बारिश के दौरान अमरूद के पेड़ों में दिखें ये लक्षण तो हो जाएं सावधान!

इस रोग का सबसे पहला लक्षण मानसून की शुरुआत में दिखता है. हल्के पीले रंग के पत्ते का दिखना, साथ ही तीक्ष्णता और पत्तियों का मुरझाना (एपिनेस्टी ) इत्यादि प्रमुख लक्षण है. इस समय पौधे की कुछ टहनियां नंगी हो जाती हैं और नए पत्ते या फूल नहीं निकाल पाती हैं और अंततः सूख जाती हैं.

बारिश के दौरान अमरूद के पेड़ों में दिखें ये लक्षण तो हो जाएं सावधान!
सहारनपुर. अमरूद खाना हर किसी को पसंद है. यह फल मिनरल्स औऱ विटामिन से भरपूर होता है. सर्दी के मौसम में लोग बहुत चाव से इसे खाते हैं. इसके अंदर प्रचूर मात्रा में फाइबर भी पाया जाता है. अमरूद खाने से कब्ज की बीमारी ठीक हो जाती है. अच्छे और ताजे अमरूद की कीमत आमतौर 60 से 80 रुपये किलो तक होती है. सहारनपुर जनपद में बड़े स्तर पर घाड़ क्षेत्र में अमरूद की बागवानी करना किसान काफी पसंद करते हैं. लेकिन सहारनपुर के अमरूद की खेती कर रहे किसान इन दिनों काफी परेशान है. इन दिनों अमरूद पेड़ अचानक सूखने लगे है. अमरूद के 8 से 10 साल पुराने पेड़ जड़ गलने से सूखते जा रहे है. पेड़ों के सूखने की इस बीमारी को विल्ट कहा जाता है. इस रोग का सबसे पहला लक्षण मानसून की शुरुआत में दिखता है. हल्के पीले रंग के पत्ते का दिखना, साथ ही तीक्ष्णता और पत्तियों का मुरझाना (एपिनेस्टी ) इत्यादि प्रमुख लक्षण है. इस समय पौधे की कुछ टहनियां नंगी हो जाती हैं और नए पत्ते या फूल नहीं निकाल पाती हैं और अंततः सूख जाती हैं. सभी प्रभावित शाखाओं के फल अविकसित, कठोर और पथरीले रहते हैं. बाद में, पूरा पौधा मुरझा जाता है और अंततः मर जाता है. पेड़ो में कैसे फैलती है विल्ट की बीमारी लोकल 18 से बात करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी प्रोफेसर डॉ. आई.के कुशवाहा ने बताया कि सहारनपुर क्षेत्र में अमरूद का रकबा काफी अच्छा है. अमरूद के पेड़ के सूखने की समस्या विल्ट की है. इसमें पौधा आंशिक रूप से धीरे-धीरे पूरा सूख जाता है. पौधे में दो सेक्शन होते हैं जाइलम और फ्लोएम होते है. जाइलम रूट सेक्शन कहलाता है जो पानी व पोषक तत्वों को पेड़ में ऊपर तक पहुंचाता है. जबकि फ्लोएमसूरज की रोशनी से पत्तियों के द्वारा जड़ों तक पोषक तत्वों को भेजता है. विल्ट जाइलम के जो वेसल्स है उनको रोक देता है जिससे आंशिक रूप से पूरा पौधा धीरे-धीरे सूख जाता है. ये बीमारी अक्सर बरसात के समय में आती है. ऐसे करें विल्ट बीमारी से बचाव डॉक्टर आई.के कुशवाहा ने लोकल 18 को बताया कि विल्ट बीमारी से बचने के लिए खेत में गहरी जुताई ना करें. गहरी जुताई करने से पेड़ों की जड़े कट जाती है. जड़ के काटने से बीमारी फैलने वाली जो फफूंदीया है वह उस जख्म के सहारे से पेड़ की जड़ में प्रवेश करती है और हमारे पौधों को प्रभावित करती है. अमरूद के खेत में पानी का भराव ज्यादा समय तक ना हो. साथ ही पेड़ से लगभग 1 मीटर दूरी पर रासायनिक उर्वरक डालें. पेड़ से 1 मीटर दूरी पर एक गड्ढा बना दें जिसमे लगभग NPK 250 ग्राम, सौ ग्राम कार्बेन्डाजिम + मैन्कोज़ेब, थियामेथोक्सम 50 ग्राम मात्रा और फिटकरी 25 ग्राम सड़ी गोबर की खाद में अच्छे से मिलाकर के डालना है. पेड़ की छोटी जड़ों के संपर्क में यह आएगा और पौधे में आ रही विल्ट बीमारी को रोकेगा साथ ही पौधे को मजबूती प्रदान करेगा. Tags: Agriculture, Local18, Saharanpur news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 12, 2024, 13:58 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed