वायनाड लैंडस्लाइड का अरब सागर कनेक्शन… वैज्ञानिकों ने बताई हादसे की वजह
वायनाड लैंडस्लाइड का अरब सागर कनेक्शन… वैज्ञानिकों ने बताई हादसे की वजह
दो हफ्ते की बारिश के बाद मिट्टी भुरभुरी हो गई है. अभिलाष ने कहा कि सोमवार को अरब सागर में तट पर एक गहरी ‘मेसोस्केल’ क्लाऊड सिस्टम का निर्माण हुआ और इसके कारण वायनाड, कालीकट, मलप्पुरम और कन्नूर में अत्यंत भारी बारिश हुई, जिसके परिणामस्वरूप भूस्खलन हुआ.
हाइलाइट्स वायनाड लैंडस्लाइड हादसे में करीब 100 लोगों की मौत हो गई. मंगलवार सुबह-सुबह अचानक पहाड़ का बड़ा हिस्सा ढह गया. वैज्ञानिकों ने लैंडस्लाइड के पीछे अरब सागर से कनेक्शन के बारे में बताया
नई दिल्ली. केरल के वायनाड में मंगलवार तड़के जो हुआ उसकी किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी. भूस्खलन के चलते अब तक 95 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. राहत और बचाव का काम अब भी जारी है. मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर रात के अंधेरे में क्यों अचानक पहाड़ ढह गया और चारों-तरफ तबाही मच गई. विशेषज्ञों का मानना है कि अरब सागर में तापमान बढ़ने से घने बादल बन रहे हैं, जिसके कारण केरल में कम समय में भारी बारिश हो रही. यही वजह है कि पहाड़ी क्षेत्र में भूस्खलन होने का खतरा बढ़ रहा है.
वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने भूस्खलन पूर्वानुमान तंत्र (Landslide Forecasting System) और जोखिम का सामना कर रही आबादी के लिए सुरक्षित आवासीय इकाइयों के निर्माण पर जोर दिया. कोच्चि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में वायुमंडलीय रडार अनुसंधान आधुनिक केंद्र के निदेशक एस. अभिलाष ने कहा कि सक्रिय मानसूनी अपतटीय निम्न दाब क्षेत्र के कारण कासरगोड, कन्नूर, वायनाड, कालीकट और मलप्पुरम जिलों में भारी वर्षा हो रही है, जिसके कारण पिछले दो सप्ताह से पूरा कोंकण क्षेत्र प्रभावित हो रहा है.
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भुरभुरी हो गई थी मिट्टी…
दो हफ्ते की बारिश के बाद मिट्टी भुरभुरी हो गई है. अभिलाष ने कहा कि सोमवार को अरब सागर में तट पर एक गहरी ‘मेसोस्केल’ क्लाऊड सिस्टम का निर्माण हुआ और इसके कारण वायनाड, कालीकट, मलप्पुरम और कन्नूर में अत्यंत भारी बारिश हुई, जिसके परिणामस्वरूप भूस्खलन हुआ. अभिलाष ने कहा, ‘बादल बहुत घने थे, ठीक वैसे ही जैसे 2019 में केरल में आई बाढ़ के दौरान नजर आये थे.’ उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर बहुत घने बादल बनने की जानकारी मिली है. उन्होंने कहा कि कभी-कभी ये प्रणालियां स्थल क्षेत्र में प्रवेश कर जाती हैं, जैसे कि 2019 में हुआ था. अभिलाष ने कहा, ‘हमारे शोध में पता चला कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर में तापमान बढ़ रहा है, जिससे केरल समेत इस क्षेत्र के ऊपर का वायुमंडल ऊष्मगतिकीय (थर्मोडायनेमिकली) रूप से अस्थिर हो गया है.’
संवहनीय बारिश ने बढ़ाई टेंशन…
वैज्ञानिक ने कहा, ‘घने बादलों के बनने में सहायक यह वायुमंडलीय अस्थिरता जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हुई है. पहले, इस तरह की बारिश आमतौर पर उत्तरी कोंकण क्षेत्र, उत्तरी मंगलुरु में हुआ करती थी.’ वर्ष 2022 में ‘एनपीजे क्लाइमेट एंड एटमॉस्फेरिक साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित अभिलाष और अन्य वैज्ञानिकों के शोध में कहा गया है कि भारत के पश्चिमी तट पर बारिश ज्यादा संवहनीय’’ होती जा रही है. यह तब होती है जब गर्म, नम हवा वायुमंडल में ऊपर उठती है. ऊंचाई बढ़ने पर दबाव कम हो जाता है, जिससे तापमान गिर जाता है.
भूस्खलन आक आकलन बेहद मुश्किल…
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, त्रिशूर, पलक्कड़, कोझीकोड, वायनाड, कन्नूर, मलप्पुरम और एर्नाकुलम जिलों में कई स्वचालित मौसम केंद्रों में 19 सेंटीमीटर से 35 सेंटीमीटर के बीच वर्षा दर्ज की गई. अभिलाष ने कहा, ‘क्षेत्र में आईएमडी के अधिकांश स्वचालित मौसम केंद्रों में 24 घंटों में 24 सेंटीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई. किसानों द्वारा स्थापित कुछ वर्षा मापी केंद्रों पर 30 सेंटीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई.’ मौसम कार्यालय ने कहा कि अगले दो दिन में राज्य के कुछ स्थानों पर बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है. केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने कहा कि मौसम एजेंसियां अत्यधिक भारी वर्षा होने का पूर्वानुमान तो कर सकती हैं, लेकिन भूस्खलन के बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता.
Tags: Arabian Sea, Kerala News, Weather forecastFIRST PUBLISHED : July 30, 2024, 22:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed