1 अगस्त से लागू हो रहा है भारतीय मानक ब्यूरो महंगे हो जाएंगे जूते
1 अगस्त से लागू हो रहा है भारतीय मानक ब्यूरो महंगे हो जाएंगे जूते
BIS: इस नियम के बाद फुटवियर यानी जूते-चप्पल पहले की तुलना में अधिक टिकाऊ होंगे. उनमें फिसलन नहीं होगी और क्रैक भी नहीं आएगा. फुटवियर के ऊपर का सोल भी अधिक लचीला होगा....
हरिकांत शर्मा/आगरा: 1 अगस्त से देश में कई नियम बदलने जा रहे हैं. एक नियम जूता इंडस्ट्रीज को भी प्रभावित करेगा. 1 अगस्त से देश में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) लागू हो रहा है. इस नियम के लागू होने से रोजमर्रा के पहनने वाले जूते महंगे हो जाएंगे लेकिन उनकी क्वालिटी बढ़ जाएगी. इस नियम के लागू होने से आम से लेकर खास और जूता मैन्युफैक्चर पर क्या असर पड़ने वाला है. यही जानने के लिए न्यूज़ 18 लोकल की टीम जूता कारोबारीयों से मिली और इस पर उनके विचार जाने.
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) लागू होने से जूते होंगे टिकाऊ और मजबूत
इस नियम के बाद फुटवियर यानी जूते-चप्पल पहले की तुलना में अधिक टिकाऊ होंगे. उनमें फिसलन नहीं होगी और क्रैक भी नहीं आएगा. फुटवियर के ऊपर का सोल भी अधिक लचीला होगा. 2-3 माह चलने वाला फुटवियर 7-8 माह चलेगा. खराब फुटवियर की वजह से होने वाले घुटने दर्द की शिकायत भी कम हो जाएगी. यह सुविधा इसलिए मिलने जा रही है क्योंकि 1 अगस्त से भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) से सर्टिफाइड फुटवियर की ही बिक्री बाजार में हो पाएगी.
बढ़ सकती है कीमत
इन सुविधाओं के बदले ग्राहक को पहले की तुलना में 5% तक अधिक कीमत भी चुकानी पड़ सकती है, क्योंकि बीआइएस सर्टिफिकेट लेने के लिए निर्माताओं को कई गुणवत्ता मानकों का पालन करना होगा और इससे उनकी लागत बढ़ेगी. आगरा में भी 100 से अधिक जूता कारोबारी ने BIS सर्टिफिकेट के लिए आवेदन कर दिया है.
छोटे मैन्युफैक्चर BIS के समर्थन में नही
नवनिर्वाचित आगरा शू फेक्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष विजय सामा ने न्यूज़ 18 लोकल से बात करते हुए बताया कि वर्तमान में जो हमारे जूते के नीचे सोल लगता है वह सस्ते पीवीसी और एयरमिक्स का लगता है. जो भारतीय मानक ब्यूरो से बाहर है. BIS के मानक कहते हैं कि जूता का सोल 4 mm मोटा होना चाहिए. हमारे पास जो सोल है वह वर्जिन कंपाउंड का होना चाहिए. वर्जिन कंपाउंड मतलब प्योर पीवीसी. भारत में पीवीसी बनाने वाली कंपनी केवल रिलायंस इंडस्ट्रीज है. छोटे कारोबारी के पास अभी इस तरह की सुविधा नहीं है जो की BIS मांगों को पूरा कर सकें. इसी तरह जूते पर जो अपर लगाया जा रहा है वह भी BIS मानकों का होना चाहिए. जूते पर जो सिंथेटिक लगती है वह लगभग ₹300 की आती है. BIS मानकों के लागू होने से वही अपर 350 का हो जाएगा और मेकिंग कॉस्ट बढ़ जाएगी.
विजय सामा ने बताया कि जिस व्यक्ति की जेब में ₹200 हैं वह उपभोक्ता कहां से जूते खरीदेगा? क्योंकि BIS लागू होने से जूते महंगे हो जाएंगे. आगरा का व्यापारी ₹200 में पूरे हिंदुस्तान को जूता पहनाकर चप्पल से जूता वाला बनाता है. आप आम आदमी से जूता पहनने का हक छीन रहे हैं. आप ट्रेंड और मैन्युफैक्चरर को कारोबार बंद करने को मजबूर कर रहे हैं. BIS लागू होने से दिल्ली लॉबी के बड़े व्यापारियों को फायदा होगा जिनके टर्नओवर 50 करोड़ से ऊपर हैं क्योंकि उनके पास एडवांस मशीन है. छोटे मैन्युफैक्चरर पर उस तरह के मशीन और व्यवस्था नहीं है. अंतिम समय तक हम इस कानून को लागू नहीं होने देंगे और इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे. यह ना ही व्यवहारिक है और ना व्यवसायिक.
Tags: Local18FIRST PUBLISHED : July 31, 2024, 12:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed