अलीगढ़ शहर में रखी है हजरत अली के हाथ से लिखी कुरान जानें इसका इतिहास

Hazrat Ali Quran In Aligarh: हजरत अली की यौम-ए-पैदाइश के अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में उनसे जुड़ी चीजों की प्रदर्शनी लगाई जाती है. मौलाना आजाद लाइब्रेरी के संग्रहालय में हजरत अली की जिंदगी पर आधारित 18 अंग्रेजी, 3 हिंदी, 37 उर्दू, 26 अरबी और 17 फारसी भाषा की किताबें मौजूद हैं.

अलीगढ़ शहर में रखी है हजरत अली के हाथ से लिखी कुरान जानें इसका इतिहास
वसीम अहमद,अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) तालीम के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इसके अलावा यहां कई ऐतिहासिक और नायाब धरोहरें भी मौजूद हैं. इन धरोहरों में सबसे खास है हजरत अली के हाथों से लिखी गई कुरान शरीफ. हजरत अली इस्लाम के चौथे खलीफा थे और पैगंबर मोहम्मद (स.अ.) के दामाद थे. उन्होंने यह कुरान 780 ईस्वी में हिरन की खाल पर खत्ते कूफी शैली में लिखी थी. हजरत अली की यौम-ए-पैदाइश 15 फरवरी को मनाई जाती है, जिसे दुनियाभर में 13 रजब को अली डे के रूप में मनाया जाता है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मौलाना आजाद लाइब्रेरी के संग्रहालय में हजरत अली द्वारा लिखी गई कुरान की कुछ आयतें सुरक्षित रखी गई हैं. इनमें सूरह फातिहा और सूरह बकरा की आयतें शामिल हैं, जिन्हें कूफी शैली में लिखा गया है. प्रदर्शनी और संग्रहालय की धरोहरें हजरत अली की यौम-ए-पैदाइश के अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में उनसे जुड़ी चीजों की प्रदर्शनी लगाई जाती है. मौलाना आजाद लाइब्रेरी के संग्रहालय में हजरत अली की जिंदगी पर आधारित 18 अंग्रेजी, 3 हिंदी, 37 उर्दू, 26 अरबी और 17 फारसी भाषा की किताबें मौजूद हैं. खत्ते कूफी और नायाब कुरान मौलाना आजाद लाइब्रेरी की लाइब्रेरियन, प्रोफेसर निशात फातिमा, ने बताया कि हजरत अली द्वारा लिखी गई यह कुरान खत्ते कूफी में है. उस समय कागज का आविष्कार नहीं हुआ था, इसलिए इसे हिरन की खाल पर लिखा गया था. यह नायाब कुरान 1938 में गोरखपुर के एक रहिस, सुबहान अल्लाह साहब, द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को भेंट की गई थी. 75 वर्षों से देखरेख AMU पिछले 75 वर्षों से इस ऐतिहासिक कुरान की देखभाल कर रहा है. इसे सुरक्षित रखने के लिए चारों ओर से कवर किया गया है, और आज भी यह उसी स्थिति में संरक्षित है. इराक के कूफा क्षेत्र में प्रचलित कूफी लिखावट के कारण इसे इसी शैली में लिखा गया है, जो इसे और भी विशिष्ट बनाता है. निष्कर्ष यह नायाब कुरान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक धरोहर के रूप में भी इसका विशेष स्थान है. AMU की यह धरोहर दुनियाभर से आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. Tags: Aligarh Muslim University, Aligarh news, Local18FIRST PUBLISHED : September 23, 2024, 15:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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