पुलिस के मैसेंजर की तरह काम करने की उम्‍मीद न थी SC का जज पर कड़ा एक्‍शन

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अदालतों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे जांच एजेंसियों के मैसेंजर्स के रूप में काम करें और रिमांड की अर्जी पर पुलिस को नियमित तरीके से अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

पुलिस के मैसेंजर की तरह काम करने की उम्‍मीद न थी SC का जज पर कड़ा एक्‍शन
हाइलाइट्स सुप्रीम कोर्ट आपराधिक मामले में एक युवक को अंतरिम जमानत दे दी थी. इसके बावजूद पुलिस ने युवक को अरेस्‍ट कर सलाखों के पीछे भेज दिया. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस के साथ-साथ मजिस्‍ट्रेट अदालत को भी आड़े हाथों लिया. नई दिल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट ने एक आपराधिक मामले में युवक को अंतरिम जमानत प्रदान कर दी. नियम के मुताबिक एक बार हाई ज्यूडिशियरी किसी व्‍यक्ति को राहत प्रदान कर दे तो फिर निचली अदालत उसमें कुछ नहीं कर सकती. पुलिस व प्रशासनिक अमले को भी वो आदेश मानना ही होगा. गुजरात में एक ऐसा मामला सामने आया जहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी करते हुए अंतरिम जमानत के बावजूद पुलिस ने किसी शख्‍स को अरेस्‍ट कर लिया. इतना ही नहीं मजिस्‍ट्रेट जज ने भी पुलिस को ऐसा करने से नहीं रोका. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जज और पुलिस इंस्‍पेक्‍टर दोनों को अवमानना का दोषी पाया है. अदालत ने कहा, “हम आर.वाई. रावल, पुलिस इंस्पेक्टर, वेसु पुलिस स्टेशन, सूरत) और दीपाबेन संजयकुमार ठाकर, 6वें अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सूरत (अवमाननाकर्ता-प्रतिवादी संख्या 7) को इस न्यायालय के 8 दिसंबर, 2023 के आदेश की अवमानना ​​करने का दोषी मानते हैं.” आरोपी को हिरासत में पूछताछ के लिए भेजे जाते समय इस सबूत की अनदेखी की गई थी कि उसे अग्रिम जमानत किसी और ने नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने ही दी थी. शीर्ष अदालत ने गुजरात की उक्त न्यायाधीश पर पुलिस हिरासत प्रदान करते समय ‘‘पक्षपातपूर्ण’’ और ‘‘मनमाने तरीके’’ से काम करने का आरोप लगाया. न्यायालय ने एक फैसले में कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली के तहत अदालतों को पुलिस हिरासत प्रदान करने से पहले मामले के तथ्यों पर न्यायिक विवेक का उपयोग करने की आवश्यकता होती है, बशर्ते कि यह ‘‘वास्तव में आवश्यक हो.’’ शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘अदालतों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे जांच एजेंसियों के संदेशवाहकों के रूप में कार्य करें और रिमांड आवेदनों को नियमित तरीके से अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.’’ न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने आठ दिसंबर, 2023 को तुषारभाई रजनीकांत भाई शाह को अग्रिम जमानत प्रदान की थी. पीठ ने इस बात से हैरानगी जताई कि उसके आदेश के लागू होने के बावजूद एक न्यायिक अधिकारी ने जांच अधिकारी (आईओ) की याचिका पर गौर किया और आरोपी को पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया. पीठ ने कहा, ‘‘अवमाननाकर्ता प्रतिवादी संख्या सात (दीपाबेन संजयकुमार ठाकर, छठीं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सूरत) द्वारा याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत में भेजने और इसकी अवधि पूरी होने पर उसे रिहा न करने की कार्रवाई स्पष्ट रूप से इस अदालत के आदेश के विरुद्ध है…और अवमानना ​​के समान है.’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘अवमाननाकर्ता-प्रतिवादी (न्यायाधीश) की अवज्ञाकारी कार्रवाई भी, पुलिस रिमांड की अवधि समाप्त होने के बाद याचिकाकर्ता को लगभग 48 घंटे तक अवैध हिरासत में रखने के लिए जिम्मेदार है.’’ इसने कहा कि न्यायिक अधिकारी के आचरण से इस मामले में उनके पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण का स्पष्ट संकेत मिलता है. सूरत के वेसु पुलिस थाने के पुलिस निरीक्षक आर वाई रावल की भूमिका पर विस्तार से चर्चा करते हुए, न्यायालय ने कहा कि आरोपी को दिये गए अंतरिम संरक्षण के दौरान उसकी पुलिस हिरासत के लिए अर्जी ‘‘इस अदालत के आदेश की घोर अवहेलना’’ है और ‘‘अवमानना ​​के समान’’ है. पीठ ने उन्हें पिछले वर्ष आठ दिसंबर के आदेश की अवमानना ​​करने का दोषी ठहराया. न्यायमूर्ति गवई ने 73 पृष्ठों का फैसला लिखते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश से इस बात में कोई संदेह नहीं रह जाता कि अग्रिम जमानत का अंतरिम संरक्षण ‘‘पूर्ण है, जब तक कि वह इस याचिका पर निर्णय करते समय इसमें संशोधन या परिवर्तन नहीं करता’’ जो अभी भी लंबित है. अधीनस्थ न्यायालय की न्यायाधीश की बिना शर्त माफी को स्वीकार करने से इनकार करते हुए न्यायालय ने कहा कि उन्होंने मामले को ‘‘पूर्वनिर्धारित तरीके’’ से निपटाया है. पीठ ने हालांकि, सूरत पुलिस आयुक्त को अवमानना ​​के आरोपों से मुक्त करते हुए कहा कि उनकी भूमिका हिरासत में यातना संबंधी आरोपी के दावे का पता लगाने के लिए पुलिस थाने में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों के काम न करने के पहलू तक ही सीमित थी. Tags: Gujarat news, Supreme Court, Surat newsFIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 23:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed