चराईदेउ मैदाम क्या है जिसे विश्व विरासत स्थल में शामिल कर रहा UNESCO

क्या आपने चराईदेउ मैदाम का नाम सुना है? अगर नहीं सुना, तो अब आप ये नाम बार-बार सुनेंगे. दरअसल यनेस्को इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल करने जा रहा है. इस लिस्ट में यह भारत की 43वीं, लेकिन नॉर्थ ईस्ट की पहली साइट होगी. जानें इस जगह के बारे में...

चराईदेउ मैदाम क्या है जिसे विश्व विरासत स्थल में शामिल कर रहा UNESCO
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिये देशवासियों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने चराईदेउ मैदाम का खास तौर से जिक्र किया. असम के चराईदेउ मैदाम को यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की सूचि (UNESCO World Heritage Site) में शामिल किया जा रहा है. इस लिस्ट में यह भारत की 43वीं, लेकिन नॉर्थ ईस्ट की पहली साइट होगी. मन की बात कार्यक्रम की 112वीं कड़ी में पीएम मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं उस विषय को साझा करना चाहता हूं, जिसे सुनकर हर भारतवासी का सिर गर्व से ऊंचा हो जाएगा. लेकिन इसके बारे में बताने से पहले मैं आपसे एक सवाल करना चाहूंगा. क्या आपने चराईदेउ मैदाम का नाम सुना है? अगर नहीं सुना, तो अब आप ये नाम बार-बार सुनेंगे, और बड़े उत्साह से दूसरों को बताएंगे. असम के चराईदेउ मैदाम को यनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया जा रहा है. इस लिस्ट में यह भारत की 43वीं, लेकिन नॉर्थ ईस्ट की पहली साइट होगी.’ क्या है चराईदेउ मैदाम ऐसे में आपके मन में एक सवाल जरूर आ रहा होगा कि चराईदेउ मैदाम आखिर है क्या, और ये इतना खास क्यों है. चराईदेउ का मतलब होता है पहाड़ी पर एक चमकता शहर… ये अहोम राजवंश की पहली राजधानी थी. अहोम राजवंश के लोग अपने पूर्वजों के शव और उनकी कीमती चीजों को पारंपरिक रूप से मैदाम में रखते थे. मैदाम, टीले नुमा एक ढांचा होता है, जो ऊपर मिट्टी से ढका होता है, और नीचे एक या उससे ज्यादा कमरे होते हैं. ये मैदाम, अहोम साम्राज्य के दिवंगत राजाओं और गणमान्य लोगों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है. अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का ये तरीका बहुत यूनिक है। इस जगह पर सामुदायिक पूजा भी होती थी. अहोम साम्राज्य की भी किया जिक्र पीएम मोदी ने इसके साथ ही कहा, ‘साथियो, अहोम साम्राज्य के बारे में दूसरी जानकारियां आपको और हैरान करेंगी. 13वीं शताब्दी के शुरू होकर ये साम्राज्य 19वीं शताब्दी की शुरुआत तक चला. इतने लंबे कालखंड तक एक साम्राज्य का बने रहना बहुत बड़ी बात है. शायद अहोम साम्राज्य के सिद्धांत और विश्वास इतने मजबूत थे कि उसने इस राजवंश को इतने समय तक कायम रखा.’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मुझे याद है कि इसी वर्ष 9 मार्च को मुझे अदम्य साहस और शौर्य के प्रतीक, महान अहोम योद्धा लसित बोरफुकन की सबसे ऊंची प्रतिमा के अनावरण का सौभाग्य मिला था. इस कार्यक्रम के दौरान, अहोम समुदाय आध्यात्मिक परंपरा का पालन करते हुए मुझे अलग ही अनुभव हुआ था। लसित मैदाम में अहोम समुदाय के पूर्वजों को सम्मान देने का सौभाग्य मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है. अब चराईदेउ मैदाम के विश्व विरासत स्थल बनने का मतलब होगा कि यहां पर और अधिक पर्यटक आएंगेय आप भी भविष्य की अपनी यात्रा योजनाओं में इस जगह को जरूर शामिल करिएगा.’ Tags: Delhi, Mann Ki Baat, PM ModiFIRST PUBLISHED : July 28, 2024, 12:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed