पहासू का किला दिलाता है ब्रिटिश शासन की याद 12वीं शताब्दी से जुड़ा है इतिहास

Pahasu Fort, Bulandshahar: 1857 के विद्रोह के दौरान पहासू एस्टेट ने ब्रिटिश सेना का समर्थन किया, जिसके बाद उन्हें ब्रिटिश सरकार से और भी अधिक संपत्तियां प्राप्त हुईं. आज, पहासू का किला नवाब फैयाज अली खान से जुड़ा माना जाता है.

पहासू का किला दिलाता है ब्रिटिश शासन की याद 12वीं शताब्दी से जुड़ा है इतिहास
बुलंदशहर: बुलंदशहर जिले से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित पहासू एक छोटा सा कस्बा है, जहां का ऐतिहासिक किला ब्रिटिश शासनकाल की गवाही देता है. यह किला लालखानी मुस्लिम नवाबों की जागीर हुआ करता था, जो उस समय के प्रमुख जमींदारों में गिने जाते थे. पहासू का किला ब्रिटिश भारत के दौर की घटनाओं और राजवंशों के उतार-चढ़ाव को जीवंत रूप से चित्रित करता है. लालखानी राजपूतों का इतिहास लालखानी मुस्लिम राजपूत बड़गूजर वंश के एक उपखंड से संबंध रखते थे. बुलंदशहर के 1875 के जिला गजेटियर में लालखानी राजपूतों के विस्तृत इतिहास का उल्लेख मिलता है. 12वीं शताब्दी में प्रताप सिंह द्वारा इस क्षेत्र में बसने के बाद, यह परिवार धीरे-धीरे बड़ी जमींदारी संपत्ति का मालिक बन गया. मुगल सम्राट जहांगीर के शासनकाल में लालखानी राजपूतों ने इस्लाम धर्म स्वीकार किया. हालांकि औरंगजेब के समय में उनकी प्रतिष्ठा कुछ कम हो गई थी, लेकिन शाह आलम के शासन में नाहर अली खान ने पीतमपुर का तालुका प्राप्त कर फिर से अपना वर्चस्व स्थापित किया. अंग्रेजों के साथ संबंध 1803 में, नाहर अली खान और उनके भतीजे दुंदी खान ने अलीगढ़ में अंग्रेजों के फ्रांसीसी जनरल पेरोन का विरोध किया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी अधिकांश संपत्ति जब्त कर ली गई. 1851 में, अंग्रेजों का समर्थन करने वाले मर्दान अली खान को इस संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा मिला. न्यायिक खरीद और विस्तार के माध्यम से उन्होंने बुलंदशहर, मथुरा, और अलीगढ़ में बड़ी जागीरों का निर्माण किया. उनकी मृत्यु के बाद संपत्ति को चार हिस्सों में बांटा गया, जिसमें पहासू एस्टेट मुराद अली खान को प्राप्त हुआ. किले की वर्तमान स्थिति 1857 के विद्रोह के दौरान पहासू एस्टेट ने ब्रिटिश सेना का समर्थन किया, जिसके बाद उन्हें ब्रिटिश सरकार से और भी अधिक संपत्तियां प्राप्त हुईं. आज, पहासू का किला नवाब फैयाज अली खान से जुड़ा माना जाता है. स्थानीय निवासी फजलू के अनुसार, यह किला लगभग 200 साल पुराना है, लेकिन अब खंडहर में तब्दील हो चुका है. पहासू और आसपास के लोग इस किले पर घूमने आते हैं, जो अब एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में जाना जाता है. Tags: Bulandshahr news, History of India, Local18FIRST PUBLISHED : September 23, 2024, 16:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed