‘अस्‍पताल की तरह कोर्ट पर भी…’ CJI ने मानी बुनियादी ढांचे की कमी

सीजेआई ने जिला स्‍तर पर जजों के पद भरने पर जोर दिया. हाईकोर्ट और राज्य सरकारों के लिए जिला कोर्ट में खाली पड़े पदों को भरना महत्वपूर्ण है. उन्‍होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट जैसे कई राज्य हैं जहां न्यायाधीशों की संख्या 160 है और 160 न्यायाधीशों के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना आसान नहीं है.

‘अस्‍पताल की तरह कोर्ट पर भी…’ CJI ने मानी बुनियादी ढांचे की कमी
हाइलाइट्स सुप्रीम कोर्ट में इन छुट्टियों में 21 बेंचों ने सुनवाई की. कुल 4000 मामलों में से 1,172 का निपटारा इस दौरान हुआ. सीजेआई ने कोर्ट के बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया. नई दिल्‍ली. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का मानना है कि जिस तरह भारत के लोगों का विश्‍वास अस्‍पतालों पर है, जहां वे बीमार होने की स्थिति में सही इलाज होने की उम्‍मीद लेकर पहुंचते हैं. ठीक वैसे ही लोगों की अस्‍था भारतीय न्‍याय व्‍यवस्‍था में भी है. यही वजह है कि देश में लगातार कोर्ट में आने वाले लोगों की संख्‍या बढ़ती जा रही है. चंद्रचूड़ ने पेंडिंग मामलों से निपटने के लिए कोर्ट में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर शनिवार को जोर दिया. उन्होंने माना कि अदालती मामलों की संख्या कम करने के लिए लोक अदालतों जैसे विभिन्न माध्यमों को अपनाया जा रहा है. लोगों की सुविधा के लिए अदालती फैसलों को रीजनल भाषाओं किया जा रहा है. ऐसा करने में AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद ली जा रही है. चंडीगढ़ के पोस्‍ट ग्रेजुएट इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) के 37वें दीक्षांत समारोह के मौके पर सीजेआई ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “अगर आप अस्पताल में देखें तो मरीजों की संख्या बढ़ती है और इसी तरह अदालतों में भी मामलों की संख्या बढ़ती है. इसके पीछे क्या कारण है? लोगों की अस्पतालों में आस्था है, इसलिए मरीजों की संख्या बढ़ती है. जैसे अस्पतालों में बुनियादी ढांचे को बढ़ाना है, वैसे ही अदालतों में भी बुनियादी ढांचे को बढ़ाना होगा.” #WATCH | Chandigarh: CJI DY Chandrachud says, “… The no. of court cases has increased because people’s faith has increased… We need to increase the infrastructure and adopt new mediums. Recently, we adopted the system of Lok Adalat in which we cleared around 1000 cases in 5… pic.twitter.com/Uds2LmKCLM — ANI (@ANI) August 10, 2024

सीजेआई ने जोर देते हुए कहा कि हमें नए माध्यम भी अपनाने होंगे. पिछले सप्ताह एक विशेष लोक अदालत आयोजित की गई थी, जिसमें पांच दिनों में करीब 1,000 मामलों का फैसला किया गया. इस साल गर्मी की छुट्टियों के दौरान सुप्रीम कोर्ट की 21 बेंचों ने काम किया और करीब 4,000 मामलों की सुनवाई की. 4,000 मामलों में से 1,170 मामलों का निपटारा किया गया. विभिन्न माध्यमों से हम मामलों की संख्या कम कर सकते हैं.”

यह भी पढ़ें:- विदेश मंत्री के दौरे से लाइन पर आया मालदीव, अपनाने को तैयार हुआ UPI, लेकिन इसमें भी ढूंढ लिया अपना फायदा

सीजेआई ने कहा कि यह देखा गया है कि अदालतों में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा अंग्रेजी है. आम लोगों को उनके मामलों के बारे में आसानी से समझने के लिए AI की मदद से फैसलों का रीजनल भाषाओं में अनुवाद कर रहे हैं. “1950 से 2024 तक लगभग 37,000 सुप्रीम कोर्ट के फैसले हैं और उनमें से 22,000 फैसलों का पंजाबी में अनुवाद किया गया है. 36,000 से अधिक फैसलों का हिंदी में अनुवाद किया गया है. हम सभी भाषाओं में फैसलों का अनुवाद कर रहे हैं.”

सीजेआई ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की जा रही है. “तकनीक के माध्यम से हमने कई पहल की हैं.” जजों की कमी पर एक सवाल का जवाब देते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि इसके पीछे कई कारण हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट जैसे कई राज्य हैं जहां न्यायाधीशों की संख्या 160 है और 160 न्यायाधीशों के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना आसान नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में कोई पद खाली नहीं है और उनके कार्यकाल के दौरान 34 जज कार्यरत हैं. हालांकि, सीजेआई ने जिला स्‍तर पर जजों के पद भरने पर जोर दिया. हाईकोर्ट और राज्य सरकारों के लिए जिला कोर्ट में खाली पड़े पदों को भरना महत्वपूर्ण है.

Tags: DY Chandrachud, Hindi news, Supreme Court