नई दिल्ली: जिस दिन से केंद्र सरकार ने देश में बेरोजगारी कम करने और सेना को युवा करने के उद्देश्य से अग्निपथ योजना की घोषणा की है तभी से देश में इसके खिलाफ लहर चल रही है. बिहार से लेकर हरियाणा तक पूरे देश भर में लगातार विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. अग्निपथ योजना को लेकर बिहार के नेता प्रतिपक्ष ने तो यह तक कह दिया, ‘देश पर खतरा लगातार बढ़ रहा है पर मोदी सरकार इससे बेफिक्र होकर अग्निपथ योजना के अंतर्गत सामाजिक सुरक्षा, पेंशन, स्थायी सैनिकों के भत्ते और रक्षा बजट कम करने के बहाने ढूंढ़ रही है.’
ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या सरकार वाकई में देश के रक्षा बजट को कम करने का तरीका ढूंढ रही है. जबकि पिछले कुछ सालों के बजट के आंकड़े यह बताते हैं कि रक्षा बजट में दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. कहीं ऐसा तो नहीं है कि रक्षा बजट के कंधों से तनख्वाह और पेंशन के बोझ को कम करने के लिए यह कवायद की जा रही है. क्या है इसकी वजह…क्यों किया जा रहा है ऐसा. आइए समझते हैं…
17 साल की सेवा में एक सैनिक पर सरकार का कितना खर्च?
अग्निपथ योजना आने के बाद से यह कहा जा रहा है कि इसको लागू करने के लिए सशस्त्र बल अधिकारियों से कोई परामर्श नहीं लिया गया, इस पर सरकार ने जवाब भी दिया है कि पिछले दो सालों से इस विषय पर सेवारत सशस्त्र बल अधिकारियों से व्यापक स्तर पर परामर्श लिया गया है. जनसत्ता में प्रकाशित खबर के मुताबिक 2020 में ही सेना ने पैसा बचाने के लिए एक प्रारंभिक प्रस्ताव लाकर इस तरह की योजना का प्रारूप पेश किया था. शुरुआत में 3 साल के मॉडल पर विचार किया गया था. इस प्रस्ताव में जो आकलन लगाया गया था उसके मुताबिक अगर 17 साल के अनुबंध पर रखे गए जवान की तुलना 3 साल की सेवा पर रखे गए जवान से करें तो सरकार एक सिपाही पर करीब 11.5 करोड़ की बचत कर सकती है. इस तरह महज 1000 जवानों पर ही करीब 11000 करोड़ रुपये की बचत हो जाती है. सरकार इन पैसों का उपयोग भारतीय सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए कर सकती है. यही नहीं बीते कुछ सालों के केंद्रीय बजट के आंकड़ों से पता चलता है कि रक्षा बजट में पेंशन की हिस्सेदारी बढ़ी है. वन रैंक वन पेंशन के बाद इसमें उल्लेखनीय इजाफा हुआ है.
पेंशन और वेतन में खर्च हो रहा आधा रक्षा बजट
2013-14 से 2021-22 तक भारत की जीडीपी दोगुनी से ज्यादा होकर 112 लाख से बढ़कर 237 करोड़ पर पहुंच गई है. इस अवधि में रक्षा बजट भी दोगुना हुआ. हालांकि इस दौरान बजट में वेतन का हिस्सा काफी हद तक स्थिर रहा, लेकिन पेंशन खर्च में काफी हद तक बढ़ोतरी हुई. ‘वन रैंक वन पेंशन’ योजना के बाद तो इसका लाभ 1 जुलाई, 2014 से प्रभावी हुआ, जिसने रक्षा बजट पर खासा असर डाला. 2013-14 में रक्षा बजट 2.3 लाख करोड़ था, जो 2021-22 तक आते-आते 5.3 लाख करोड़ तक पहुंच गया. इस दौरान वेतन 2013-14 के कुल बजट के 24.2 फीसद से 2021-22 तक 25.6 फीसद तक बढ़ा. वहीं पेंशन में इन सालों में करीब 5 फीसद का इज़ाफा हुआ. इस तरह 2013-14 में जहां वेतन और पेंशन पर रक्षा बजट का कुल 42.2 फीसद खर्च हो रहा था. वही अब बढ़कर 48.4 फीसद पर पहुंच गया है. कुल मिलाकर रक्षा बजट का करीब आधा हिस्सा वेतन और पेंशन पर खर्च किया जा रहा है.
रक्षा बजट में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी थल सेना की
अगर तीनों सेनाओं की बात की जाए तो वायु सेना और नौसेना के मुकाबले थल सेना में रोजगार कई गुना ज्यादा है. बल्कि यूं कहना चाहिए कि लगभग पूरा ही है. चूंकि यहां काम करने वाले लोग ज्यादा हैं, तो स्वाभाविक है कि वेतन और पेंशन का हिस्सा भी यहीं पर ज्यादा होगा. 2022-23 में रक्षा बजट से तीनों सेनाओं को दिए जाने वाले वेतन और पेंशन के कुल योगदान में से थलसेना का हिस्सा 79 फीसद (वेतन) और 86 फीसद (पेंशन) है.
थल सेना में पेंशन पर ज्यादा, वेतन पर कम खर्च
2013-14 में थल सेना ने पेंशन पर जो खर्च किया वह वेतन पर खर्च किए धन का 82 फीसद था. इसी तरह 2020-21 में OROP प्रभावी होने के बाद थलसेना का पेंशन बिल वेतन के रूप में भुगतान की तुलना में 125 फीसद अधिक था. लेकिन फिर नियमित भर्ती की वजह से यह कम हुआ. अगर कोविड की वजह से भर्ती पर रोक नहीं लगती तो यह और भी ज्यादा हो जाता. क्योंकि नियमित भर्ती की वजह से वेतन खर्च बढ़ जाता. नौसेना और वायुसेना में भी यही स्थिति रही है.
यूके, चीन की तुलना में भारत में सेनाओं के वेतन और पेंशन का खर्च ज्यादा
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक नाटो और एमपी-आईडीएसए (रक्षा शोध और सुरक्षा का संगठन) से मिले डेटा बताते हैं कि भारत में वेतन और पेंशन पर होने वाले खर्च की तुलना में दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थों का खर्च काफी कम है. मसलन जहां भारत में रक्षा बजट का 48.4 फीसद हिस्सा वेतन और पेंशन में जाता है, वहीं यूके में यह 34.5 फीसद और चीन में सबसे कम 30.8 फीसद है. रक्षा बजट का सबसे बड़ा हिस्सा वेतन और पेंशन में खर्च करने के मामले में सबसे ऊपर इटली है, जो करीब 65.7 फीसद हिस्सा वेतन और पेंशन पर खर्च करता है. इस सूची में भारत का स्थान तीसरा है. दूसरे नंबर पर कनाडा है.
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Tags: Army Bharti, Indian Armed ForcesFIRST PUBLISHED : June 17, 2022, 12:59 IST