भारत का उपराष्ट्रपति: इस पद की भूमिका और महत्व प्रावधान और अतीत के बारे में जानें सबकुछ

सभी की निगाहें उस व्यक्ति पर हैं, जो भारत के अगले उपराष्ट्रपति का पद ग्रहण करेगा. आगामी 10 अगस्त को वर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. नए उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए 6 अगस्त को मतदान होना है. आइए जानते हैं इस पद के बारे में सबकुछ...

भारत का उपराष्ट्रपति: इस पद की भूमिका और महत्व  प्रावधान और अतीत के बारे में जानें सबकुछ
नई दिल्ली: भारत का अगला राष्ट्रपति कौन होगा इसका फैसला 21 जुलाई को हो जाएगा. भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि यशवंत सिन्हा संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी हैं. इस 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होना है. इसके साथ ह अब सभी की निगाहें उस व्यक्ति पर हैं, जो उपराष्ट्रपति का पद ग्रहण करेगा. आगामी 10 अगस्त को वर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. नए उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए 6 अगस्त को मतदान होना है. भाजपा नीत राजग ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि विपक्ष को अभी प्रत्याशी घोषित करना है. उपराष्ट्रपति का कार्यालय भारत की एक अनूठी विशेषता है, जो संसदीय प्रणाली का पालन करता है. राष्ट्रमंडल सहित अन्य दूसरे लोकतांत्रिक देशों में इसका कोई सटीक समानांतर नहीं है. भारत में राष्ट्रपति के बाद दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद उपराष्ट्रपति का है. उपराष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 63 से अपनी शक्तियां प्राप्त करता है, जिसमें कहा गया है कि ‘भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा.’ भारतीय संविधान का अनुच्छेद 64 उपराष्ट्रपति को, ‘राज्य परिषद (राज्य सभा) का पदेन अध्यक्ष’ होने की शक्ति प्रदान करता है. भारत के उपराष्ट्रपति की भूमिका क्या होती है? वास्तव में, ‘वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति दोनों के कर्तव्यों का निर्वहन करता है. 29 दिसम्बर, 1948 को उप-राष्ट्रपति के संबंध में प्रावधान को अंगीकार करते हुए संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष बीआर अम्बेडकर ने इसके निहितार्थों की बात की थी. यद्यपि संविधान उपराष्ट्रपति की बात करता है, वह वास्तव में राज्यों की परिषद (राज्य सभा) के अध्यक्ष हैं. दूसरे शब्दों में, जहां तक ​​उपराष्ट्रपति के कार्यों का संबंध है, वह लोकसभा अध्यक्ष की तरह ही उच्च सदन यानी राज्य सभा संचालित करते हैं. इसके अतिरिक्त, अनुच्छेद 65 के अनुसार राष्ट्रपति की अकास्मात मृत्यु, इस्तीफे या पद से हटने के कारण राष्ट्रपति के कार्यालय में कोई रिक्ति होने की स्थिति में, या उस तारीख तक जब तक एक नया राष्ट्रपति अपने कार्यालय में प्रवेश करता है, भारत का उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर सकता है. अनुच्छेद 64 (2) के तहत, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कार्यों का भी निर्वहन करता है जब राष्ट्रपति ‘अनुपस्थिति, बीमारी या किसी अन्य कारण से’ ऐसा करने में असमर्थ होते हैं. इस तरह के मामले में, उपराष्ट्रपति के पास ‘राष्ट्रपति की सभी शक्तियां होंगी और…वह राष्ट्रपति को मिलने वाले यभी भत्ते और विशेषाधिकारों के हकदार होंगे.’ भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? भारत का कोई भी नागरिक जो कम से कम 35 वर्ष का हो और किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में पंजीकृत मतदाता हो, इस पद के लिए उम्मीदवार हो सकता है. उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए कम से कम 20 सांसदों को नामांकन का प्रस्ताव देना होता है और 20 अन्य सांसदों को इसका समर्थन करना होता है. संविधान के अनुच्छेद 66 (2) के अनुसार, उपराष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन या किसी राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं हो सकता है. जबकि राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों (सांसद) के सदस्य और सभी राज्य विधानसभाओं (विधायकों) के विधायक होते हैं, उपराष्ट्रपति का चयन केवल सांसदों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से सिंगल ट्रांसफरेबल वोट के जरिए किया जाता है. उपराष्ट्रपति के चुनाव में गुप्त मतदान होता है. तो, इस बार लोकसभा में 524 सांसद और राज्यसभा में 237 सदस्य, जिनमें इलैयाराजा, पीटी उषा, विजयेंद्र प्रसाद और वीरेंद्र हेगड़े शामिल हैं, जो हाल ही में उच्च सदन के लिए नामित हुए हैं, उपराष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए मतदान करेंगे. संविधान का अनुच्छेद 67 कहता है कि उपराष्ट्रपति ‘उस तारीख से जिस दिन वह अपना पद ग्रहण करता है, पांच साल की अवधि के लिए पद धारण करेगा.’ हालांकि, उसी प्रावधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति ‘अपने कार्यकाल की समाप्ति के बावजूद’ पद पर बने रह सकते हैं, जब तक कि उनका ‘उत्तराधिकारी अपने कार्यालय में प्रवेश नहीं करता.’ उपराष्ट्रपति अपना पद राष्ट्रपति को त्याग पत्र प्रस्तुत करके मध्यावधि में छोड़ सकते हैं. राज्य सभा में एक प्रस्ताव द्वारा भी उन्हें पद से हटाया जा सकता है. उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का प्रस्ताव राज्य सभा सदस्यों के बहुमत द्वारा पारित होनी चाहिए और इस पर लोक सभा की सहमति भी होनी चाहिए. उपराष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर क्या प्रावधान हैं? संविधान में कोई प्रत्यक्ष प्रावधान नहीं है कि उपराष्ट्रपति के कर्तव्यों का पालन कौन करता है. यदि उसका कार्यकाल समाप्त होने से पहले पद खाली हो जाए, या जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा हो. हालांकि, संविधान में यह प्रावधान है कि यदि राज्य सभा का अध्यक्ष पद रिक्त हो जाता है तो क्या होगा. इसके मुताबिक, उपसभापति या राष्ट्रपति द्वारा अधिकृत राज्य सभा का कोई अन्य सदस्य अध्यक्ष के कर्तव्यों का पालन कर सकता है. भारत के ऐसे उपराष्ट्रपति, जो बाद में राष्ट्रपति बने भारत के पहले उपराष्ट्रपति एस राधाकृष्णन ने 1952 से 1962 तक, दो कार्यकाल में यह पद संभाला. बाद में उन्हें 1962 में राष्ट्रपति के रूप में चुना गया. अन्य उपराष्ट्रपति जो राष्ट्रपति बने, उनमें जाकिर हुसैन (1967-69), वीवी गिरी (69-74), आर वेंकटरमन (87-92), शंकर दयाल शर्मा (92-97) और केआर नारायणन (97-2002) शामिल हैं. एस राधाकृष्णन के बाद हामिद अंसारी; जो 2007 से 2017 तक इस पद पर रहे- उनके बाद दूसरा कार्यकाल पाने वाले एकमात्र उपराष्ट्रपति हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Trending news, Vice President Venkaiah NaiduFIRST PUBLISHED : July 17, 2022, 12:02 IST