दो शेर करते हैं इस मजार की सफाई बाबा के दर पर लगती है भयंकर भीड़
दो शेर करते हैं इस मजार की सफाई बाबा के दर पर लगती है भयंकर भीड़
Viral News: गुरुवार के दिन तो ऐसा लगता है कि मानो जंगल नहीं कोई भरी आबादी वाले शहर का बाजार हो. उस दिन सुबह से ही अकीदतमंदों का सिलसिला शुरू होता है जो देर शाम तक चलता रहता है..........
रिपोर्ट- रजत कुमार
इटावा: करीब 850 सालों से बीहड़ वाले बाबा की मजार पर हर धर्म के लोग अकीदत करने पहुंच रहे हैं. चमत्कारिक मानी जा रही इस मजार के बारे में ऐसा कहा जाता है कि दो शेर अपनी पूछ से सालों से मजार की सफाई करते हैं और बीहड़ में गुम हो जाते हैं. यह चमत्कारिक मजार उत्तर प्रदेश के इटावा जिला मुख्यालय के घनघोर बीहड़ों में स्थित है. इस मजार पर सलाना उर्स का आयोजन भी किया जाता है जिसमें हर धर्म के लोग भाग लेते है.
इस चमत्कार के विश्वास में खासी मुसीबत उठा कर जंगल में बच्चे, महिलाएं, बूढ़े और जवान बिना खौफ के मजार पर अकीदत करने पहुंचते हैं. बीहड़ वाले बाबा की मजार पर अकीदतमंदो के आने का सिलसिला कोई आज से नहीं करीब साढ़े 800 सालों से लगातार चला आ रहा है. गुरुवार के दिन तो ऐसा लगता है कि मानो जंगल नहीं कोई भरी आबादी वाले शहर का बाजार हो. उस दिन सुबह से ही अकीदतमंदों का सिलसिला शुरू होता है जो देर शाम तक चलता रहता है.
इस मजार तक पहुंचने के लिए भले ही कोई साफ सुथरा रास्ता नहीं है लेकिन इसके बावजूद जिस अंदाज में लोग इस चमत्कारिक मजार तक अकीदत करने के लिए पहुंच रहे हैं वह वाकई में काबिले तारीफ है. लोग अपने परिवार के साथ पैदल इस बाजार तक पहुंच रहे हैं. कुछ ऐसे भी लोग देखे जा रहे हैं जो स्कूटर मोटरसाइकिल या फिर अन्य साधनों से पहुंच रहे हैं.
बीहड़ वाले बाबा की मजार के खादिम मोहम्मद असलम बताते हैं कि इस मजार की सफाई करने के लिए जंगल से दो शेर आते हैं और पूछ से मजार की सफाई करके बीहड़ में वापस चले जाते हैं. असलम का मानना है कि अगर कोई अकीदतमंद मजार से वापस जा रहा है तो उसे किसी भी तरीके का कोई खतरे का एहसास भी नहीं होता है. ऐसा माना जाता है कि बीहड़ वाले बाबा के ही चमत्कार का यह असर है और इसीलिए किसी भी अकीदतमंद को किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं होता. यहां किसी भी धर्म का कोई व्यक्ति जो कुछ भी मांगने आता है वह हर हाल में पूरा होता है उसके बाद वह एक बार नहीं कइयों बार यहां मजार पर अकीदत करने के लिए आता है.
बताया जाता है कि मोहम्मद गोरी और राजा सुमेर शाह के बीच हुए युद्ध के समय मोहम्मद गौरी के सेनापति शमसुद्दीन यहां के बीहड़ से निगरानी किया करते थे जिसके बाद उन पर पर्दा पड़ जाने के बाद उनकी मजार बीहड़ में स्थापित कर दी गई. ऐसा भी कहा जाता है कि जब वह सेनापति की भूमिका में थे तभी उनके पास शेर आया करते थे लेकिन जब वो पर्दे में चले गए तीन शेर उनकी मजार के आसपास घूमते हुए देखे गए. बीहड़ में अकीदत करने आने वालों की निगाह में जब यह मंजर आया तो वे पहले डर गए लेकिन शेरो ने उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया.
शेरों के मजार तक आने की जानकारी जैसे-जैसे लोगों को होना शुरू हुई उसके बाद लोग मजार पर अकीदत करने के लिए पहुंचना शुरू हो गए तब से यह सिलसिला लगातार चलता हुआ दिख रहा है. इटावा शहर के वासी मोहम्मद सुल्तान ऐसा बताते हैं कि जब बाबा की तरफ से संदेश आ जाता है तो वह मजार पर अकीदत करने के लिए पहुंच जाते हैं. जरूरी नहीं है कि वह हमेशा आएं.
इटावा शहर के ही मोहम्मद फारूक का ऐसा कहना है कि बीहड़ वाले बाबा की यह चमत्कारिक मजार है. इसके बारे में आम तौर पर यह बात प्रचलित है कि यहां पर बीहड़ से दो शेर रात के अंधेरे में आते हैं और मजार को अपनी पूछ से साफ करके वापस लौट जाते हैं. यह बाजार वाकई में चमत्कारिक है. उनके यहां पर एक लंबे समय से आने का सिलसिला चल रहा है और वह सब बाबा के चमत्कार के चलते ही संभव हो पा रहा है.
स्थानीय लोगों की मांग
स्थानीय लोगों की मांग है कि बीहड़ वाले बाबा की मजार तक आने के लिए प्रशासन को साफ सुथरे रास्ते का निर्माण कराना चाहिए. अगर वास्तव में मजार तक सड़क मार्ग का निर्माण हो जायेगा तो अकीदत करने आने वालों को निश्चित तौर पर सुविधा मिल जायेगी.
Tags: Local18FIRST PUBLISHED : August 18, 2024, 19:58 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed