कारगिल वॉरः चिट्ठी का इंतजार शहादत का संदेश पत्नी के गर्भ में 6 माह का बच्चा

Kargil War Hero Stories: वेदपाल जब शहीद हुए थे तब वह 6 माह की गर्भवती थी और 6 माह बाद बिटिया के रूप में उसे तनु प्राप्त हुईं, जो आज अजमेर में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है.

कारगिल वॉरः चिट्ठी का इंतजार शहादत का संदेश पत्नी के गर्भ में 6 माह का बच्चा
रेवाड़ी. साल 1999 भारत और पाकिसान के बीच कारगिल युद्ध हुआ था. इस युद्ध को हुए अब 26 साल पूरे होने जा रहे हैं. 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाएगा. ऐसे में हम आपको हरियाणा के शूरवीर की शहादत की कहानी बताने जा रहे हैं. इस शूरवीर ने शादी के महज 15 माह बाद ही अपनी जान देश के लिए कुर्बान कर दी थी और उस समय उनकी पत्नी गर्भवती थी. हालांकि, अब बेटी डॉक्टर बन चुकी है. दरअसल, हरियाणा के रेवाड़ी जिले के गांव राजगढ़ निवासी वेदपाल देश सेवा के जज्बे के साथ पांच राजपूत राइफल में भर्ती हुए थे. नौकरी लगने के बाद विवाह हुआ. विवाह को मात्र 15 माह ही हुए थे कि वेदपाल छुट्टी लेकर घर वापस आ गए, फिर एकाएक संदेश मिला कि छुट्टियां रद्द हो गई हैं और कारगिल में युद्ध शुरू हो गया. इस दौरान परिजन बेटे की चिट्ठी का इंतजार कर रहे थे, लेकिन वेदपाल की चिट्ठी तो नहीं आई, बल्कि, उनके शहीद होने की सूचना परिवार को मिली. आज वेदपाल को शहीद हुए  25 वर्ष बीत गए हैं. जब वेदपाल शहीद हुए थे, तब उनकी पत्नी बबीता 6 माह की गर्भवती थी. शहीद होने के तीन माह बाद बबीता ने एक बेटी को जन्म दिया था. जो आज अजमेर में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है. बबीता आज याद करते हुए कहती हैं कि 25 वर्ष बीत गए और पता ही नहीं चला. वह उस वक्त को याद करती रहती हैं कि उनकी शादी को मात्र 15 माह ही हुए थे. पति वेदपाल छुट्टी लेकर घर आए थे, लेकिन कारगिल युद्ध के कारण वह वापस ही ड्यूटी पर लौट गए. आज वेदपाल को शहीद हुए  25 वर्ष बीत गए हैं. जब वेदपाल शहीद हुए थे, तब उनकी पत्नी बबीता 6 माह की गर्भवती थी. बबीता बताती हैं कि मुझे और परिजनों को उनके ठीक-ठाक ड्यूटी पर पहुंचने की चिट्ठी का इंतजार था, लेकिन चिट्ठी तो नहीं आई आई . जिला सैनिक बोर्ड का संदेशा आया. इसमें कहा गया कि 20 सितंबर 1999 में पंजनी पोस्ट पुंछ राजौरी सेक्टर में आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए वेद प्रकाश शहीद हो गए हैं. जैसे ही यह संदेशा मिला परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. वेदपाल को भर्ती हुए भी कुछ ही समय हुआ था और घर की माली हालत भी ठीक नहीं थी लेकिन सरकार ने कुछ वायदे किए थे जो पूरे कर दिए. आज गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का नाम शाहिद वेदपाल के नाम पर रखा गया है. वेदपाल के छोटे भाई को सरकार ने नौकरी दी. शहीद होने के तीन माह बाद बबीता ने एक बेटी को जन्म दिया था. बेटे पर मुझे गर्व है- मां शहीद वेदपाल की मां ममवती कहती है कि उन्हें अपने बेटे पर फक्र है कि उसने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी, लेकिन इस बात का भी मलाल है कि दो बेटों में से अब सिर्फ एक रह गया. पत्नी बबीता देवी बताती है कि वेदपाल जब शहीद हुए थे तब वह 6 माह की गर्भवती थी और 3 माह बाद बिटिया के रूप में उसे तनु प्राप्त हुईं, जो आज अजमेर में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है. Tags: Haryana News Today, Indian Army Heroes, Indian Army latest news, Indian Army Pride Stories, Indian Army Vijay Diwas, Indo Pakistan War 1965, Kargil day, Kargil war, Punjab haryana news liveFIRST PUBLISHED : July 23, 2024, 10:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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