क्या है ताजमहल की खूबसूरती का राज RTI में हुआ खुलासा इतने करोड़ होता है खर्च

पूरी दुनिया में अपनी खूबसूरती की वजह से पहचान रखने वाले ताजमहल को लेकर एक आरटीआई में खुलासा हुआ है. ताजमहल के संगमरमर पर जमीन धूल, मिट्टी और पॉल्यूशन को साफ करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इस थेरेपी का इस्तेमाल करता था.

क्या है ताजमहल की खूबसूरती का राज RTI में हुआ खुलासा इतने करोड़ होता है खर्च
हरिकांत शर्मा/ आगरा:- पूरी दुनिया में अपनी खूबसूरती की वजह से पहचान रखने वाले ताजमहल को लेकर एक आरटीआई में खुलासा हुआ है. ताजमहल के संगमरमर पर जमीन, धूल, मिट्टी और पॉल्यूशन को साफ करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मड थेरेपी का इस्तेमाल करता था. अभी तक 10 बार मड पैक थेरेपी करके इसे चमकाया जा चुका है. मड पैक पर 17410242 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. यह ताजमहल की सेहत के लिए कितना कारगर है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता KC जैन ने एक आरटीआई दाखिल की थी, जिसके जवाब में यह जानकारी मिली है. ताजमहल की पॉल्यूशन को ठीक करने के लिए इस्तेमाल होती है मड थेरेपी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता KC जैन ने लोकल 18 को बताया कि उन्होंने पुरातत्व विभाग से RTI मांगी थी. आरटीआई से यह जानकारी मिली है कि मड पैक का काम एएसआई की विज्ञान शाखा करती है. वर्ष 2007-08 से 2022-23 तक पैक करवाया गया है. टीटीजे में ताजमहल को पॉल्यूशन से बचने के उपाय काफी नहीं है. यही कारण है कि इसकी दीवारों पर जमे कार्बन और अन्य प्रकार के तत्वों की सफाई के लिए थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है. क्या होती है मड थेरेपी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुताबिक क्ले को डिस्टिल्ड वॉटर में घोलकर गड़ा लेप यानी कि पेस्ट तैयार किया जाता है. इस पेस्ट को कुछ समय के लिए रखा जाता है, ताकि अच्छी तरह से तैयार हो जाए. इसके बाद माइल्ड साल्ट व पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इस घोल उपयुक्त कार्बनिक रासायनिक मिलकर इस पेस्ट को मार्बल की सतह पर ब्रश की सहायता से लगाया जाता है. इसके बाद पॉलिथीन सीट से उस हिस्से को कवर कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान मार्बल सतह पर हानिकारक एसिटिक जमा पदार्थों को अवशोषित कर लेती है. पूरी तरह से सूख जाने पर क्ले अपने आप निकल जाता है. बचे हुए क्ले को ब्रश की सहायता से साफ कर दिया जाता है और अंत में डिस्टिल्ड वॉटर से संगमरमर को धोकर साफ कर दिया जाता है. गोल्डी काइरोनोमस कीड़े को हटाने में भी होता है इस्तेमाल मड थेरेपी का इस्तेमाल उस वक्त भी किया जाता है, जब यमुना की गंदगी और गाद से निकलने वाला गोल्डी काइरोनोमस कीड़ा ताजमहल की पिछली दीवाल को खराब कर देता है .ये कीड़ा अपने पीछे हरे कलर का एक तरल पदार्थ छोड़ती है, जिससे ताजमहल का संगमरमर पत्थर खराब होने लगता है. इसको ठीक करने में भी इस थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है. ये भी पढ़ें:- 16 साल के भक्त को आया राधा रानी का सपना, पेड़ के नीचे प्रकट हुईं बरसाना की राजकुमारी, रहस्यमयी है कहानी बार-बार मड थेरेपी करना ताजमहल के लिए नहीं है फायदेमंद? वरिष्ठ अधिवक्ता KC जैन की मानें, तो यह मिट्टी का पैक बार-बार ताजमहल की दीवारों पर उपयोग करना ठीक नहीं है. अधिवक्ता kC जैन की मांग है कि ताजमहल की दीवारों पर बार-बार इस तरह की थेरेपी को नहीं किया जाना चाहिए. इसके लिए वायु गुणवत्ता का सुधार होना आवश्यक है .साथ ही यमुना की भी सफाई होनी चाहिए. आईआईटी कानपुर ने ताजमहल के प्रदूषण कार्य तत्वों के अध्ययन में यह भी सिफारिश की है कि यमुना नदी में पानी रहना चाहिए, ताकि 10-50 पीएम कण ताजमहल की दीवारों को खराब ना कर दे. इसके लिए यमुना की भी सफाई जरूरी है . . Tags: Agra news, Local18, Taj mahal, UP newsFIRST PUBLISHED : April 30, 2024, 18:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed