वर्किंग वीमन स्पेशल: मां बनने की प्लानिंग कर रही हैं 6 काम जो करने जरूरी

How to plan your maternity: मां बनना अपने आप में एक लाइफ चेंजिग फेज़ है. यह न सिर्फ एक महिला के शारीरिक, मानसिक पहलुओं बल्कि एक परिवार के वित्तीय जीवन को भी प्रभावित करता है. खुशियों के साथ आने वाली जिम्मेदारियों को हैंडल करने के लिए क्या करना चाहिए, इसके लिए पढ़ें छह बिन्दुओं वाली यह गाइड...

वर्किंग वीमन स्पेशल: मां बनने की प्लानिंग कर रही हैं 6 काम जो करने जरूरी
Maternity planning, emergency fund, SIP and Investment: अगर आप कामकाजी महिला हैं और मैटरनिटी प्लान करने वाली हैं तो जरूरी है कि आप इसे सही से प्लान करें. यह प्लानिंग विभिन्न मोर्चों पर होनी होगी और इसके लिए दुरुस्त वित्तीय योजना बनानी होगी. मां बनने कै खूबसूरत अहसास के साथ ही आती हैं तमाम तरह की जिम्मेदारियां और चुनौतियां. इन्हें बेहतरीन ढंग से हैंडल किया जा सके, इसके लिए वित्तीय रूप से जागरूक होने की जरूरत है. फिनऐज के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर मयंक भटनागर करते हैं कि फाइनेंशल सिक्यॉरिटी के लिए जर्नी की छोटी शुरुआत करें और इसमें अनुशासित निरंतरता लाए रखें. आइए जानें मां बनने से पहले की प्लानिंग से जुड़े 6 जरूर पहलू: भटनागर कहते हैं कि आपातकालीन निधि बनाने को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता देने से आपको सुकून मिलेगा कि आप उस कठिन वक्त के लिए खुद को तैयार कर चुकी हैं जो आ सकता है. हमारी सहयोगी साइट मनी कंट्रोल के लिए भटनागर लिखते हैं कि अपने नन्हे-मुन्नों का स्वागत करना निस्संदेह रोमांचक है लेकिन यह एक कदम पीछे हटने और अपनी वित्तीय स्थिति का आकलन करने का भी सही समय है. इमर्जेंसी फंड किसी भी ऐसी कंडिशन से निपटने में आपकी मदद करेगा जो आपदा या कठिनाई की तरह आती है, यह उस दौरान सेफ्टी नेट के तौर पर काम करता है, मानसिक शांति और वित्तीय स्थिरता प्रदान करता है. बजट बनाएं और बने हुए बजट को रिव्यू करें: अपने मासिक खर्चों पर कड़ी नजर रखें और उन एरियाज़ की पहचान करें जहां आप कुछ कटौती कर सकते हैं. इन कटौतियों से होने वाली बचत को अपने इमर्जेंसी फंड में डालें. याद रखें, बचाया गया प्रत्येक रुपया कमाया हुआ रुपया है. कुछ पैसे को सोच-समझकर निवेश भी कर सकते हैं. छोटी-छोटी बचत से करें शुरुआत: नई गर्भवती माताओं के लिए आपातकालीन निधि के लिए कम से कम 3-6 महीने के तमाम खर्च का पूल बनाना जरूरी है. सुनिश्चित करें कि आपका बचत-से-अधिशेष (Savings-to-Surplus) अनुपात 75 प्रतिशत से ऊपर हो. अपनी कुल मासिक आय का एक हिस्सा अपने इमर्जेंसी फंड में डालें. एसआईपी शुरु कर ऑटोमेट करें : बचत का निवेश ऑटोमेट हो जाए तो बेहतर! एक ऐसे फंड में एसआईपी खाता स्थापित करें जो आपकी आवश्यकताओं के लिए सबसे सही हो. जब अपने निवेश को आप ऑटोमेट कर लेती हैं तो बिना सोचे-समझे खर्च करने की संभावना कम हो जाती है और फाइनेंसेस पर कंट्रोल अच्छे से हो जाता है. (ये जरूर पढ़ें- लड़कियां झिझकें नहीं, निवेश शुरू करें, पैसा डूबेगा नहीं, हाई रिटर्न देंगे ये 3 विकल्प) लॉन्ग टर्म के लिए लक्ष्य तय करें: इमर्जेंसी फंड सेट अप कर लेने के बाद लॉन्ग टर्म के टारगेट को प्लान करें. इसमें आपके बच्चे की शिक्षा योजना या आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग शामिल हो सकती है. शॉर्ट टर्म, आपातकालीन फंड के लिए सेविंग व प्लानिंग के बाद इन लॉन्ग टर्म लक्ष्यों की अनदेखी ठीक नहीं. (महिलाओं और पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी ऐसी ही अधिक जानकारी के लिए आप यहां क्लिक कर सकती हैं) आपातकालीन कोष को भी रिव्यू करें: जैसे मासिक बजट को किया, वैसे ही आपातकालीन फंड को भी रिव्यू करते रहें. ये कितना बड़ा आपने बनाया था और अब जरूरत के मुताबिक क्या इसका साइज़ और बड़ा करना चाहिए? शॉर्ट टर्म के खर्चों पर मुद्रास्फीति, विशेष रूप से मेडिकल खर्च के मामले में, बहुत अधिक फर्क पड़ सकता है. इसलिए, समय-समय पर अपने आपातकालीन फंड का रिव्यू करें और इस हिसाब से अजस्ट करें. जल्द से जल्द शुरुआत करें: चाहे इमर्जेंसी फंड बनाने की बात हो या फिर निवेश की, जल्दी शुरुआत करने से कई फायदे होते हैं. यह रिटर्न को भी प्रभावित करता है और फंड के पूरी तरह से सेट अप होने में लगने वाले कुल समय को. इसलिए जब आप मां बने की प्लानिंग करें तो इससे जुड़ी फाइनेंशल प्लानिंग जितना जल्दी हो सके, जल्द से जल्द करें. Tags: Pregnant woman, Women's FinanceFIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 09:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed