलीगढ़ में जो ताले दक्ष कारीगर बनाते हैं, अब वही ताले जेल में बंद कैदी भी बनाने लगे हैं और इससे उनको आमदनी भी हो रही है. सरकार की महत्वाकांक्षी योजना वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत बंदियों को भी लाभ मिल रहा है. जेल में कुछ बंदी ऐसे हैं, जो पहले से ताला बनाना जानते हैं और कुछ यह काम सीख रहे हैं. इन कैदियों के लिए जेल में ही ताला बनाने के लिए छोटी फैक्ट्री बनाई गई है. जिसमें ताला बानने में उपयोग होने वाली तमाम मशीनरी की व्यवस्था की गई है. जेल में कैदियों के द्वारा बनाए गए ताले को बाहर की कंपनियों को सप्लाई किया जाता है.
तीन से चार दिन ढाई हजार ताले तैयार कर लेते हैं कैदी
जेल अधीक्षक ब्रजेंद्र यादव ने बताया कि वेस्पा एंटरप्राइजेज के माध्यम से कारागार विभाग के द्वारा एक एमओयू साइन किया गया है. जो सामान्य रूप से ओजीओपी ओडीओपी की तर्ज पर उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप जेलों में वन जेल वन प्रोडक्ट के तहत ताले का निर्माण किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि वेस्पा एंटरप्राइजेज के माध्यम से यह प्रारंभ कराई गई हैं. शुरूआत में लगभग 40 से 42 बंदी प्रशिक्षण लेने के साथ ताले बनाने का काम कर रहे हैं. जिसमें 15 ऐसे बंदी है जो प्रशिक्षण लेने के साथ कार्य भी बेहतर तरीके से कर रहे हैं. कई कैदी सहायक के तौर पर काम कर रहे हैं. तीन से चार दिन में दो से ढाई हजार ताले कैदी बना ले रहे हैं. कैदी को छोटे ताले के लिए 85 पैसे और बड़े ताले बनाने के लिए 1.90 रूपए देने का प्रावधान है. वहीं मार्केटिंग का काम संबंधित कंपनी ही करती है.
Tags: Aligarh news, Local18, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 22:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed