शरीर के लिए संजीवनी से कम नहीं ये हरे पत्ते कई बीमारियों के लिए रामबाण

पुदीना औषधीय गुणों से भरपूर होता है. गर्मियों में पुदीना शरीर के लिए संजीवनी के समान है. पदीना कई बीमारियों के लिए रामबाण माना जाता है. आइए जानते हैं पुदीने के फायदे. (रिपोर्ट सनन्दन उपाध्याय)

शरीर के लिए संजीवनी से कम नहीं ये हरे पत्ते कई बीमारियों के लिए रामबाण
रिपोर्ट आदित्य कृष्ण अमेठी:  गांव के सरकारी स्कूलों की स्थिती देख कोई भी गार्जियन अपने बच्चे को वहां पढ़ने के लिए नहीं भेजता है. इधर की कुछ सालों में लोगों नें सरकारी स्कूल को लेकर अपने दिमाग कुछ अलग तरह की छवि बना ली है. लोगों को ऐसा लगता है कि गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की वह गुणवक्ता नहीं रह गई है, जो पहले थीं. पहले टीचर पढ़ाने के लिए समय से आते थे. लेकिन न अब छात्र आ रहा है और न बच्चे. ऐसे में अमेठी की एक प्रधानध्यापिका गार्जियनों के इस मिथ्य को तोड़ने का काम कर रही है. स्कूल में मिलती है कॉन्वेंट जैसी सुविधा  प्राथमिक विद्यालय सारीपुर का प्राइमरी विद्यालय किसी कान्वेंट स्कूल से कम नहीं है. बच्चे यहां फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने के साथ-साथ कंप्यूटर चलाने में एक्सपर्ट है.  स्मार्ट क्लास प्ले ग्राउंड खेलकूद की गतिविधियों में शामिल होने के साथ अन्य सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं.  बच्चों को समय- समय पर टूर के लिए ले जाया जाता है. उन्हें किताबों के ज्ञान के साथ सामान्य ज्ञान, इतिहास,  भूगोल और अन्य ज्ञानवर्धक बातें बताई जाती है. विद्यालय बच्चों के सर्वागिण विकास के लिए तरह-तरह की गतिविधी विद्यालय की ओर से करवाई जाती है. स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा साबरीन बानो ने बताया कि उनके विद्यालय में सभी हाईटेक सुविधाएं हैं, जो अन्य विद्यालयों में नहीं है.  यहां पर कंप्यूटर क्लास, स्मार्ट क्लास के साथ सभी सुविधाएं हैं. साबरीन आगे बताती है कि इनके स्कूल में टीचर रोजाना पढ़ाने आती है. सभी विषय बहुत अच्छे से समझ में आता है. अध्यापक बनकर कुछ अलग करने का था जुनून विद्यालय की प्रधानाध्यापिका पूर्णिमा शुक्ला ने कहा कि उनका से सपना था कि वह अध्यापक बनकर इस समाज के लिए कुछ ऐसा करें जो और के लिए उदाहरण बनें. उनका बचपन से ही टीचर बनने का सपना था. वह टीचर बनकर देश के भविष्य को संवारने चाहती थीं. पूर्णिमा आगे बताती हैं कि जब वह इस स्कूल की बागडोर संभाली थी तो इस विद्यालय की स्थिती बेहाल थी. लेकिन वह धीरे-धीरे व्यवस्था को बदलती गई. लोगों के दिमाग में सरकारी विद्यालय की जो छवि है. उसको बेहतर करने के लिए के उन्होंने हर संभव प्रयास किया. नतीजा ये हुआ कि आज गांव के लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए एडमिशन करवाने भारी संख्या में आ रहे हैं. Tags: Amethi news, Local18FIRST PUBLISHED : May 8, 2024, 11:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed