परिघ योग में शनि प्रदोष व्रत शाम को इस विधि से करें शिव पूजा जानें मुहूर्त

Shani Pradosh Vrat 2024 Puja Vidhi: शनि प्रदोष व्रत 31 अगस्त को है. यह भाद्रपद के कृष्ण पक्ष का व्रत है. व्रत वाले दिन शाम 05:39 बजे से परिघ योग बन रहा है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त आदि.

परिघ योग में शनि प्रदोष व्रत शाम को इस विधि से करें शिव पूजा जानें मुहूर्त
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 31 अगस्त शनिवार को है. शनिवार को होने के कारण यह शनि प्रदोष व्रत है. व्रत की पूजा के समय परिघ योग बन रहा है. शनि प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय में की जाती है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत रखने से पुत्र की प्राप्ति होती है. जो लोग संतानहीन हैं, उनको शनि प्रदोष का व्रत रखकर शिव जी की पूजा करनी चाहिए. आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत के मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र के बारे में. शनि प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त और योग भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी तिथि की शुरूआत: 31 अगस्त, शनिवार, तड़के 02:25 बजे से भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी तिथि की समाप्ति: 1 सितंबर, रविवार, तड़के 03:40 बजे शनि प्रदोष पूजा मुहूर्त: शाम 06:43 बजे से रात 08:59 बजे तक परिघ योग: शाम 05:39 बजे से अगले दिन शाम 05:50 बजे तक पुष्य नक्षत्र: प्रात:काल से शाम 07:39 बजे तक शनि प्रदोष व्रत का पारण: 1 सितंबर, सुबह 05:59 बजे के बाद यह भी पढ़ें: सोमवती अमावस्या पर होते हैं 3 दान, पितरों के साथ देव और ऋषि भी हो जाते तृप्त, जानें जरूरी बातें शनि प्रदोष व्रत 2024 पूजा विधि शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह में स्नान आदि से निवृत होकर व्रत और शिव पूजा का संकल्प करें. उसके बाद दिनभर फलाहार पर रहें. फिर शाम के समय में शिव मंदिर जाएं या घर पर ही पूजा कर लें. सबसे पहले शिव जी का गंगाजल से अभिषेक करें. उसके बाद शिवलिंग पर अक्षत्, बेलपत्र, चंदन, फूल, फल, भांग, धतूरा, नैवेद्य, शहद, धूप, दीप आदि अर्पित करें. इस दौरान पंचाक्षर मंत्र ओम नम: शिवाय का उच्चारण करते रहें. अब आप शिव चालीसा का पाठ करें. उसके बाद शनि प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें. समापन के बाद कपूर या घी के दीपक से शिव जी की आरती करें. पूजा के अंत में क्षमा प्रार्थना करें और संतान प्राप्ति के लिए आशीर्वाद लें. रात के समय में जागरण करें और अगले दिन सुबह में स्नान आदि करके पूजा करें. फिर ब्राह्मणों को दान और दक्षिणा से संतुष्ट करें. उसके बाद पारण करके व्रत को पूर्ण कर लें. यह भी पढ़ें: इस साल कब है ऋषि पंचमी? बन रहे 2 शुभ योग, जानें पूजा मुहूर्त, मंत्र और महत्व शनि प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार, जो भी इस व्रत को सच्चे मन से करता है, उसे उत्तम संतान की प्राप्ति होती है. कथा में बताया गया है कि एक संतानहीन सेठ और उसकी पत्नी ने विधि विधान से इस व्रत को किया था, तो उसके फलस्वरूप उसे पुत्र की प्राप्ति हुई थी. Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva, ReligionFIRST PUBLISHED : August 30, 2024, 08:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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