जब मृत घोषित शख्स को किया जिंदा हजारों मरीजों की जान बचा चुके हैं डॉ दीपक

डॉ दीपक ने अपनी एमबीबीएस और एमडी की डिग्री अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से हासिल की है. जिसके बाद वह मानव सेवा में लग गए. उन्होंने डायबिटीज और हार्ट ट्रीटमेंट के क्षेत्र में महारत हासिल की हुई है.

जब मृत घोषित शख्स को किया जिंदा हजारों मरीजों की जान बचा चुके हैं डॉ दीपक
अलीगढ़. दुनिया में डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है. इसका जीता जाता उदाहरण उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में देखने को मिलता है, जहां जीटी रोड मसूदाबाद चौराहे पर स्थित सुखदेवी डायबिटीज हार्टकेयर एवं डायग्नोसिस क्लीनिक चलाने वाले मेडिसिन के डॉक्टर दीपक वार्ष्णेय लोगों के लिए भगवान का दूसरा रूप हैं. दरअसल डॉक्टर दीपक एक बेहद साधारण परिवार से आते हैं, जो मानव कष्टों को अच्छी तरह समझते हैं. डॉ दीपक ने अपनी एमबीबीएस और एमडी की डिग्री अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से हासिल की है. जिसके बाद वह मानव सेवा में लग गए. उन्होंने डायबिटीज और हार्ट ट्रीटमेंट के क्षेत्र में महारत हासिल की हुई है. वह पिछले 30 वर्षों से लोगों की सेवा कर रहे हैं और अब तक हजारों लोगों की जान बचा चुके हैं. डॉ दीपक को डायबिटीज और दिल से संबंधित बीमारी की पहचान में महारत हासिल है. बीमारी का पता लगाते ही वह उसका ट्रीटमेंट शुरू कर देते हैं, जिससे लोगों को काफी फायदा पहुंचता है. उन्होंने अपने जीवन का एक यादगार किस्सा भी बताया, जिसमें मृत घोषित शख्स की फिर से सांस चलने लगी. डॉक्टर दीपक वार्ष्णेय ने लोकल 18 से कहा, ‘मैंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अलीगढ़ के ही सरकारी स्कूल सरस्वती शिशु मंदिर से की है. जिसके बाद हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई सरकारी स्कूल हीरालाल बारह सैनी इंटर कॉलेज से की. हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने के बाद साल 1988 में एमबीबीएस के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया था. इसके बाद मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई कंप्लीट की और 1998 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से ही मैंने एमडी की डिग्री हासिल की. जिसके बाद मैं मेडिकल कॉलेज में तीन साल तक सीनियर रेजिडेंट के तौर पर मेडिसिन डिपार्टमेंट में रहा हूं. इसके बाद 2001 से अब तक मैं अलीगढ़ वासियों की सेवा कर रहा हूं. मैंने अपना एमबीबीएस कंप्लीट करने के बाद से ही जनता की सेवा करना शुरू कर दिया था. मुझे करीब 30 साल अलीगढ़ की जनता की सेवा करते हुए हो चुके हैं. लोगों की बहुत सी तकलीफ होती है, जो मेडिसिन से संबंधित है, जैसे- डायबिटीज, हार्ट, किडनी से रिलेटेड समस्या, ब्लड प्रेशर, थायराइड और सांस की बीमारी जैसी इन सारी समस्याओं का इलाज करता हूं. मुख्य रूप से डायबिटीज का इलाज करता हूं.’ ‘दादी का सपना था कि मैं डॉक्टर बनूं’ उन्होंने आगे कहा, ‘जब मैं छोटा था, तो उस समय मेरी दादी और मैं काफी अटैच थे. दादी को डायबिटीज थी, जिसकी वजह से उनके गुर्दों पर काफी असर होने लगा था और आंखों पर भी काफी डायबिटीज का प्रभाव पड़ा. यह मुझसे देखा नहीं जाता था. मैंने तभी डिसाइड किया कि मुझे बड़े होकर डॉक्टर बनना है ताकि ऐसी बीमारियों से ग्रस्त लोगों की जान मैं बचा सकूं. यह मेरी दादी का सपना था. वह भी चाहती थीं कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूं. मुझे डॉक्टर बनने की प्रेरणा उनसे ही मिली. आज मेरा जो क्लीनिक है, वह भी मेरी दादी सुखदेवी के नाम से है. क्लीनिक का नाम सुखदेवी डायबिटीज हार्ट केयर डायग्नोसिस है.’ मेहनत के बल पर हासिल कर सकते हैं लक्ष्य डॉक्टर वार्ष्णेय ने कहा, ‘जब मैंने पढ़ाई शुरू की थी, तो उस समय ज्यादा संसाधन नहीं थे लेकिन अपनी मेहनत और परिश्रम के बल पर जो सपना था, उसको पूरा किया. कोई भी व्यक्ति अगर परिश्रम करे, तो वह अपना सपना जरूर पूरा कर सकता है. अपने लक्ष्य को मेहनत के बल पर हासिल कर सकता है. मेरे पिता एक बिजनेसमैन थे लेकिन वह चाहते थे कि उनके बच्चे समाज सेवा करें, इसीलिए उन्होंने हमें कभी बिजनेस की ओर आने को नहीं कहा. मेरे जीवन में एक बहुत ही यादगार किस्सा है, जिसे मैं कभी भूल नहीं सकता. दरअसल हमारे पड़ोस में ही एक पेशेंट थे, जिनकी उम्र करीब 50 साल थी. उनको हार्ट अटैक पड़ा और उनको दूसरे डॉक्टर द्वारा डेड डिक्लेयर कर दिया गया था. जिसके बाद मुझे सरसरी तौर पर उस मरीज को देखने के लिए बुलाया गया कि शायद कुछ हो सके. जब मैं वहां पहुंचा, तो सभी लोग रो रहे थे. मैंने पहुंचते ही उनको तुरंत सीपीआर दिया. आप यकीन नहीं करेंगे कि अगले 5 मिनट बाद ही उस पेशेंट की पल्स वापस आने लगी. उसके बाद तुरंत हमने उनको अस्पताल शिफ्ट किया. इसके बाद उनका जीवन बच गया और अगले 10 से 15 साल तक वह जीवित रहे. यह मेरी जिंदगी का एक यादगार केस था, जो किसी चमत्कार से कम नहीं था.’ Tags: Aligarh news, Aligarh News Today, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 14:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed