मुगल अय्याशी के लिए करते थे मुता विवाह इस्लाम में कितना जायज

Muta Marriage in Islam: मुफ्ती मोहम्मद नदीम आगे बताते हैं कि पुराने जमाने में अगर मुगल या बादशाह लोगों द्वारा मुता विवाह किया गया हो तो, यह उनका अपना जाति मामला था. इससे इस्लाम या कुरान या मुसलमान का कोई ताल्लुक नहीं है. कुरान के पन्नों में भी मुता विवाह का कहीं कोई जिक्र नहीं है.

मुगल अय्याशी के लिए करते थे मुता विवाह इस्लाम में कितना जायज
अलीगढ़ /वसीम अहमद: इतिहास में इस बात का जिक्र कई बार मिलता है कि मुगल जब किसी महिला पर रीझ जाते थे. लेकिन उसे अपनी बेगम या रानी बनाने में किसी तरह की दिक्कत महसूस करते थे तो उससे मुता विवाह कर लेते थे. अक्सर ये विवाह तब होता था, जब मुगल परिवारों में कोई शहजादा या बादशाह दूसरे धर्म की महिला से विवाह करने को लालायित होता था. मोटे तौर पर पर इस विवाह को यौन सुख या आनंद के लिए किया गया अस्थायी विवाह माना जाता था. विवाहिता को कभी पूर्ण बीवी का दर्जा नहीं मिलता था. मुस्लिम समुदाय की बहुत से फिरके इसको मान्यता भी नहीं देते हैं. मसलन, सुन्नी इस शादी को नहीं मानते हैं. आइए जानते हैं इस्लाम के जानकार इस बारे में क्या कहते हैं. जानकारी देते हुए मुफ्ती मोहम्मद नदीम अख्तर बताते हैं कि निकाह-ए-मुता का इस्लाम में कोई कॉन्सेप्ट नहीं है. निकाह ए मुता का मतलब होता है कि कुछ रकम देकर कुछ वक्त के लिए किसी का फायदा उठाना. और ऐसी चीजों की इस्लाम कभी इजाजत नहीं दे सकता. ऐसे विवाह का इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं है. इस विवाह को लेकर लोगों द्वारा अपनी मनगढ़ंत कहानी बनाई हुई है. कुरान में मुता विवाह का नहीं है जिक्र मुफ्ती मोहम्मद नदीम आगे बताते हैं कि इस्लाम में इस तरह की बातों की कोई जगह नहीं है. बल्कि इस्लाम में तो औरतों को बहुत ऊंचा आला दर्जा दिया गया है. पुराने जमाने में अगर मुगल या बादशाह लोगों द्वारा इस तरह का कोई विवाह किया जाता हो तो, यह उनका अपना जाति मामला था. इससे इस्लाम या कुरान या मुसलमान का कोई ताल्लुक नहीं है. हम मुसलमानों के लिए जो गाइडेंस बुक है, वह कुरान है. इसके मुताबिक हम अपना जीवन व्यापन करते हैं. तो कुरान के पन्नों में भी मुता विवाह का कहीं कोई जिक्र नहीं है. इस्लाम में हराम है मुता विवाह अगर इस तरह के विवाह की कोई बात इतिहास में मिलती है, तो यह महज़ मनगढ़ंत कहानी है या मुगल बादशाहों ने अपनी अय्याशी के लिए इस तरह का कोई कार्य किए होंगे. लेकिन, इस तरह के विवाह या इस तरह की चीजों से इस्लाम का कोई लेना देना नहीं है. अगर इस तरह का विवाह कोई करता है तो ये इस्लाम के हिसाब से हराम है. Tags: Aligarh news, Islam religion, Islam tradition, Local18FIRST PUBLISHED : May 27, 2024, 12:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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