क्या उधमपुर धमाकों में इस्तेमाल किया गया स्टिकी बम अफगान कनेक्शन बना एजेंसियों के लिए सिरदर्द
क्या उधमपुर धमाकों में इस्तेमाल किया गया स्टिकी बम अफगान कनेक्शन बना एजेंसियों के लिए सिरदर्द
अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाने वाले स्टिकी बम जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों के लिए नया खतरा बन गया है. पुलिस ने संकेत दिया है कि इन बमों का इस्तेमाल उधमपुर ब्लास्ट में किया गया है. गुरुवार सुबह एक स्टैंड पर खड़ी एक बस में हुए विस्फोट से सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया.
हाइलाइट्सस्टिकी बम जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों के लिए नया खतरा बन गया है. यह अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है. पुलिस ने संकेत दिया है कि इन बमों का इस्तेमाल उधमपुर ब्लास्ट में किया गया है.
जम्मू. अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाने वाले स्टिकी बम जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों के लिए नया खतरा बन गया है. पुलिस ने संकेत दिया है कि इन बमों का इस्तेमाल उधमपुर ब्लास्ट में किया गया है. बम विस्फोट केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर के दौरे से ठीक पहले हुआ है. जम्मू-कश्मीर के उधमपुर शहर में गुरुवार सुबह एक स्टैंड पर खड़ी एक बस में हुए विस्फोट से सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया.
गुरुवार तड़के करीब साढ़े पांच बजे हुए विस्फोट से बस की छत और पिछला हिस्सा उड़ गया लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ. वहीं बुधवार की रात डोमेल चौक पर एक पेट्रोल पंप के पास खड़ी एक खाली बस में विस्फोट हो गया, जिसमें दो लोग घायल हो गए. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब स्टिकी बमों का इस्तेमाल किया गया है.
गौरतलब है कि मार्च में जम्मू के कटरा के पास चलती बस में आग लगने से चार लोगों की मौत हो गई थी और 25 घायल हो गए थे. पुलिस को शक था कि आतंकी संगठनों ने श्रद्धालुओं को निशाना बनाने के लिए स्टिकी बम का इस्तेमाल किया था. उधमपुर फल मंडी में भी इसी तरह विस्फोट होने की आशंका जताई जा रही है. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इसी महीने सोपोर में एक हाइब्रिड आतंकवादी के पास से एक स्टिकी बम भी बरामद किया था.
ड्राइवर को ‘स्टिकी बम’ का नहीं चलता है पता
एडीजी स्तर के एक अधिकारी ने up24x7news.com.com को बताया कि इस तरह के हमलों के साथ समस्या यह है कि किसी को पता नहीं चलता कि उनके वाहन पर कुछ चिपका हुआ है. ड्राइवर को तब तक यह पता नहीं चलेगा कि बम रखा गया है या नहीं, जब तक वह वाहन को रोक नहीं लेता और मैन्युअल रूप से इसकी जांच नहीं करता.
स्टिकी बम का पहले भी हो चुका है इस्तेमाल
मई में जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में स्टिकी बम ले जा रहे एक पाकिस्तानी ड्रोन को भारतीय सीमा में पार करने के बाद मार गिराया गया था. ड्रोन अमरनाथ यात्रा में हमले के उद्देश्य से एक प्रमुख आतंकी साजिश का हिस्सा था. इसकी पोर्टेबिलिटी और लगभग 25 डॉलर के उत्पादन में आसानी के कारण पिछले साल तक देश में इस बम का भारी इस्तेमाल किया गया था. फरवरी 2012 में सांबा में इस तरह का बम पाया गया था और इसी तरह का एक बम फरवरी 2012 में इजरायल दूतावास के बाहर हमले में इस्तेमाल किया गया था. जब नई दिल्ली के उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में दूतावास की कार में एक चुंबकीय बम फट गया था.
अफगानिस्तान में खूब हो रहा इसका इस्तेमाल
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल के हफ्तों में कम से कम 10 सरकारी अधिकारी और उनके सहयोगी राजधानी काबुल में स्टिकी बम से मारे गए हैं. न्यूज रिपोर्ट्स का दावा है कि अफगानिस्तान में स्टिकी बमों ने कई लोगों को निशाना बनाया है. इनमें पत्रकार, वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हैं.
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Tags: Bomb Blast, Jammu and kashmir, UdhampurFIRST PUBLISHED : September 29, 2022, 17:29 IST