क्या तिरुपति में सप्लाई होता है अमूल का घी लड्डू विवाद में क्यों कराई FIR
क्या तिरुपति में सप्लाई होता है अमूल का घी लड्डू विवाद में क्यों कराई FIR
तिरुपति लड्डू विवाद: जीसीएमएमएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को अमूल को बदनाम करने के लिए एक्स पर कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.
तिरुपति. आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल होने की बात सामने आने के बाद पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. वहीं अब इस मामले में अमूल भी कूद पड़ा है और उसने भी एक एफआईआर दर्ज करवाई है. यह एफआईआर गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अमूल को बदनाम करने के लिए एक्स पर कुछ सोशल मीडिया यूजर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है.
जीसीएमएमएफ के उप महाप्रबंधक (बिक्री) हेमंत गौनी ने अपनी शिकायत में कहा है कि वह 20 सितंबर को दिल्ली गए थे. जब वह शाम करीब 6:30 बजे अहमदाबाद हवाई अड्डे पर पहुंचे, तो वह सोशल मीडिया साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर स्क्रॉल कर रहे थे, जब उन्होंने देखा कि कई यूजर्स ने पोस्ट किया था कि एक अमूल के प्रोडक्ट में भी पशु वसा के साथ घी दिया जाता है. इस घी का उपयोग तब तिरूपति बालाजी मंदिर में लड्डू बनाने के लिए किया जाता था.
अहमदाबाद के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में गौनी ने दावा किया कि सोशल मीडिया साइट पर पोस्ट अफवाह फैलाकर अमूल ब्रांड के मालिक गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) को बदनाम करने और नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया था.
इन पूर्व हैंडलर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई
पुलिस ने एफआईआर में एक्स हैंडल्स स्पिरिट ऑफ कांग्रेस, बंजारा1991, चंदनएआईपीसी, सेक्युलरबंगाली राहुल_1700′, प्रोफाम सुंदरपद्माजा को आरोपी बनाया है.
अमूल ने ट्वीट कर सफाई दी
अमूल ने ट्विटर पर एक बयान पोस्ट कर सफाई दी. अमूल के बयान में कहा है कि हमने कभी भी तिरूपति मंदिर को अमूल घी की आपूर्ति नहीं की है. अमूल कंपनी ने कहा कि हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि ‘अमूल घी हमारे अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके दूध से बनाया जाता है, जो आईएसओ प्रमाणित है. अमूल घी हाई क्वालिटी वाले शुद्ध दूध वसा से बनाया जाता है. हमारी डेयरियों से प्राप्त दूध की गुणवत्ता की कई स्तरों पर जांच जाती है, जिसमें एफएसएसएआई द्वारा निर्दिष्ट मिलावट की जांच भी शामिल है.
आपको बता दें कि आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिली हुई है. विवाद तब शुरू हुआ जब उनकी पार्टी ने इस दावे के लिए एनडीडीबी की रिपोर्ट को आधार बताया. वहीं, इस घटना का असर पूरे भारत के अन्य मंदिरों पर भी पड़ा है. वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में अधिकारी अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं. प्रशासन ने मंदिर में बनाए जाने वाले लड्डुओं की शुद्धता की जांच शुरू कर दी है। वाराणसी के एसडीएम (सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट) शंभू शरण सिंह ने खुद लड्डुओं को चखा और प्रसाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियमित जांच करने का आदेश दिया.
आंध्र प्रदेश का तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है. पिछले 300 सालों से मंदिर में आने वाले हिंदू भक्तों को खास ‘लड्डू’ प्रसाद के रूप में दिया जा रहा है और इस लड्डू को साल 2014 में जीआई टैग भी मिल चुका है. इसका मतलब है कि तिरुपति तिरुमला के नाम का यह लड्डू सिर्फ आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में ही मिल सकता है. इस मंदिर को तिरुमला मंदिर, तिरुपति मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है. यह मंदिर तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा चलाया जाता है, जो आंध्र प्रदेश सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.
FIRST PUBLISHED : September 23, 2024, 20:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed