संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) में एक प्रस्ताव का मसौदा पेश किया गया है. जिसमें 11 जुलाई को ‘सर्बिया नरसंहार दिवस’ के तौर पर मान्यता देने की बात कही गई है. यूएन ने इसको ‘द इंटरनेशनल डे ऑफ रिफ्लेक्शन एंड रिमेंबरेंस ऑफ द 1995 स्रेब्रेनिका जेनोसाइड’ (The International Day of Reflection and Remembrance of the 1995 Srebrenica Genocide) नाम दिया है.
इस प्रस्ताव का 15 देशों ने समर्थन किया. लेकिन सर्बिया, रूस जैसे देश अड़ गए. फिलहाल इस पर वोटिंग टाल दी गई है. यूरो न्यूज के मुताबिक साल 2015 में भी इस नरसंहार को मान्यता देने की कोशिश की गई थी. तब भी यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में प्रस्ताव पास नहीं हो पाया था.
क्या है पूरा कहानी?
सर्बिया नरसंहार की शुरुआत 11 जुलाई 1995 को हुई, लेकिन इसकी नींव 3 साल पहले ही रख दी गई थी. 1992 में यूगोस्लाविया के विखंडन के बाद झगड़ा शुरू हो गया. बोस्निया में रह रहे मुसलमानों और क्रोएशिया के लोगों ने अलग देश की मांग की और जनमत संग्रह में हिस्सा लिया. जबकि सर्बिया ने खुद को एक अलग देश घोषित कर दिया. यहीं से लड़ाई शुरू हुई और एक तरीके से सिविल वॉर छिड़ गया.
स्रेब्रेनिका पर कब्जे की लड़ाई
1992 की शुरुआत में बोस्निया सर्ब फोर्सेज ने पूर्वी बोस्निया और हर्जेगोविना इलाके के एक हिस्से पर कब्जे के लिए अभियान शुरू किया. जिसे स्रेब्रेनिका के नाम से जानते हैं. यह इलाका मुस्लिम बहुल था. सर्बिया, हर हाल में इस इलाके को हासिल करना चाहता था. बोस्निया सर्ब फोर्सेज को लगा कि इस इलाके को कब्जे में लेने के लिए वहां रह रहे बोस्नियाक लोगों को हटाना जरूरी है, क्योंकि वो कब्जे का विरोध भी कर रहे थे. करीब 3 साल रस्साकसी चलती रही.
मार्च 1995 में स्व-घोषित बोस्निया गणराज्य के प्रेसिडेंट राडोवन कराडज़िक ने अपनी सेना को आदेश दिया कि वो स्रेब्रेनिका में ऐसी ‘स्थिति’ पैदा करदे कि वहां रहने वाले लोग खुद-ब-खुद भाग जाएं. इसके बाद बोस्निया सर्ब फोर्सेज ने पूरे इलाके को घेर लिया.
UN का प्रस्ताव
इस बीच 6 अप्रैल 1993 को यह मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गया. वहां एक प्रस्ताव पारित किया गया. UN ने घोषणा की कि स्रेब्रेनिका और उसके आसपास का 30 वर्ग मील इलाका संयुक्त राष्ट्र का सुरक्षित क्षेत्र है. संयुक्त राष्ट्र ने स्रेब्रेनिका के लोगों को सुरक्षा देने का वादा किया. इस प्रस्ताव के बावजूद बोस्निया पीछे नहीं हटा. बल्कि और आक्रामक हो गया.
ऑपरेशन Krivaja 95
मई आते-आते स्रेब्रेनिका में खाने-पीने की चीजों की आपूर्ति रोक दी गई. बिजली, पानी जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई काट दी गई. इसके बाद तमाम लोग वहां से चले गए, लेकिन कुछ बोस्नियाक लड़ाके रह गए. उन्होंने बोस्निया सर्ब फोर्सेज का सामना करने और उनसे लड़ने का फैसला किया. जून में बोस्निया सर्ब फोर्सेज ने स्रेब्रेनिका को कब्जे में लेने के लिए खतरनार ऑपरेशन शुरू किया. इसे नाम दिया Krivaja 95. ऑपरेशन की कमान कमांडर राट्को म्लाडिक (Ratko Mladić) को सौंपी गई. कमांडर राट्को म्लाडिक (Ratko Mladić)
11 जुलाई का वो कत्लेआम
11 जुलाई को रात के अंधेरे में बोस्निया सर्ब फोर्सेज के करीब 10,000 सैनिक कमांडर राट्को की अगुवाई में स्रेब्रेनिका में घुस गए. तमाम सैनिकों ने यूएन की ड्रेस पहन रखी थी और नागरिकों से कहा कि वह उनकी सुरक्षा करने आए हैं. उनसे सरेंडर करने को कहा. हथियार वगैरह ले लिए. इसके बाद उन्हें बंधक बना लिया गया. महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और नौजवानों को अलग-अलग गाड़ियों में भरकर 12 और 13 जुलाई को सर्बिया के कब्जे वाले इलाकों में लाया गया.
8000 मुसलमानों का कत्ल
ब्रिटानिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ लोगों की 12 जुलाई को हत्या की गई, लेकिन मास मर्डर 13 जुलाई को हुआ. नौजवानों की आंख पर पट्टी बांध दी गई और उन्हें प्वाइंट ब्लैक से गोली मारी गई. ब्रिटानिका के मुताबिक इस नरसंहार में 8200 से ज्यादा नागरिकों की मौत हुई, जिसमें 8000 से ज्यादा मुसलमान थे. सर्बिया नरसंहार का मामला इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में भी गया.
लंबी सुनवाई के बाद इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस ने कहा कि 8372 नागरिकों की मौत का मामला निश्चित रूप से ‘नरसंहार’ के दायरे में आता है. साल 2004 में सर्बिया ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी. स्वीकार किया कि नरसंहार में 7800 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन आज भी इस घटना को नरसंहार बताने पर भड़क जाता है.
Tags: Russia, United NationFIRST PUBLISHED : May 15, 2024, 11:42 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed