मुकेश पांडेय/मिर्जापुर : भगवान शिव से आशीर्वाद पाने के बाद ऋषि और मुनियों पर अत्याचार करने वाला राक्षस ताड़कासुर ने मिर्जापुर में शिवलिंग को स्थापित किया था. यह शिवलिंग इसलिए विशेष है क्योंकि यह ईशान कोण पर स्थित है. ईशान कोण पर स्थित शिवलिंग के दर्शन से ही सूनी कोख भर जाती है. सावन माह में यहां पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. दूर-दूर से भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
मिर्ज़ापुर शहर के रामबाग के पास गंगा नदी के तट पर ताड़केश्वर नाथ महादेव का शिवलिंग स्थित है. मां विंध्यवासिनी धाम के पंचकोशी यात्रा में यह शिवलिंग आता है. आध्यात्मिक धर्मगुरु पं. त्रियोगी नारायण मिश्र ने बताया कि एक बार ताड़क राक्षस को शक्ति की खोज में ऋषि पुलस्ति के पास पहुंच गए. ताड़क ने ऋषि से कहा कि ऐसा कौन सा स्थान है, जहां जाकर अमरत्व को प्राप्त कर सकते हैं. ऋषि पुलस्ति ने ताड़क राक्षस को विंध्य क्षेत्र में जाकर सिध्दि करने की सलाह दी. ऋषि पुलस्ति के कहने पर ताड़क राक्षस ने एक कुंड और शिवलिंग की स्थापना की.
हजारों वर्षों के तप के बाद भगवान शिव हुए प्रसन्न
पं. त्रियोगी नारायण मिश्र ने बताया कि हजारों वर्षों के तप के बाद भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने इस शिवलिंग को उनके नाम से जानने की आशीर्वाद प्रदान किया. यह शिवलिंग इसलिए विशेष है क्योंकि इनका नाता भगवान राम से जुड़ा हुआ है. यहां पर त्रेता युग में भगवान राम ने दर्शन करके भगवान शिव पर पुष्प अर्पित किया था. इनके दर्शन कर लेने से अनंत फल की प्राप्ति होती है. मां विंध्यवासिनी की पंचकोशी यात्रा यहीं से शुरू होकर विरोही के वीरभद्र के दर्शन करने के बाद समाप्त होती है. ताड़केश्वर मंदिर का कुछ भाग गंगा नदी में समाहित हो गया.
दर्शन से पूरी होती है हर मनोकामना- भक्त
भक्त अर्पिता द्विवेदी ने बताया कि यह काफी प्राचीन मंदिर है. परिवार के साथ हम यहां पर आते हैं. दर्शन मात्र ही हर मनोकामना पूर्ण होती है. दर्शन करने के लिए आई प्रमिला देवी ने बताया कि इस मंदिर का जिक्र पुराणों में भी है. यह बेहद चमत्कारिक धाम है. दर्शन मात्र से हर मनोरथ पूर्ण होता है. भक्त अगर सच्चे मन से आते हैं तो भगवान उनकी पुकार को जरुर सुनते हैं.
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