लोकसभा चुनावों में काम कर रहा है BJP या सपा-कांग्रेस का MY फैक्टर!

लोकसभा चुनाव 2024 में राहुल गांधी हों या अखिलेश यादव दोनों ही MY (मुस्लिम-यादव) फैक्टर के सहारे जीत का दावा कर रहे हैं. तो, दूसरी तरफ है बीजेपी का MY फैक्टर (महिला-यूथ). यानी किसी भी बाजी को पलट देने वाला वो साइलेंट वोटर. जानें यहां-

लोकसभा चुनावों में काम कर रहा है BJP या सपा-कांग्रेस का  MY फैक्टर!
(योगेंद्र यादव/ Yogendra Yadav) लोकसभा चुनाव का छठा चरण आते-आते राजनीतिक पंडित साइलेंट वोटर की नब्ज टटोलने लगे हैं. साइलेंट वोटर यानी महिला और यूथ. ये समझने की कोशिश की जा रही है कि अखिलेश यादव और राहुल गांधी के MY यानी मुस्लिम-यादव फैक्टर पर बीजेपी का MY यानी महिला और यूथ फैक्टर कितना हावी है. आधी आबादी और यूथ इस बार किस ओर जा रहा है. क्योंकि, इसे साइलेंट वोटर कहा जाता है और महिलाएं जिधर जाती हैं नतीजे उधर ही भारी आते हैं. सवाल ये भी है कि बीजेपी की वीमेन पावर से इंडिया ब्लॉक कैसे पार पाएगा. क्योंकि अबतक के रुझान और आंकड़े जो इशारा कर रहे हैं वो होश उड़ा देने वाले हैं. और सारे गुणा गणित को फेल कर देने वाला है. पिछले 10 साल में भारतीय जनता पार्टी ने संगठन और सरकार के एकजुट प्रयास से उत्तर प्रदेश में हर जाति में पैठ बना ली है. लेकिन सबसे अहम बात ये है कि बीजेपी ने इसके समानांतर भी अपना एक बड़ा वोट बैंक खड़ा कर लिया है और ये वोटबैंक जाति तथा मजहब से परे है- वह है आधी आबादी यानी महिला मतदाता. ये महिला मतदाताओं की ही ताकत है, जिसके दम पर 2014 से बीजेपी को लगातार दो लोकसभा चुनावों और तमाम राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ ही प्रदेश स्तर के पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव में सफलता हासिल हुई है. इस चुनाव में राहुल गांधी और अखिलेश यादव के लिए भाजपा के इसी वीमेन पावर हाउस को अपनी तरफ करना बड़ी चुनौती है. देश में आजादी के बाद से अब तक वोटिंग ट्रेंड को देखें तो जो महिलाएं पहले कभी पुरुषों के मुकाबले कम वोट करती थीं, लेकिन अब वे अब कंधे से कंधा मिलाकर सरकारें चुन रही हैं. 2004 के पहले तक महिला और पुरुषों में वोटिंग का अंतर 12 से 14 फीसदी हुआ करता था. लेकिन 21वीं सदी के पहले आम चुनाव 2004 में ये अंतर घटकर 9 से 10 फीसदी हो गया. पांच साल बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में अंतर और घटा और अब पुरुषों के मुकाबले सिर्फ 5 से 6 प्रतिशत कम महिला मतदाताओं ने मतदान किया. 2014 में ये अंतर 2 फीसदी से भी कम हो गया और 2019 में महिलाओं ने पुरुषों से बराबरी हासिल कर ली. 2019 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश में महिलाओं और पुरुषों का वोट प्रतिशत एक समान 66.8 फीसदी रहा. और 2024 के आम चुनाव की बात करें तो अबतक 137 ऐसी सीटें हैं जहां महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोटिंग की है. महिलाओं की ये बढ़ती वोटिंग सीधे बीजेपी को फायदा पहुंचाती दिख रही है और ऐसा आंकड़े कह रहे हैं. ट्रेंड बता रहा है कि पिछले 15 साल से बीजेपी को मिलने वाला महिला वोट लगातार बढ़ता जा रहा है. 2007 में भारतीय जनता पार्टी को 16 फीसदी महिलाओं के वोट मिले थे. 2012 में बीजेपी को मिलने वाला महिला वोट 14 प्रतिशत था. 2017 में अचानक उछाल मारते हुए 41 प्रतिशत महिला वोट भारतीय जनता पार्टी के खाते में आ गया. इसी तरह 2019 में उत्तर प्रदेश में 51 प्रतिशत महिला वोट बीजेपी को मिले, जो अब तक का सबसे अधिक है. अगर ये ट्रेंड बना रहा और 2024 में भी बीजेपी ने आधी आबादी के वोट पर बढ़त बनाई तो नतीजे बेहद चौंकाने वाले होंगे. जहां तक 2024 के चुनाव की बात है तो इस बार उत्तर प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या 15.29 करोड़ है. इनमें 8.14 करोड़ पुरुष और 7.15 करोड़ महिला वोटर हैं. इस बार 31.24 लाख नई महिला वोटर यूपी में जोड़ी गई हैं. ऐसे वोटर जो पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे उनकी कुल संख्या 20.41 लाख है. इनमें 7.28 लाख 18 से 19 साल की लड़कियां हैं. बीजेपी की विनिंग का W फैक्टर (जीत में महिलाओं की भागीदारी) इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि चंद दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब वाराणसी गए थे तो उन्होंने 25 हजार महिलाओं के साथ संवाद किया था. और पीएम मोदी अक्सर महिलाओं से संवाद कर, उनका सम्मान कर एक बॉन्ड बनाने में सफल हुए हैं. आधी आबादी जो एक लंबे वक्त तक उपेक्षा और पिछड़ेपन से जूझती रही, सियासत में कभी महिलाओं की बात ही नहीं होती थी. लेकिन नरेंद्र मोदी ने इस ट्रेंड को बदला. पहले नेता लोग घर के आदमियों से वोट मांग लेते थे. महिलाओं को कोई भाव तक नहीं देता था. लेकिन मोदी ने इस छूटी हुई कड़ी को पहचाना. आधी आबादी को पूरे सम्मान के साथ संवाद स्थापित किए. चाहे महिलाओं से संवाद हो, चाहे लखपति दीदियों का सम्मान हो, चाहे नारी वंदन अभियान हो या फिर कोई और मौका. प्रधानमंत्री मोदी ने ना सिर्फ महिलाओं से संवाद स्थापित किया बल्कि उनके सम्मान और हक की आवाज बुलंद कर पुरुष समाज को संदेश भी दिया. यही वजह है कि आज महिला वोटर के दिल में मोदी बसते हैं. इस कहानी का एक दूसरा पहलू भी है. एक वक्त था जब पुरुषों के मुकाबले महिला वोटर्स की एक तो संख्या बेहद कम थी, दूसरे महिलाओं की वोटिंग प्रतिशत भी बेहद कम रहा करती थी. लेकिन ये फासला धीरे-धीरे कम होता चला गया. अब मुकाबला बराबरी पर आ खड़ा हुआ है. पिछले 10 साल के वोटर्स डेटा की बात करें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल मतदाता 83.4 करोड़ थे जिसमें महिला 39.7 करोड़ और पुरुष 43.7 करोड़. यानी दोनों के बीच 4 करोड़ का फासला था. लेकिन 2019 में महिला और पुरुष वोटर्स के बीच का अंतर घटकर महज 3 करोड़ के आसपास रह गया. इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में मेल-फीमेल वोटर्स के बीच का अंतर महज 2 करोड़ के आसपास बचा है. यानी साल दर साल साइलेंट वोटर्स की संख्या बढ़ी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2029 में महिलाएं, पुरुषों अधिक वोटिंग करेंगी. वैसे 2024 में भी महिलाएं वोटिंग के मामले में पुरुषों से कहीं पीछे नहीं हैं. बल्कि अबतक देश की जिन 428 सीटों पर मतदान हुआ है उसमें से 137 सीटें ऐसी हैं जिनपर महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया है. – आंध्र प्रदेश की 25 सीटों पर चुनाव हुआ. 6 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से अधिक वोटिंग की. – बिहार की 24 सीटों पर चुनाव हो चुका है. 21 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से अधिक वोटिंग की. – केरल की 20 में से 10 लोकसभा सीटों पर महिलाएं पुरुषों से आगे रहीं. – तमिलनाडु की 39 में से 19 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से अधिक वोट डाले. – पश्चिम बंगाल में 25 सीटों पर मतदान हुआ. 18 सीटों पर महिलाओं की वोटिंग पुरुषों से अधिक है. – उत्तर प्रदेश में 53 सीटों पर वोट डाले गए. 9 सीटों पर महिलाएं वोटिंग में पुरुषों से आगे रहीं. कुल मिलाकर आधी आबादी पूरे जोश के साथ मतदान कर रही है. और भी कई राज्यों की तमाम ऐसी सीटें हैं जहां महिलाओं ने पुरुषों से अधिक वोट डाले. लेकिन सवाल उठता है कि ये वोट बीजेपी की तरफ ही गए इसकी क्या गारंटी…तो इसका जवाब भी जान लेते हैं. 2023 में जिस तरह तीन राज्यों में कमल खिला, जिस तरह मध्य प्रदेश में लाडली बहना फैक्टर ने काम किया, जिस तरह महिला फैक्टर बीते कई चुनावों के नतीजों में उलटफेर करता रहा या फिर उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव बीजेपी के लिए MY फैक्टर ने काम किया, उसके बाद महिला वोटर को अब हल्के में नहीं लिया जा सकता. 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद CSDS के चुनाव सर्वेक्षण में ये सामने आया कि बीजेपी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा लोकप्रिय है. 2019 के पूरे चुनाव में पूरे देश के मतदाताओं में 67.01 फीसदी पुरुष, जबकि 67.18 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया था. भाजपा का वोटर शेयर 37 फीसदी था, इनमें महिला वोटरों का प्रतिशत 36 फीसदी थी. यूपी में कुल मतदान प्रतिशत 59.21 फीसदी रहा था. इसमें महिला वोटरों की संख्या 45.89 प्रतिशत थी. इसमें भी भाजपा को महिलाओं का करीब 51 फीसदी वोट मिला था. विधानसभा चुनावों की बात करें तो 2022 के चुनाव में भाजपा को 16 फीसदी महिलाओं ने अधिक वोट किया, जबकि पुरुषों में ये आंकड़ा सिर्फ 4 फीसदी ही रहा. सर्वे में सामने आया कि विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के पीछे कुछ योजनाओं का फैक्टर अहम रहा. इनमें उज्जवला योजना, शौचालय योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, घर-घर बिजली योजना, किसान सम्मान निधि और मुफ्त राशन योजना प्रमुख हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भी इन तथ्यों को नकारा नहीं जा सकता. केंद्र सरकार की योजनाओं से एक बड़ी आबादी सीधे लाभान्वित हो रही है. और यही वजह है कि 2024 में ये साइलेंट वोटर बड़ा उलटफेर कर सकता है. महिला मतदाताओं के योगदान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बखूबी समझते हैं. यही वजह है कि वे अपने भाषणों में महिला वोटर्स को लेकर जीत का श्रेय देना कभी नहीं भूलते. आखिरी चरण में भी आधी आबादी लोकसभा चुनाव 2024 अब आखिरी दौर में है. 25 मई को छठे चरण में उत्तर प्रदेश की जिन 14 सीटों पर वोट डाले जाएंगे वहां भी महिला और युवा मतदाता बेहद निर्णायक भूमिका में हैं. लालगंज लोकसभा सीट पर महिला वोटर 52 प्रतिशत से ज्यादा हैं. इसी तरह गाजीपुर सीट पर करीब 49 प्रतिशत, जौनपुर में 48, आजमगढ़ और मछलीशहर में 47-47 और बलिया व राबट्र्गंज में 46-46 फीसदी महिला वोटर हैं. बीजेपी की रणनीति महिलाओं को लेकर स्पष्ट है. पहले कल्याणकारी योजनाओं से महिलाओं को सीधा फायदा पहुंचाया, फिर महिलाओं के हक में ऐतिहासिक फैसले लेकर पीएम मोदी ने आधी आबादी का दिल जीत लिया. जिनमें तीन तलाक पर प्रतिबंध, महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण की भी याद दिला रहे हैं. प्रधानमंत्री लगातार लखपति दीदी, ड्रोन दीदी योजनाओं का जिक्र कर रहे हैं. अब 2024 में विपक्ष सरकार बनाने का दावा तो कर रहा है, लेकिन उसकी सबसे बड़ी चुनौती इसी साइलेंट वोटर से मिलने वाली है. क्योंकि बीजेपी का MY यानी महिला और यूथ, राहुल-अखिलेश के MY यानी मुस्लिम यादव फैक्टर पर बेहद भारी पड़ता दिख रहा है. (योगेंद्र यादव लगभग 8 वर्षों से टीवी पत्रकारिता में सक्रिय हैं. वर्तमान में jharkhabar.com उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड में डिप्टी प्रोड्यूसर हैं. योगेंद्र ने न्यूज नेशन, ज़ी न्यूज और समाचार प्लस सहित कई संस्थानों विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं. आपने पत्रकारिता के साथ कामर्शियल एड फिल्म लेखन में भी काम किया है.) Tags: BJP Allies, Loksabha Elections, Narendra modi, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : May 24, 2024, 19:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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