दुधारू पशुओं के लिए वरदान है यह हरा चारा दूध से भर देगी बाल्टी

कृषि वैज्ञानिक डॉ. नंदन सिंह ने बताया कि पशुपालकों को गर्मियों में हरे चारे को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी होती है. ऐसे में पशुपालकों को एक बार नेपियर बाजरा हाइब्रिड घास जरूर ट्राई करनी चाहिए. महज दो महीने में विकसित होकर अगले चार से पांच साल तक लगातार पौष्टिक आहार की जरूरत को पूरा कर सकता है. इसकी बुवाई अगस्त महीने में भी कर सकते हैं.

दुधारू पशुओं के लिए वरदान है यह हरा चारा दूध से भर देगी बाल्टी
बहराइच. नैपियर घास जिसे बारहमासी हरा चारा कहा जाता है. यह एक बहुवर्षीय चारे की फसल है. इसके पौधे गन्ने की तरह लम्बाई में बढ़ते हैं. लेकिन, इसकी मोटाई गन्ने से कम ही होती है. एक पौधे से 30 से 40 तक कल्ले निकलते हैं. इसे हाथी घास के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खेती सर्दी, गर्मी और वर्षा ऋतु में कभी भी की जा सकती है. इसलिए जब अन्य हरे चारे उपलब्ध नहीं होते हैं तो उस समय नेपियर का महत्व अधिक बढ़ जाता है. महज दो महीने में ही तैयार हो जाता है यह घास कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक  डॉ. नंदन सिंह ने नेपियर घास की कई खासियत के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि पशुपालकों को गर्मियों में हरे चारे को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी होती है. बरसीम, मक्का, ज्वार, बाजरा जैसी फसलों से तीन-चार महीनों तक ही हरा चारा मिलता है. ऐसे में पशुपालकों को एक बार नेपियर बाजरा हाइब्रिड घास जरूर ट्राई करनी चाहिए. महज दो महीने में विकसित होकर अगले चार से पांच साल तक लगातार दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत को पूरा कर सकता है. उन्होंने बताया कि जो भी किसान नेपियर घास की खेती करने के इच्छुक हैं, वह बहराइच कृषि विज्ञान केंद्र या फिर नानपारा कृषि विज्ञान केंद्र से नेपियर के पौधे लेकर बुवाई कर सकते हैं. नेपियर घास की उपयोगिता  नैपियर घास (पैनीसिटम परप्यूरीरियम) एक बहुवर्षीय पैनीसेटम कुल का पौधा है, जिसको जड़ों और क्लम्पों के द्वारा समुद्र तल से 1550 मीटर की ऊंचाई पर रोपित करके अच्छी गुणवत्तायुक्त चारा उत्पादन किया जाता है. एक क्लम्प से 3-4 माह की उम्र पर 30-35 पौधे तैयार हो जाते हैं. इसकी पत्तियां गहरे हरे रंग की और 50-70 से.मी. लम्बी एवं 2-3 से.मी. चौड़ी होती है. नेपियर घास अपनी वृद्धि की सभी अवस्थाओं पर हरा पौष्टिक तथा स्वादिष्ट चारा होता है. इसमें कच्चे प्रोटीन की मात्रा 8-11 प्रतिशत तथा रेशे की मात्रा 30.5 प्रतिशत होती है. सामान्यत 70-75 दिन की उम्र पर काटे गये चारे की पचनीयता 65 प्रतिशत तक पायी जाती है. नैपियर बाजरा में कैल्शियम 10.88 प्रतिशत तथा फॉस्फोरस 0.24 प्रतिशत तक पाया जाता है. नैपियर घास को अन्य चारे के साथ मिलाकर खिलाना लाभदायक होता है. इस चारे को पशुओं के लिए अधिक उपयोगी बनाने के लिए साइलेज बनाकर खिलाना भी लाभदायक होता है. कब होती है नेपियर की खेती नेपियर को लगाने का सबसे अच्छा समय मार्च का महीना माना जाता है. इसके साथ ही इसकी बुवाई जुलाई-अगस्त में भी कर सकते हैं. हालांकि, अधिक गर्मी और अधिक सर्दी में पौधे ठीक तरह से स्थापित नहीं हो पाते हैं. यदि टुकड़े बड़े हो तो उसकी पत्तियां काट देनी चाहिए और बुवाई हमेशा लाइनों और मेड़ों पर करनी चाहिए. इसके साथ ही इस टुकड़ों का झुकाव उत्तर दिशा की ओर रखनी चाहिए ताकि फसल पर वर्षा का हानिकारक प्रभाव नहीं पड़े. नेपियर की बूवाई ठीक उसी प्रकार की जाती है जेसे गन्ने की की जाती है. Tags: Animal husbandry, Bahraich news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 25, 2024, 13:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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