मांझी के निशाने पर नीतीश कुमार क्या NDA में CM को फिर अलग-थलग करने की है चाल
मांझी के निशाने पर नीतीश कुमार क्या NDA में CM को फिर अलग-थलग करने की है चाल
लोकसभा चुनाव के बाद बिहार की राजनीति काफी बदल चुकी है. नीतीश कुमार पहले की तुलना में काफी मजबूत होकर उभरे हैं. इससे कहीं न कहीं भाजपा की राजनीतिक राह मुश्किल हो गई है.
लोकसभा चुनाव के बाद बिहार खासकर एनडीए के भीतर की राजनीति फिर से करवट बदलने लगी है. बीते लोकसभा चुनाव में एनडीए के घटक दल के रूप में सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू काफी मजबूत होकर उभरी है. उनकी पार्टी ने 12 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं एनडीए के तहत सबसे अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारने वाली भाजपा को भी 12 सीटों पर जीत मिली. दूसरी तरफ, केंद्र में भाजपा के अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं करने के कारण मोदी सरकार के स्थायित्व में भी जेडयू की भूमिका अहम हो गई है. इस मजबूती से बीते दिनों नीतीश कुमार भी पुराने अंदाज में लौटते दिखे. उन्होंने अपनी पार्टी में भी बड़ा बदलाव किया है. संजय झा को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी की दी गई है वहीं पूर्व आईएएस मनीष वर्मा को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है. राजनीतिक के जानकार मनीष वर्मा को नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी भी बता रहे हैं.
मांझी के निशाने पर नीतीश
दरअसल, शनिवार को एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री और हम पार्टी के प्रमुख जीतनराम मांझी ने खुलेआम नीतीश कुमार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि नीतीश ने एक बार उनके बारे में कहा था कि पैसा-कौड़ी है नहीं… जीतनराम क्या पार्टी चलाएगा. लेकिन, इसी कार्यक्रम में उन्होंने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने उन्हें बहुत अहम मंत्रालय दिया है. उन्हें नीति आयोग में बतौर सदस्य शामिल किया है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी आज दौड़ रही है. कुछ लोगों को जलन हो रहा होगा कि अकेले सांसद वाली पार्टी के नेता को पीएम मोदी ने पहली बार में ही अहम विभाग का मंत्री बना दिया है. अब जीतन राम के इन बयानों को परोक्ष तौर पर नीतीश कुमार पर हमला माना जा रहा है. दूसरी तरह 12 सांसद होने के बावजूद मोदी मंत्रिमंडल में जेडीयू को एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री का पद मिला है.
जेडीयू की मजबूती
कुल मिलाकर 2025 के विधानसभा में नीतीश कुमार को जो चोट लगी थी वो चोट इस चुनाव में भरता दिख रहा है. नीतीश की यह मजबूती निश्चिततौर पर बिहार में एनडीए के लिए अच्छा है लेकिन क्या यही बात भाजपा के संदर्भ में पूरे दावे के साथ कही जा सकती है? दरअसल, उत्तर भारत में बिहार ही एक ऐसा राज्य है जहां भाजपा आज तक अपने दम पर सरकार में आ पाई है. उसकी लगातार कोशिश रही है कि वह यहां अपनी व्यापक जनाधार बनाए. लेकिन, इस पहचान के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा खुद उसकी सहयोगी दल जेडीयू के नेता नीतीश कुमार हैं. बीते करीब ढाई दशक की राजनीति को देखें तो आप पाएंगे कि जब-जब नीतीश मजबूत हुए तब-तब भाजपा कमजोर हुई. ऐसे में नीतीश की मजबूती 2025 में भाजपा के लिए परेशानी बन सकती है. भाजपा ने उग्र हिंदुत्व को बल देते हुए सम्राट चौधरी के रूप में एक कुशवाहा नेता को उपमुख्यमंत्री बनाया है. सरकार में आने से पहले सम्राट चौधरी लंबे से नीतीश के घोर आलोचक थे.
2020 का चुनाव और चिराग पासवान
2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश की जेडीयू काफी कमजोर हो गई. वह राज्य में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. 243 सदस्यीय विधानसभा में उसे केवल 43 सीटें मिली. 2015 की तुलना में उसके 28 विधायक कम हो गए. दूसरी तरफ भाजपा के विधायकों की संख्या बढ़कर 74 हो गई. उस वक्त जेडीयू की हार में एक बड़ा फैक्टर चिराग पासवान थे. वह उस चुनाव में एनडीए के हिस्सा नहीं थे लेकिन वह खुद को मोदी का हनुमान बताते हुए नीतीश कुमार की नीतियों का कड़ा विरोध करते रहे. उन्होंने राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवारों के खिलाफ अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा लेकिन जेडीयू के उम्मीदवारों के खिलाफ पूरी ताकत से चुनाव लड़ा. इस कारण कहीं न कहीं एनडीए का वोट बंट गया और जेडीयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
नीतीश की नाराजगी
अपनी कमजोर स्थिति को लेकर नीतीश कुमार कहीं न कहीं भाजपा को जिम्मेदार मानते थे. इसी कारण उन्होंने 2022 में पाला बदलकर राजद को अपना साथी बना लिया. लेकिन, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने फिर पाला बदलकर भाजपा के साथ फिर गठबंधन बना लिया. लेकिन, लोकसभा चुनाव के बाद की परिस्थिति में असहज होने की बारी भाजपा की है. नीतीश इस वक्त केंद्र की मोदी सरकार के लिए अपरिहार्य बन गए है. ऐसे में वह बिहार में एनडीए के भीतर अपनी हनक बढ़ाने के लिए इस ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही अपनी पार्टी संगठन को भी मजबूत बनाने में जुटे हैं.
जीतन राम मांझी फैक्टर
बदली राजनीतिक परिस्थिति में भाजपा बिहार एनडीए के भीतर नीतीश कुमार पर दबाव बनाने के लिए जीतन राम मांझी को मोहरा बना सकती है. एक सांसद वाली पार्टी ने नेता यानी जीतनराम को पीएम मोदी के कैबिनेट में अहम स्थान दिया गया है. इनके जरिए वह दलित वोट साधने के साथ नीतीश कुमार पर परोक्ष वार करवा सकती है. राज्य में एनडीए के पांच अहम घटक दल- भाजपा, जेडीयू, लोजपा (रामविलास), हम और रालोसपा (उपेंद्र कुशवाहा) है. इसमें लोजपा, हम और यहां तक कि रालोसपा भाजपा के करीब हैं. ऐसे में नीतीश और उनकी पार्टी काफी हद तक अलग-थलग पड़ती दिख रही है.
Tags: CM Nitish Kumar, Jitan ram Manjhi, Pm modi newsFIRST PUBLISHED : July 21, 2024, 19:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed