4 जून, 2024 को भारत में चुनाव परिणाम आए और 9 जून को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने शपथ ले ली. मुझे भी इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी होने का अवसर प्रपात हुआ. मेरे लिए यह बहुत ही गौरव का क्षण था क्योंकि मैंने उस सपने को साकार होते देखा, जो हम जैसे अनेक लोगों का सपना था. इसी के साथ मोदी 3.0 का आरंभ हुआ. यह बहुत ही रोचक चुनाव रहे, जिनमें जनता ने खुद ही चुनाव लड़ा.
अब जब चुनाव हो चुके हैं, सरकार बन चुकी है, समय है कि मुद्दों पर बात की जाए. कई ऐसी बातें हैं, जिनपर सरकार को ध्यान देना है. सरकार को कई ऐसे मुद्दों पर तत्काल कदम उठाने हैं, तो कई ऐसे भी विषय हैं, जिन पर रणनीति बनाने की आवश्यकता है. जैसे कि आतंकवाद के प्रति निर्ममता की नीति जारी रखनी होगी. जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी शपथ ले रहे थी, उसी दिन आतंकियों ने निर्दोष नागरिकों से भरी बस पर हमला करके अपने इरादे स्पष्ट कर दिए.
वे नहीं डर रहे हैं बल्कि चुनौती दे रहे हैं, लगातार दे रहे हैं. कश्मीर में निर्दोष तीर्थयात्रियों पर हमला करने के बाद मणिपुर में मुख्यमंत्री के काफिले पर आतंकियों ने हमला किया तो वहीं छतीसगढ़ में शांतिपूर्ण आंदोलन में हिंसा भड़क गई और वहां पर भी आगजनी हुई.
कहने का तात्पर्य यह कि भारत में आंतरिक शत्रुओं का खात्मा होना सबसे अधिक आवश्यक है. जिन दलों को अभी सत्ता से दूर जनता ने कर दिया है, उन्होंने चुनावों के दौरान भी बार-बार यह कहा था कि यदि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो देश में आग लग जाएगी. देश में आग लगाने वालों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें उचित दंड दिया जाना चाहिए.
देश के प्रधानमंत्री से यह अपेक्षा रहेगी कि वे देशविरोधी विमर्श को भी नष्ट करेंगे और देश तोड़ने वाली शक्तियों को उचित दंड देंगे. दंड विधान न होने से अराजकता का विस्तार होता है, जैसा हमने शाहीन बाग और किसान आंदोलन के दौरान देखा था. देश अब उन घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं चाहेगा. देशवासी यह चाहते हैं कि सरकार हर उस विमर्श का समूल नाश करे, जो लगातार देश को कमजोर कर रहा है. क्योंकि अराजकता से देश के आर्थिक विकास पर प्रभाव पड़ता है और इसके कारण करोड़ों लोग प्रभावित होते हैं.
कृषि में भी तमाम सुधार किए जाने चाहिए, जिससे भारत इस क्षेत्र में लगातार आत्मनिर्भर बना रहे. जिस राह में भारत के स्पेस कार्यक्रम, सैन्य कार्यक्रम जा रहे हैं, वे उसी दिशा में सकारात्मक रूप से चलते रहे, ऐसी हर किसी की प्रार्थना है. और साथ ही यह भी तय हो जाएगा कि संविधान को कोई भी बदलने नहीं जा रहा है और न ही संविधान को कोई नकार सकता है. यह दुष्प्रचार भी अपनी मृत्यु को धीरे-धीरे प्राप्त हो जाएगा. परंतु सरकार को अब ऐसा एक तंत्र बनाना होगा, जो इस दुष्प्रचार को दंडित कर सके.
इसी के साथ पुरुष आयोग की अध्यक्ष होने के नाते मैं यह भी चाहूंगी कि अब समय है कि सरकार एकतरफा स्त्री विमर्श से हटकर परिवार के विमर्श की ओर ध्यान दे. सरकार यह भी देखे कि क्या महिलाओं के हितों के लिए बनाए गए कानून अब भी उतने प्रासंगिक हैं? क्या उनका सही लोग प्रयोग कर रहे हैं या उनका दुरुपयोग किया जा रहा है? क्योंकि एक गलत व्यक्ति द्वारा अच्छे कानूनों का दुरुपयोग किए जाने पर कानूनों की प्रासंगिकता पर प्रश्न उठने लगते हैं. पिछले दिनों असंख्य ऐसे मामले आए, जिनमें यह देखा गया कि पुरुषों को गलत कानूनों मे फँसाया गया और कई वर्षों के बाद यह पता चला कि वे निर्दोष हैं.
और ऐसा भी नहीं कि महिलाओं के लिए बनाए गए कानून केवल पुरुषों के विरुद्ध प्रयोग किए जा रहे हैं, इन कानूनों का दुरुपयोग होने से परिवार की अन्य महिलाएं भी प्रभावित होती हैं. क्यों एक कानून महिलाओं के परस्पर विरोधी हो जाता है?
जिस प्रकार पुराने कानूनों को हटाया गया वैसे ही पुरुषों के लिए या कहें परिवार के लिए भी ऐसे कानून बनें, जो परिवार संस्था के लिए लाभदायक हों.
आशा है कि जन नायक नरेंद्र मोदी इन तमाम अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे.
Tags: Narendra modi, PM ModiFIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 14:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed