तमाम आधुनिकता के बाद भी किन्नर समाज खुद में अनेक रहस्यों में समेटे हुए है. किन्नरों की शारीरिक संरचना, उनका रहन-सहन और रीति-रिवाज को लेकर अधिकांश लोगों के मन में तमाम सवाल तैरते रहते हैं. लोकभारती प्रकाशन से आई शरद द्विवेदी की पुस्तक किन्नर अबूझ रहस्यमय जीवन में इस तरह के तमाम सवालों के जवाब देने का प्रयास किया गया है. प्रस्तुत है पुस्तक का एक अंश-
लैंगिक विकृति किन्नर को आम स्त्री व पुरुष से भिन्न करती है. यही विकृति उनकी पवित्रता का प्रतीक है. इसी कारण किन्नर जन्मजात श्रेष्ठ माने गए हैं. अगर सुबह किसी किन्नर का दर्शन हो जाए तो उस दिन सम्बन्धित व्यक्ति को कोई- न-कोई उपलब्धि जरूर मिलती है. किन्नर का किसी के घर में आगमन अत्यन्त कल्याणकारी होता है. इसी कारण किन्नरों का एक नाम मंगलामुखी यानी सबका मंगल या शुभ करनेवाला भी है. जबकि हिजड़ा का शाब्दिक अर्थ जिसका हृदय हीरे से जड़ा हो. ऐसा व्यक्ति किसी का अहित करना तो दूर गलत भाव भी मन में नहीं रखता. किन्नर हर व्यक्ति के कल्याण की कामना करते हैं. अगर किसी के विवाह या कोई अन्य शुभ अवसर में किन्नर अपना आशीर्वाद देने के लिए आएं तो समझिए उनका जीवन सफल हो गया.
अक्सर देखा जाता है कि शुभ अवसर पर किन्नरों की टोली लोगों के घरों में आकर गाना-बजाना करके पैसा मांगती है. बच्चे के जन्म लेने पर, विवाह समारोह, दुल्हन के घर में आने पर किन्नर बधाई देने जाते हैं. अपनी क्षमता के अनुसार हर कोई किन्नरों को पैसा व उपहार देकर प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. कोई नहीं चाहता कि किन्नर उनके घर से नाराज या निराश होकर लौटें, क्योंकि किन्नर का अपमान करना अशुभ होता है. जबकि जिसके घर से किन्नर खुश होकर निकलते हैं उसे किसी न किसी रूप में शुभ फल प्राप्त होता है. किन्नरों के प्रति यह मान्यता सदियों से चली आ रही है, जिसमें काफी हद तक सच्चाई है. इसका प्रभाव हम अपने आस-पास आसानी से देख सकते हैं. धार्मिक व ज्योतिषीय रूप से देखा जाए तो किन्नर बुध ग्रह के प्रतीक माने जाते हैं.
पराशर ज्योतिष संस्थान प्रयागराज के निदेशक आचार्य विद्याकान्त पांडेय बताते हैं कि नवग्रहों में बुध एक ऐसा ग्रह है जिसे प्राण वायु और प्रकृति की संज्ञा प्राप्त है. बुध ही जीवन और लिंग भेद में अन्तर का कारक ग्रह है. बुध ग्रह नपुंसक माना जाता है. किन्नर भी नपुंसक होते हैं. यही कारण है कि किन्नर को बुध ग्रह के प्रतीक का माना जाता हैं. इसी कारण किन्नरों को बुधवार के दिन दान देने की परम्परा है.
किन्नरों में नकारात्मक ऊर्जा को निष्क्रिय करने की शक्ति ईश्वर ने प्रदान की हुई है. गरुड़ पुराण के अनुसार किन्नर को सूतक नहीं लगता, क्योंकि वे उपदेवता की श्रेणी में आते हैं. किन्नर किसी
को सच्चे मन से आशीर्वाद देते हैं तो वह कभी व्यर्थ नहीं जाता. माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति का बुध ग्रह खराब है, उसे आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ रहा है, तो ऐसे लोगों को किन्नरों की पूजा करके उन्हें दान देना चाहिए. किन्नर को दान करने से व्यक्ति के बुध ग्रह से जुड़े सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
प्रभु श्रीराम से मिला था आशीर्वाद
त्रेतायुग में भगवान श्रीराम अयोध्या छोड़कर जब 14 वर्ष का वनवास काटने के लिए राजमहल से निकले, तब उनके पीछे-पीछे राज्य की प्रजा और किन्नर समुदाय के लोग भी चलने लगे. तमसा नदी के तट पर पहुंचने पर श्रीराम ने सारे नर-नारियों से अयोध्या वापस लौटने का आग्रह किया. श्रीराम के आग्रह पर सभी नर-नारी वापस लौट गए, लेकिन किन्नर तमसा नदी के तट पर 14 वर्ष तक रुके रहे. लंका पर विजय प्राप्त करके माता सीता को लेकर जब श्रीराम वापस अयोध्या लौट रहे थे तब उन्होंने किन्नरों को उसी स्थान पर देखा. किन्नरों को देखकर श्रीराम को आश्चर्य हुआ. वे किन्नरों के पास आए और पूछा, आप लोग यहां से वापस क्यों नहीं गए? तब किन्नरों ने श्रीराम को प्रणाम करके कहा कि आपने नर और नारियों को वापस जाने के लिए बोला था. हम न नर हैं, न ही नारी. हम तो किन्नर हैं, ऐसे में बिना आपकी आज्ञा के कैसे लौटते?
किन्नरों के इस भक्तिभाव से प्रभु श्रीराम काफी प्रसन्न हुए. उन्होंने किन्नरों को वरदान दिया कि उनका आशीर्वाद सदैव फलित होगा. किन्नर हमेशा स्त्री व पुरुष से श्रेष्ठ होंगे. वह मन से जिसे आशीर्वाद देंगे उसके कार्य जरूरत फलित होंगे. अपनी इस खूबी के कारण किन्नर सबके लिए पूज्यनीय व सम्माननीय रहेंगे. तब से किन्नर बच्चे के जन्म, विवाह सहित अन्य शुभ अवसरों पर आम लोगों का कष्ट दूर करने के लिए अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं. यही कारण है कि किन्नरों की दुआ अकाट्य मानी जाती है. यदि किन्नर किसी के ऊपर अपनी दुआ की बरसात कर दें, तो वह व्यक्ति सफलता की डगर सहज ही प्राप्त कर लेता है. अगर किसी को सन्तान नहीं है और किन्नर मन से उसके लिए दुआ कर दें तो उसे सन्तान की प्राप्ति हो जाती है. किसी की नौकरी या व्यावसाय में समस्या है उसके लिए किन्नर दिल से मन्नत कर दें, तो हर दिक्कत का त्वरित निस्तारण हो जाता है. साथ ही व्यक्ति सफलता के पथ पर तेजी से आगे बढ़ता है.
नहीं लेना चाहिए शाप
किन्नर को क्रोध दिलाकर उनका शाप नहीं लेना चाहिए. अगर किन्नर दिल से किसी को शाप देते हैं, तो उस व्यक्ति का अहित हो सकता है. उसे दैहिक-दैविक व भौतिक कष्टों का सामना करना पड़ता है. आचार्य विद्याकान्त पांडेय के अनुसार, धार्मिक मान्यता है कि किन्नर का अपमान करने व मजाक उड़ाने वाले को अगले जन्म में किन्नर बनना पड़ता है. यही कारण है कि बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि किन्नर को खुश ना कर सकें, तो उनका अपमान भी नहीं करना चाहिए. वैसे किन्नर बिना किसी कारण के किसी को शाप नहीं देते हैं. वह हर किसी पर अपनी दुआ व आशीर्वाद ही बरसाते हैं. जब कोई बहुत कष्ट देता है, तभी वह उसके लिए गलत भाव व विचार मन में लाते हैं, अन्यथा सबका हित ही सोचते हैं.
Tags: Gender descriminationFIRST PUBLISHED : June 16, 2024, 19:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed