PM मोदी के संदेश के बाद क्या कम होंगे डिजिटल अरेस्ट के मामले

जनवरी, 2024 से अप्रैल, 2024 के बीच भारत में डिजिटल अरेस्ट के जरिये ठगों ने 120.30 करोड़ रुपये लोगों के खातों से ट्रांसफर करा लिए. इस संगीन जुर्म को अंजाम देने वाले ज्यादातर अपराधियों के तार म्यांमार, लाओस और कंबोडिया जैसे देशों से जुड़े हैं.

PM मोदी के संदेश के बाद क्या कम होंगे डिजिटल अरेस्ट के मामले
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 अक्टूबर, 2024 को आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती वारदात पर चिंता जताई है. तो क्या यह समझा जाए कि बैंकिंग सिस्टम, जांच एजेंसियां और साइबर विशेषज्ञ ऐसे मामले घटाने के लिए जल्द ही कोई तंत्र विकसित करेंगे? आए दिन हम अखबारों में डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की खबरें पढ़ते हैं. करीब-करीब रोज ही अखबारों और तमाम तरह के मीडिया पर ऐसी ठगी से बचने के उपायों की जानकारी दी जाती है, लेकिन फिर कहीं न कहीं से ठगी की बड़ी वारदात की खबर आ ही जाती है. चिंता की बात तो यह है कि साइबर अपराधी हर बार एक जैसे ही तरीके का इस्तेमाल करते हैं और लोग उनके जाल में आसानी से फंस जाते हैं. करीब तीन महीने पहले मेरी एक बैचमेट ने व्हाट्सएप ग्रुप पर लिखा कि डिजिटल अरेस्ट का शिकार होकर उसने 10 लाख रुपये ठगों के बताए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए. साइबर सेल में केस दर्ज करने के बाद उसे बताया गया कि जिस बैंक खाते में उसने 10 लाख रुपये ट्रांसफर किए थे, वह राजस्थान के बिजौलिया इलाके में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रांच से ऑपरेट हो रहा है. जांच में यह भी पता चला कि उस खाते में कुछ ही दिनों के अंदर करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए गए थे और तुरंत ही वे पैसे दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर भी कर दिए गए. बैंक खाता जब तक फ्रीज किया जाता, तब तक उसमें महज कुछ हजार रुपये ही बचे थे. अब कोर्ट ने उस खाते से उस पत्रकार मित्र समेत तीन लोगों को ठगी की रकम वापस लौटाने का आदेश भी जारी कर दिया है, लेकिन खाते में उतनी रकम है ही नहीं. पत्रकार मित्र ने बताया कि तीन वर्दीधारी कथित पुलिस अधिकारियों ने खुद को मुंबई के किसी थाने से संबद्ध बता कर उसे वीडियो कॉल किया और उसका आधार कार्ड दिखा कर कहा कि उसके जरिये 10 लाख रुपये का वित्तीय फ्रॉड किया गया है. थाने जैसे ही नकली सेट पर बैठे फर्जी पुलिस वालों ने उससे कहा कि वे जानते हैं कि फ्रॉड उसने नहीं किया है, लेकिन मामले की जांच को निपटाने तक उसे अपने खाते से 10 लाख रुपये उनके बताए सरकारी खाते में जमा करने होंगे. मामला निपटने पर उसे उसके पैसे वापस मिल जाएंगे.थाने जैसा सेट, वर्दीधारी ठगों और उनके हाथ में कार्ड पर अपनी फोटो और आधार नंबर देख कर वह आश्वस्त हो गई कि असली पुलिस अधिकारी ही उससे रूबरू हैं और उसने उनके निर्देशों का पालन कर दिया. लोगों के लाखों रुपये डूबे पत्रकार मित्र को अब अपने 10 लाख रुपये मिलने की उम्मीद नहीं है. उसे बस इस बात की तसल्ली है कि उसके तो सिर्फ 10 लाख रुपये ही डूबे, दूसरे तो 60-70 लाख या इससे भी ज्यादा रुपये ठगों के बैंक खाते में ट्रांसफर कर चुके हैं. मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से जागरूक होने की अपील की है. लोगों को तो इस मामले में सतर्क रहना ही चाहिए, लेकिन सवाल यह है कि लाखों करोड़ रुपये की साइबर ठगी के इस तरह के मामलों की रोकथाम के लिए क्या कोई उपाय नहीं किए जा सकते? मैंने ऊपर जिक्र किया है कि मेरी पत्रकार मित्र से ठगी के लिए जिस बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किया गया, वह राजस्थान के बिजौलिया में एसबीआई की ब्रांच में खोला गया था. बिजौलिया की आबादी चंद हजार ही है. इतने छोटे से इलाके में चल रही बैंक की ब्रांच के अधिकारियों को इस खाते से इतने बड़े ट्रांजेक्शन होने के बावजूद कोई शक क्यों नहीं हुआ? हमारे व्हाट्सएप ग्रुप पर हुए डिस्कशन में कई वरिष्ठ पत्रकारों ने यह संदेह भी जाहिर किया कि हो सकता है कि ऐसे में मामलों में बैंकिंग सिस्टम भी शामिल रहता हो! बैंकिंग सिस्टम में सेंध से इनकार नहीं ऐसे खाते क्या बिना किसी तरह के वैरीफिकेशन के खोल दिए जाते हैं? सवाल यह भी है कि ठगी करने वालों को यह पता कैसे होता है कि शिकार लोगों के खातों में कितनी रकम जमा है? बैंकिंग सिस्टम में सेंध लगाए बिना इस तरह की जानकारियां जुटाना क्या संभव है? अब जरा साइबर ठगी के आंकड़ों पर नजर डाल लेते हैं. जनवरी, 2024 से अप्रैल, 2024 के बीच भारत में डिजिटल अरेस्ट के जरिये ठगों ने 120.30 करोड़ रुपये लोगों के खातों से ट्रांसफर करा लिए. इस संगीन जुर्म को अंजाम देने वाले ज्यादातर अपराधियों के तार म्यांमार, लाओस और कंबोडिया जैसे देशों से जुड़े हैं. भारतीय साइबर अपराध तालमेल केंद्र यानी आई4सी के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी, से अप्रैल, 2024 तक डिजिटल अरेस्ट के तहत दर्ज साइबर धोखाधड़ी के 46 प्रतिशत मामले म्यामांर, लाओस और कंबोडिया से ही सामने आए. राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल यानी एनसीआरपी के आंकड़ों के मुताबिक इस साल एक जनवरी से 30 अप्रैल के बीच सात लाख, 40 हजार शिकायतें दर्ज की गईं.साल 2023 में कुल 15.56 लाख शिकायतें मिली थीं, जबकि साल 2022 में कुल 9.66 लाख शिकायतें दर्ज की गईं. डिजिटल अरेस्ट के अलावा भी अपराधी साइबर धोखाधड़ी धड़ल्ले से कर रहे हैं. इस साल के पहले चार महीनों में ही भारतीयों को 1776 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. आई4सी के सीईओ राजेश कुमार के मुताबिक पीड़ितों को ट्रेडिंग घोटालों में 1,420.48 करोड़, निवेश घोटालों में 222.58 करोड़ और रोमांस/डेटिंग घोटालों में 13.23 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. जागरूकता की कमी थोड़ा गहराई में जा कर देखें तो साफ है कि साइबर ठगी के बढ़ते जा रहे मामले साफ करते हैं कि ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों में जागरूकता की कमी है. बहुत से सरकारी या रिटायर्ड सरकारी अधिकारी भी साइबर ठगों की जाल में फंसे हैं, तो जाहिर है कि वे इसलिए डर जाते होंगे, क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल में कुछ न कुछ गड़बड़ी की होगी या गड़बड़ करने वालों का साथ दिया होगा. पढ़े-लिखे धनी लोगों का डिजिटल अरेस्ट हो जाना यह भी साबित करता है कि भारत में पुलिसिंग के प्रति उनका भरोसा 100 प्रतिशत नहीं है. अब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट को लेकर चिंता जाहिर करते हुए लोगों से जागरूक होने की अपील की है, तो जाहिर है कि उनका संदेश सभी लोगों तक पहुंचा होगा और वे इस बात को मन में रखेंगे कि कोई जांच एजेंसी इस तरह की कार्रवाई नहीं करती है. गलती से अगर आप ऐसा कोई वीडियो कॉल उठा लेते हैं, तो फर्जी अधिकारियों की बातों में आने की बजाए उनसे कुछ सवाल करें. तय है कि आपको संतोषजनक जवाब नहीं मिलेंगे, तो ऐसी कॉल तुरंत काट दें और दोबारा किसी भी सूरत में न उठाएं. पिछले हफ्ते मुझे मैसेज आया कि बिल जमा नहीं होने की वजह से आपका रसोई गैस कनेक्शन आज रात को काट दिया जाएगा. मैसेज में दो ऑप्शन थे. पहला बिल जमा करें और दूसरा आईजीएल से बात करें. मैंने बात करने वाला ऑप्शन प्रेस किया, तो तुरंत ही दूसरी ओर से फोन आ गया. मैंने पूछा कि मेरा बिल तो जमा है, फिर यह मैसेज क्यों भेजा गया? मुझसे कहा गया कि हो सकता है कि आपका बिल भरा गया हो, लेकिन रिकॉर्ड में शो नहीं हो रहा है. तुरंत ही फोन करने वाले ने कहा कि देखिए आईजीएल की ओर से आपको एक मैसेज आया होगा, उसे तुरंत खोलिए और अपडेट का ऑप्शन दबा दीजिए. आपका बिल रिकॉर्ड में दिख जाएगा. मैंने उससे कहा कि मेरा कनेक्शन आईजीएल के जिस दफ्तर के तहत आता है, उसका पता बताइए, मैं खुद वहां जा कर तहकीकात कर लूंगा. सामने वाले ने जवाब दिया कि नोएडा और नई दिल्ली में. मैं गाजियाबाद में रहता हूं और दफ्तर यहीं होना चाहिए. मैं समझ तो पहले ही गया था कि मुझे फर्जी मैसेज भेजा गया है, लेकिन यह जवाब मिलते ही साफ हो गया कि मुझसे ठगी की कोशिश की जा रही है. मैंने जैसे ही कहा कि आप मुझे ठगने की कोशिश मत कीजिए, तो आईजीएल का लोगो लगे व्हाट्सएप नंबर पर आया मैसेज डिलीट कर फोन तुरंत काट दिया गया. जाहिर है कि अगर आपने कोई बिल जमा कर रखा है, तो ऐसे मैसेज पर भरोसा ही नहीं करना चाहिए. लेकिन जिस तरह मैंने गलती की और बातचीत के लिए ऑप्शन चुन लिया, तो फिर ऐसे में पूरी तरह सावधान रहने की जरूरत है. Tags: Cyber Crime, PM ModiFIRST PUBLISHED : October 29, 2024, 11:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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