7 AUG 1947: हिंद फौज को लेकर आया आदेश अंग्रेज अफसर ने कर दी बगावत बोला
7 AUG 1947: हिंद फौज को लेकर आया आदेश अंग्रेज अफसर ने कर दी बगावत बोला
ब्रिटिश सेना के कमांडर-इन-चीफ क्लाउड जॉन औचिनलेक की नजर जैसे जैसे नोटशीट पर लिखी इबारत से गुजर रही थी, वैसे वैसे उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचता जा रहा था. एक पल ऐसा आया कि औचिनलेक ने तेजी से चिल्लाते ही हुए खत को अपने दोनों हथेलियों के बीच भीच लिया. क्या था यह पूरा मामला जानने के लिए पढ़ें आगे...
78th Independence Day: आर्मी हेडक्वार्टर स्थित अपने ऑफिस में बैठे कमांड-इन-चीफ क्लाउड जॉन औचिनलेक एक नोटशीट को बड़े ध्यान से पढ़ रहे हैं. ज्यों’-ज्यों नोटशीट में लिखी इबारत उनके आंखों के सामने से गुजर रही है, उनके माथे के नस की फड़कन उसी रफ्तार से बढ़ती जा रही है. एक पल ऐसा आता है कि क्लाउड जॉन औचिनलेक गुस्से में इस नोटशीट को अपनी हथेलियों के बीच भींच लेते हैं.
दरअसल, यह नोटशीट उन सभी भारतीयों को रिहा करने का आदेश था, जिन्हें अंग्रेज हुकूमत ने जेलों में कैद कर रखा था. क्लाउड जॉन औचिनलेक को इस बात से ऐतराज नहीं था कि उसे जेल में कैद भारतीयों को छोड़ने के लिए कहा जा रहा है, बल्कि गुस्सा इस बात पर ज्यादा था कि इस आदेश में लिखे ‘सभी भारतीय’ शब्द की वजह से उसे आजाद हिंद फौज के सेनानियों को भी जेल से रिहा करना पड़ेगा. यह भी पढ़ें: 7 AUG 1947: भारत से पहले कहां फहराया तिरंगा? गांधी ने राष्ट्रध्वज के सामने झुकने से किया इनकार! दिलचस्प है किस्सा… भारत के नए राष्ट्रध्वज का चुनाव हो चुका था. 7 अगस्त 1947 शायद वह पहली तारीख थी, जब भारत के नए राष्ट्रध्वज को आधिकारिक तौर पर विदेश में फहराया गया हो. कौन सा था वह देश और महात्मा गांधी ने राष्ट्रध्वज के सामने झुकने से क्यों किया इंकार, जानने के लिए क्लिक करें.
औचिनलेक ने आदेश मानने से किया इंकार
कमांडर-इन-चीफ क्लाउड जॉन औचिनलेक इस बात के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था. रह-रह कर क्लाउड जॉन औचिनलेक को वह पल याद आ रहे थे, जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फौज ने अंग्रेजों को गहरी चोट दी थी. बार-बार चुनौती बनने वाली आजाद हिंद फौज के सेनानियों को छोड़ना क्लाउड जॉन औचिनलेक के लिए खुद के मुंह पर तमाचा मारने जैसा हो गया था. आखिर में, औचिनलेक ने एक निर्णय लिया. यह भी पढ़ें:- 6 अगस्त 1947: तिरंगे को लेकर क्यों नाराज हुए महात्मा गांधी, क्या नेहरू ने यूनियन जैक के लिए भरी थी हामी… लाहौर से वापसी की तैयारी कर रहे महात्मा गांधी को जैसे ही भारत के नए राष्ट्रध्वज के बारे में पता चला, वह भड़क गए. वहीं लॉर्ड माउंटबेटन ने यूनियन जैक को लेकर एक अजीब सी शर्त नेहरू के सामने रख दी थी. क्या था पूरा मामला, जानने के लिए क्लिक करें.
मंजूर नहीं बोस के एक भी सिपाही को छोड़ना
और यह निर्णय अपनी ही हुकूमत के फैसले के खिलाफ जाने का था. क्लाउड जॉन औचिनलेक ने स्टेनो को बुलाकर नोटशीट का जवाब लिखवाना शुरू किया. इस जवाब में उसने लिखवाया कि भारतीय जेलों में कैद भारतीय राजनीतिक बंदियों को रिहा करने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन, सुभाश चंद्र बोस की अगुवाई में बनी आजाद हिंद फौज के एक भी सिपाही को छोड़ना मुझे बिल्कुल भी मंजूर नहीं है. यह भी पढ़ें: भगत सिंह-बटुकेश्वर का वह ‘ड्राइवर’, जिसने एक मुक्के में छुड़ाई अंग्रेज अफसर की मुक्केबाजी, मिली काला पानी की सजा… भूख हड़ताल में बैठे महावीर सिंह को नली से जबरन दूध पिलाने की कोशिश अंग्रेजों ने शुरू कर दी. अंग्रेज अफसरों ने तब तक नली से उसके शरीर में दूध भरा, जबतक उनके फेफड़ों ने काम करना बंद नहीं कर दिया और उनकी मृत्यु नहीं हो गई. देश के लिए प्राणों का बलिदान देने वाले महावीर सिंह कौन हैं जानने के लिए करें क्लिक .
आजादी के बाद ही रिहा हो सके नेताजी के सेनानी
आखिर में, क्लाउड जॉन औचिनलेक के लिखा कि फिलहाल 15 अगस्त तक भारत में ब्रिटिश राज है और तब तक वह एक भी आजाद हिंद फौज के सिपाही को जेल से रिहा नहीं करेगा. क्लाउड जॉन औचिनलेक के इस जवाब के बाद यह तय हो गया था कि नेताजी सुभाष चंद बोस के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ने वाले वीर सेनानियों को 15 अगस्त के बाद ही जेल से रिहा किया जा सकेगा.
Tags: 15 August, Independence dayFIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 16:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed