राबिया अल बसर: सूफ़ी संत के कुछ कलाम सुनो तुम लिख के दे दो ना

Sufi saint Rabia Basar: राबिया बसर ने हज़रत हसन बसरी को अपना मुर्शिद यानी गुरु धारण किया. 801 ईस्वी में चोला छोड़कर परमात्मा में विलीन हुईं राबिया की दरगाह येरुशलम के करीब है. बताते हैं कि वह आजीवन अविवाहित रहीं. गुलामी से आजाद होने के बाद अपना जीवन उन्होंने अल्लाह के नाम कर दिया था.

राबिया अल बसर: सूफ़ी संत के कुछ कलाम सुनो तुम लिख के दे दो ना