इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सिनेमा की भारतीयता पर कर रहे शोध

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जर्नलिज्म एवं मास कम्युनिकेशन विभाग के प्रोफेसर अमित शर्मा इंडियन काउंसिल फॉर सोशल साइंस रिसर्च की ओर से भारतीय फिल्मों से गायब हो रही भारतीयता पर शोध की जिम्मेदारी मिली है. बताते हैं कि लोगों को लगता है कि भारतीय सिनेमा में केवल बॉलीवुड शामिल है लेकिन ऐसा नहीं है इसमें कुल 6 मुख्य सिनेमा आते हैं.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सिनेमा की भारतीयता पर कर रहे शोध
रजनीश यादव/प्रयागराज: अक्सर कहा जाता है कि फिल्में समाज का आईना होती हैं. जो समाज को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं. फिल्म देखने वाले लोग अक्सर अपनों को फिल्मों में दिए कैरेक्टर की जगह पर रखकर देखते हैं. ऐसे नहीं फिल्मों के माध्यम से हम समाज को एक बड़े स्तर पर बदलाव के साथ एक अच्छा संदेश भी भेजते हैं, लेकिन लगातार फिल्मों में कहीं ना कहीं भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का मजाक बनता दिख जाता है. वर्तमान में भारतीय फिल्मों से भारतीयता गायब होती जा रही है. जो की शोध का विषय बन चुका है. इसे लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन विभाग के प्रोफेसर को यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है. फिल्मों में शोध का यह है शीर्षक इंडियन काउंसिल फॉर सोशल साइंस रिसर्च की ओर से इलाहाबाद विश्वविद्यालय की जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन के प्रोफेसर अमित शर्मा को भारतीय सिनेमा में भारतीयता के विषय पर शोध करने की जिम्मेदारी दी गई है. प्रोफेसर अमित शर्मा ने बताया कि दर्शकों को लगता है कि भारतीय सिनेमा में बॉलीवुड का ही स्थान प्रमुख है, लेकिन ऐसा नहीं है. भारतीय सिनेमा में 6 भारतीय संस्कृति की फिल्में बनाई जाती हैं, जिनमें साउथ इंडियन सिनेमा, भोजपुरी सिनेमा, बंगाली सिनेमा, पंजाबी एवं मराठी सिनेमा शामिल है, लेकिन बदलते दौर में इन फिल्मों के निर्माण में भारतीय संस्कृति गायब होती दिख रही है जो की शोध का विषय बना हुआ है. इन फिल्मों में भारतीयता का अंश कम दिखाया जाता है. 1990 के दशक के बाद से दिखे व्यापक बदलाव प्रोफेसर अमित शर्मा ने बताया कि 1990 के बाद जब उदारीकरण का दौर आया, उसके बाद से भारतीय फिल्मों पर पश्चिमी सभ्यता की पकड़ मजबूत होने लगी. जिसको भारतीय दर्शक खूब पसंद भी करने लगे. जिसके चलते फिल्मों में जोर-जोर से पश्चिमी संस्कृति को परोसा जाने लगा. उन्होंने कहा कि पीसी जोशी कमेटी 1982 के संस्तुति के बाद से ही फिल्मों में भारतीय परंपराओं को दिखाया जाता था. जिसमें भारतीय पुराने एवं जुड़ी कहानी जिम और रामायण महाभारत आदि जैसे धारावाहिक को बनाया गया, लेकिन उदारीकरण के बाद अभी तक का जो दूर है। इसमें भारतीयता का अभाव दिख रहा है. ऐसे किया जा रहा है शोध प्रोफेसर अमित शर्मा ने बताया कि शोध के लिए डायरेक्टर का इंटरव्यू करेंगे.ं, वही अधिक से अधिक फिल्मों को देखते हुए मुख्य सिनेमा जगत में जाकर वहां के कंटेंट का अध्ययन करेंगे. अभी तक राम तेरी गंगा मैली हो गई है, ओएमजी और पीके जैसी मूवी को देखने के बाद लगा कि कैसे फिल्मों के माध्यम से किसी एक धर्म को कैसे शिकार बनाया जाता है. वहीं, भारतीय संस्कृति के साथ किस प्रकार खिलवाड़ किया जाता है. इतने का मिला है अनुदान इंडियन काउंसिल फॉर सोशल साइंस रिसर्च की ओर से अमित शर्मा को भारतीय सिनेमा में भारतीयता के विषय पर शोध के लिए चार लाख 80 हजार रुपए का अनुदान दिया गया है अमित शर्मा बताते हैं कि निष्कर्ष है भारतीय फिल्मों पर पश्चिमी संस्कृति लगातार हावी होती जा रही है जो की भारतीय फिल्मों पर आने वाले समय में गहरा संकट बन सकता है. Tags: Local18, Prayagraj Latest News, Prayagraj News, Prayagraj News TodayFIRST PUBLISHED : May 16, 2024, 14:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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