10/08/1947: तिरंगे के साथ यूनियन जैक नेहरू की हां एक हिंदू को पाक का इनाम!
10/08/1947: तिरंगे के साथ यूनियन जैक नेहरू की हां एक हिंदू को पाक का इनाम!
लॉर्ड माउंटबेटन से मिले पत्र ने जवाहरलाल नेहरू के माथे पर सिकन ला दी थी. दरअसल, लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त के साथ-साथ 10 प्रमुख तरीखों पर भारतीय राष्ट्रध्वज के साथ यूनियन जैक (ब्रिटिश हुकूमत का झंडा) फहराने के लिए कहा था, जिसे नेहरू ने... विस्तृत खबर के लिए पढ़ें आगे...
August 10, 1947: अपने हाथों में मौजूद खत को बड़े ध्यान से पढ़ रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू के माथे पर हल्की सिकन नजर आ रही थी. यह खत लॉर्ड माउंटबेटन ने नेहरू द्वारा छह अगस्त के भेजे गए पत्र के जवाब में भेजा था, जिसमें कुछ ऐसा लिखा था, जो नेहरू को पसंद नहीं आ रहा था. दरअसल, इस पत्राचार की शुरुआत 5 अगस्त 1947 से होती है. इसी दिन, लॉर्ड माउंटबेटन ने नेहरू को पत्र भेजकर इच्छा जाहिर की थी कि 15 अगस्त सहित प्रमुख दिवसों पर यूनियन जैक (ब्रिेटिश हुकूमत का झंडा) भारतीय राष्ट्रध्वज तिरंगे के साथ सभी सरकारी इमारतों में फहराया जाए.
लॉर्ड माउंटबेटन ने जिन प्रमुख दिवसों का जिक्र अपने खत में किया था, उसमें सैनिक दिवस (1 जनवरी), वायुसेना दिवस (1 अप्रैल), अन्झाक दिवस (25 अप्रैल), राष्ट्रकुल दिवस (24 मई), ब्रिटेन के राजा का जन्मदिन (12 जून), संयुक्त राष्ट्रसंघ का ध्वज दिवस (14 जून), महारानी का जन्मदिन (4 अगस्त), भारतीय स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), नौसेना दिवस (7 नवंबर) और विश्व युद्ध में दिवंगत हुए सैनिकों का स्मरण दिवस (11 नवंबर) शामिल थे. इसके जवाब में नेहरू ने एक जवाबी खत छह अगस्त 1947 को लाडॅ माउंटबेटन को भेजा था. जिसमें उन्होंने लिखा था कि… प्रिय लॉर्ड माउंटबेटन,
आपके पत्र में आपने उन दिनों की सूची है, जिनमें भारत की शासकीय इमारतों पर यूनियन जैक फहराया जाने की बात कही गई है. मेरे अनुसार, इसका अर्थ यह हुआ कि भारत के सभी सार्वजनिक स्थानों पर भारतीय राष्ट्र ध्वज के साथ-साथ यूनियन जैक भी फहराया जाए. आपकी इस सूची में उल्लेखित एक दिन को लेकर मुझे समस्या है और वह दिन है 15 अगस्त अर्थात हमारी स्वतंत्रता का दिवस. मुझे ऐसा लगता है कि इस दिन यूनियन जैक फहराना उचित नहीं होगा. हालांकि लंदन स्थित ‘इंडिया हाउस’ पर आप उस दिन यूनियन जैक फहराएं तो उसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है.
6 अगस्त 1937 को नेहरू द्वारा भेजे गए इसी खत के जवाब में 9 अगस्त 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपना जवाबी खत भेजा था. और नेहरू के चेहरे को देखकर यही लग रहा था कि पत्र में कोई अच्छी खबर नहीं हैं. इस पत्र को पढ़ने के बाद नेहरू ने अपने सेक्रेटरी को बुलाकर जवाबी खत का डिक्टेशन देना शुरू कर दिया. उन्होंने लिखवाया कि …. प्रिय लॉर्ड माउंटबेटन,
9 अगस्त को आपके द्वारा लिखे गए उस पत्र हेतु आभार, जिसमें आपने अगले वर्ष से 15 अगस्त के दिन शासकीय इमारतों पर यूनियन जैक फहराने के संबंध में लिखा है. मुझे आपको यह बताते हुए हर्ष होता है कि आपके सुझाव के अनुसार अगले वर्ष से हम 15 अगस्त को तिरंगे के साथ यूनियन जैक भी फहराएंगे. यह भी पढ़ें: 9 AUG 1947: एक ‘हिंदू’ का गीत बना पाक का कौमी तराना, अखबार में छपा गांधी के हाथों लिखा इस्तीफा, तभी अमृतसर में… आजादी के पहले की 9 अगस्त को जिन्ना ने पाकिस्तान का कौमी तराना लिखने की जिम्मेदारी एक हिंदू को सौंपी. वहीं भारत में एक मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी से अपना इस्तीफा लिखवाया और उसे अखबारों में छपवा दिया. वहीं अमृतसर में मोहम्मद सईद की गिरफ्तारी के बाद नरसंहार शुरू हो गया. 9 अगस्त 1947 को और क्या-क्या हुआ, जानने के लिए क्लिक करें.
जिन्ना ने जोगेंद्रनाथ मंडल का नाम किया प्रस्तावित
उधर, पाकिस्तान की सिंध प्रोविंशियल लेजिस्लेटिव असेंबली में पाकिस्तान की संविधान सभा की पहली संक्षिप्त बैठक शुरू हुई थी. बैठक में कुल 72 सदस्यों में से सिर्फ 52 सदस्य ही उपस्थित हुए थे. गैरहाजिर सदस्यों में पश्चिम पंजाब के दो सिख सदस्य भी शामिल थे, जिन्होंने इस असेंबली का बहिष्कार किया हुआ था. बैठक के दौरान, पाकिस्तान के गवर्नर जनरल घोषित किए गए मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान की संसदीय कार्रवाई के रजिस्टर पर सबसे पहले अपने हस्ताक्षर किए. इसके बाद, जिन्ना ने पाकिस्तान की संविधान सभा के अध्यक्ष पद के लिए बंगाल के जोगेंद्रनाथ मंडल का नाम प्रस्तावित किया, जिसे तुरंत मान लिया गया. यह भी पढ़ें:- 8 AUG 1947: गांधी के लिए क्यों बदले 8 अगस्त के मायने? जिन्ना की चाल पर कैसे भारी पड़े वेंकटाचारी, और धधक उठा कोलकाता… महात्मा गांधी के जीवन में 8 अगस्त की दो तारीखें बेहद अहम हैं, पर इन दोनों तारीखों के मायने उनके लिए बिल्कुल उलट गए थे. वहीं, जोधपुर रियासत को पाकिस्तान में शामिल करने की जिन्ना की साजिश पर वेंकटाचारी ने एक झटके पर पानी फेर दिया था. इस दिन कोलकाता से भी सांप्रदायिक नरसंहार की खबरें आने लगी थीं. भारत की स्वतंत्रता में क्या है 8 अगस्त की अहमियत, जानने के लिए क्लिक करें.
डायरेक्ट एक्शन डे का जोगेंद्रनाथ को मिला ईनाम!
जिन्ना का प्रस्ताव स्वीकार होते ही अखंड भारत की अंतरिम सरकार में कानून मंत्री रहे जोगेंद्रनाथ मंडल पाकिस्तान की पहली कांस्टीट्यूएंट असेंबली के पहले अध्यक्ष बन गए. प्रभात प्रकाशन की पुस्तक ‘वे 15 दिन’ के अनुसार, 1940 में कांग्रेस से निष्कासित किए जाने के बाद जोगेंद्रनाथ मंडल मुस्लिम लीग में शामिल हुए थे. 1946 में हिंदुओं के खिलाफ बंगाल के कुख्यात ‘डायरेक्ट ऐक्शन डे’ की भीषण हिंसा के समय जोगेंद्रनाथ मंडल पूरे बंगाल में प्रवास करते हुए दलितों को मुसलमानों के खिलाफ नहीं होने के लिए मना रहे थे. मुस्लिम लीग और जिन्ना ने जोगेंद्रनाथ मंडल के इस कार्य की सराहना की थी. और इन्हीं कारगुजारियों को ध्यान में रखते हुए असेंबली का अध्यक्ष का पद पुरस्कार के तौर दिया गया था.
Tags: 15 August, Independence dayFIRST PUBLISHED : August 10, 2024, 07:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed