8 मिनट में हार्ट फेल्योर का पता चलेगा वैज्ञानिकों ने खोजी नई तकनीक
8 मिनट में हार्ट फेल्योर का पता चलेगा वैज्ञानिकों ने खोजी नई तकनीक
Heart failure diagnosis: हार्ट का फेल्योर होना एक गंभीर समस्या है जिसमें व्यक्ति की जान भी जा सकती है. हार्ट फेल्योर का पता लगाने के लिए वर्तमान में एमआरआई का सहारा लेना पड़ता है जिसमें काफी वक्त लगता है. लेकिन अब वैज्ञानिक ने ऐसी तकनीक की खोज की है जिसकी मदद से सिर्फ 8 मिनट के अंदर हार्ट फेल्योर का पता लगा लिया जाएगा.
हाइलाइट्स 4डी फ्लो इमेज हार्ट के वाल्व और हृदय के अंदर रक्त प्रवाह की सटीक तस्वीर प्रदान करती हैंयह तकनीक हार्ट फेल्योर को मापने में क्रांति ला देगी
Heart failure diagnoses: हार्ट से संबंधित हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर की स्थिति का पता लगाने के लिए डॉक्टरों को एमआरआई का सहारा लेना पड़ता है. इसमें आधे घंटे से ज्यादा का समय लगता है. लेकिन अब वैज्ञानिक ने ऐसी तकनीक की खोज की है जिसकी मदद से सिर्फ 8 मिनट के अंदर हार्ट फेल्योर का पता लगा लिया जाएगा. इस अनोखी तकनीक की मदद से हार्ट फेल्योर के मरीजों का इलाज आधे से भी कम समय में किया जा सकेगा. यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजलिया (यूएई) के शोधकर्ताओं ने इस नवीन तकनीक को विकसित किया है.
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हार्ट में रक्त प्रवाह की सटीक तस्वीर
शोधकर्ताओं ने एमआरआई का इस्तेमाल करते हुए हार्ट की 4 डाइमेंशनल फ्लो इमेज बनाने में सफलता प्राप्त की है. इसके लिए सुपर फास्ट मेथड की मदद ली गई है. शोधकर्ताओं ने इसका नाम कैट-एआरसी (Kat-ARC) रखा है. इस तकनीक में सिर्फ 8 मिनट का समय लगता है जबकि एमआरआई में आधे घंटे का वक्त लगता है. यह 4डी फ्लो इमेज हार्ट के वाल्व और हृदय के अंदर रक्त प्रवाह की सटीक तस्वीर प्रदान करती है जो मरीजों के इलाज में डॉक्टरों को उपचार का सर्वोत्तम तरीका निर्धारित करने में मदद करेगी. यूएई में प्रमुख शोधकर्ता पंकज गर्ग ने बताया कि हार्ट के अंदर बहुत ज्यादा प्रेशर हो जाता है तो हार्ट फेल्योर हो जाता है. यह बहुत भयानक स्थिति है. उन्होंने बताया, “हमारी पूरी टीम हार्ट के अंदर फ्लो को मापने के लिए अब तक के सबसे अत्याधुनिक तरीकों में से एक पर काम कर रही है.”
हार्ट फेल्योर के इलाज में क्रांति संभव
जर्नल यूरोपियन रेडियोलॉजी एक्सपेरीमेंटल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक हार्ट फेल्योर का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका इनवेसिव एसेसमेंट है लेकिन यह चलन में नहीं है क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा जोखिम है. वैज्ञानिकों ने बताया कि हार्ट का अल्ट्रासाउंड यानी इकोकार्डियोग्राफी का इस्तेमाल आमतौर पर हृदय के माइट्रल वाल्व के माध्यम से रक्त प्रवाह के चरम वेग को मापने के लिए किया जाता है. इससे हार्ट फेल्योर का पता नहीं चलता, इसलिए इसका भी इस्तेमाल हार्ट फेल्योर के लिए नहीं किया जाता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि इसलिए यह तकनीक हार्ट फेल्योर को मापने में क्रांति ला देगी और इससे मरीज का तत्काल इलाज किया जाना संभव हो सकेगा. शोधकर्ताओं ने बताया कि दरअसल, मरीजों को एमआरआई मशीन के अंदर लंबे समय तक रहने में बहुत परेशानी होती है. इसलिए भी यह तकनीक बेहद कारगर साबित होगी क्योंकि इसमें सिर्फ 8 मिनट के अंदर सब काम हो जाएगा. हालांकि सारी प्रक्रिया पूरी होने में 20 मिनट तक का समय लग सकता है.
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Tags: Health, Health tips, LifestyleFIRST PUBLISHED : September 25, 2022, 13:51 IST