सरहद पर थे उम्रदराज जवान चीन-पाक ने दिया तगड़ा झटका आंखें खुलने के बाद BSF

BSF: भारत की तमाम सरहदों पर खानापूर्ति के लिए सूबों ने उम्रदराज पुलिस कर्मियों की तैनाती कर दी गई थी. सूबों की इसी लापरवाही का फायदा पहले चीन और फिर पाकिस्‍तान ने उठाया. जिसके बाद बीएसएफ के... क्‍या है पूरा मामला, जानने के लिए पढ़ें आगे...

सरहद पर थे उम्रदराज जवान चीन-पाक ने दिया तगड़ा झटका आंखें खुलने के बाद BSF
Border Security Force: आजादी के साथ भारत को अपने पूर्वी, पश्चिमी और उत्‍तरी छोर पर कुछ नई सीमाएं मिल गईं थीं. पश्चिम और उत्‍तर में पाकिस्‍तान और पूर्व में बांग्‍लादेश (तब का पूर्वी पाकिस्‍तान) से सटी सीमाएं भारत के लिए नई चुनौती थीं. उन समय भारतीय सेना को सरहदों से दूर रखा गया था. जब कभी सरहदों पर मुश्किल हालात आते, तब भारतीय सेना को आगे भेज दिया जाता. वहीं भारतीय सेना की मदद के लिए सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) को भी सरहदों में तैनात मिलती थी. सामान्‍य दिनों में, अंतर्राष्‍ट्रीय सीमाओं की रखवाली का जिम्‍मा सीमावर्ती राज्‍यों की पुलिस के पास ही रहता था. हालांकि यह बात दीगर है कि जिस उम्‍मीद के साथ सरहदों की रखवाली राज्‍यों की पुलिस को सौंपी गई थी, कोई भी राज्‍य उसमें खरा नहीं उतर पाया. हालात यहां तक बिगड़ चुके थे कि राज्‍यों को सरहदों की सुरक्षा शायद एक बोझ की तरह लगने लगी थी. शायद यही वजह थी कि देश की तमाम सरहदें अपनी सुरक्षा के लिए जवानों की कमी हर वक्‍त महसूस करती रही. इसके अलावा, उस दौर में राज्‍यों की नजर में सरहद की सुरक्षा कितनी अहम थी, इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सरहदों में तैनात जवानों में बड़ी संख्‍या उम्रदराज पुलिसकर्मियों की थी. बात फिजिकल फिटनेस की हो, या फिर मेंटल अलर्टनेस की, उम्रदराज पुलिस कर्मी किसी भी पैमाने पर खरे नहीं उतरते थे. इसके अलावा, सरहद में तैनात इन पुलिस कर्मियों के पास न ही बेहतर हथियार थे और न ही उन्‍हें किसी तरह का कोई प्रशिक्षण दिया गया था. यह भी पढ़ें: शातिराना तरीके से प्‍लेन में हुई दाखिल, 7 घंटे का सफर कर पहुंची पेरिस, अचानक… ‘TSA-अमेरिका’ की बंधी ‘घिग्घी’… इस बात को लेकर रहस्‍य अभी तक बना हुआ है कि यह महिला हाईटेक सिक्‍योरिटी सिस्‍टम में सेंध लगाकर डेल्‍टा एयरलाइंस के प्‍लेन में कैसे दाखिल हो गई. अब रहस्‍य की गुत्‍थी सुलझाने में अमेरिका और फ्रांस की सुरक्षा एजेंसियां माथापच्‍ची करने में जुटी हुई है. क्‍या है पूरा मामला, जानने के लिए क्लिक करें. कंजरकोट में दुश्‍मन के सामने फूले सूबे की पुलिस के हाथ हमारी सरहदों की सुरक्षा कितनी पुख्‍ता है, इसकी बानगी देश ने 1962 के भारत-चीन युद्ध और उसके बाद 1965 के भारत-पाकिस्‍तान युद्ध के दौरान देखी. यदि बात 1965 के भारत-पाक युद्ध की करें तो उस समय गुजरात से सटी भारत-पाकिस्‍तान अंतर्राष्‍ट्रीय सीमा की रखवाली सूबे की स्‍टेट रिजर्व फोर्स कर रही थी. पाकिस्‍तानी सेना ने युद्ध की पहली दस्‍तक गुजरात के कंजरकोट से दी थी और स्‍टेट रिजर्व फोर्स दुश्‍मन के सामने बेहद कमजोर पड़ गई थी. गनीमत रही कि समय रहते सीआरपीएफ ने मौके पर पहुंच गई और दुश्‍मन के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया, नहीं तो हालात कुछ और ही होते. उप-सेना प्रमुख ने दिया बीएसएफ के गठन का सुझाव जनवरी 1965 में सरहद पर पैदा हुए हालात को देखते हुए उस दौर के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री ने एक बड़ा फैसला लिया. फैसले के तहत, तत्‍कालीन प्रधानमंत्री ने भारतीय सेना के उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल कुमारमंगलम की अध्‍यक्षता में एक इमरजेंसी कमेटी ऑफ सेकेट्रीज का गठन किया. लेफ्टिनेंट जनरल कुमारमंगलम को सरहद की सुरक्षा के मौजूदा हालात की विवेचना की जिम्‍मेदारी सौंपी गई. साथ ही, वह सुझाव मांगे गए, जिससे सरहदों की सुरक्षा को पुख्‍ता किया जा सके. लेफ्टिनेंट जनरल कुमारमंगलम ने अप्रैल 1965 में अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए सरकार को बॉर्डर सिक्‍योरिटी के लिए डेडिकेट फोर्स के गठन का सुझाव दिया. यह भी पढ़ें: राम मंदिर.. हाईजैक हुआ IC-427, काबुल ले जाने का था प्‍लान, गन शॉट सुन NSG… देखता रह गया पाकिस्‍तान… प्‍लेन में दो पिस्‍टल और ग्रेनेड के साथ ि‍हजबुल मुजाहिद्दीन का आतंकी इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-427 में दाखिल हो गया. इस आतंकी ने फ्लाइट हाईजैक कर प्‍लेन को काबुल ले जाने की कोशिश की. इसी बीच पाकिस्‍तान के… आगे क्‍या हुआ, जानने के लिए क्लिक करें. महीने भर में तैयार हो बीएसएफ के गठन का ब्‍लू प्रिंट लेफ्टिनेंट जनरल कुमारमंगलम की रिपोर्ट को स्‍वीकार कर लिया गया. साथ ही, इसी रिपोर्ट के आधार पर तत्‍कालीन जनरल जेएन चौधरी और गृह सचिव एलपी सिंह को बॉर्डर सिक्‍योरिटी के लिए नई फौज का ब्‍लू प्रिंट तैयार करने के लिए कहा गया. महज एक महीने से कम अवधि में इस नई फौज का ब्‍लू प्रिंट तैयार कर लिया गया. मई 1965 में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शात्री ने इसी मुद्दे को लेकर सभी राज्‍यों के गृह मंत्री और पुलिस प्रमुखों की एक बैठक बुलाई और इसी बैठक में नए केंद्रीय बल के गठन का फैसला ले लिया गया. इस नए केंद्रीय बल को छह महीने बाद बॉर्डर सिक्‍योरिटी फोर्स के नाम से जाना गया. केएफ रुस्‍तम को मिला BSF को आकार देने का जिम्‍मा 16 नवंबर 1965 को दिल्‍ली में ग्रुप ऑफ सेकेट्रीज की बेहद अहम बैठक बुलाई गई. इस बैठक को बुलाने का मकसद बॉर्डर सिक्‍योरिटी फोर्स के गठन के फैसले को अमलीजामा पहनाना था. बैठक में सभी पहलुओं की विस्‍तृत समीक्षा की गई और बीएसएफ के गठन का ऐलान कर दिया गया. इसके बाद, 1 दिसंबर 1965 को बॉर्डर सिक्‍योरिटी फोर्स के गठन की आधिकारिक घोषणा कर दी गई. साथ ही, फोर्स को खड़ा करने का जिम्‍मा मध्‍य प्रदेश के तत्‍कालीन आईजीपी केएफ रुस्‍तमजी को सौंपा गया. इसी के साथ, आईपीएस अधिकारी केएफ रुस्‍तमजी को बीएसएफ का पहला महा‍निदेशक नियुक्‍त कर दिया गया. Tags: BSFFIRST PUBLISHED : December 2, 2024, 09:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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