LAC पर पस्त चीन ने खोला नया फ्रंट जम्मू में बढ़े आतंकी हमलों के पीछे

बीते करीब डेढ़ साल से जम्मू-कश्मीर के जम्मू रीजन में आतंकवादी हमलों में तेजी देखी गई है. इसको लेकर शीर्ष स्तर पर चिंता जताई जा रही है. इसमें एक चिंता यह है कि कहीं इन हमलों के पीछे चीन तो नहीं जो भारत को एक मोर्चे पर उलझाना चाहता है.

LAC पर पस्त चीन ने खोला नया फ्रंट जम्मू में बढ़े आतंकी हमलों के पीछे
राजन वैद्य एक जनवरी 2023 को जब राजौरी के ढांगरी इलाके में हिंदुओं पर हमला हुआ और सात निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी गई तब से जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद से जुड़ी घटनाएं लगातार हो रही हैं. जम्मू क्षेत्र में रायसी में हिंदू श्रद्धालुओं और विलेज डिफेंस गार्ड्स को भी निशाना बनाया गया. इस तरह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाकिस्तान ने जम्मू क्षेत्र को नया युद्ध का मैदान बना दिया है. इन हमलों के मुख्य कारण कश्मीर में आतंकवादी संगठनों के शीर्ष कमांडरों का खात्मा है. पाकिस्तान नए मोर्चे खोलकर सुरक्षा बलों का ध्यान बांटने की कोशिश कर रहा है. दरअसल, करीब एक दशक पहले जम्मू में हालात सामान्य हो जाने के बाद सुरक्षा बलों ने कुछ आर्मी पोस्ट हटा दिए. इन्हें आतंकवाद से निपटने के लिए उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में स्थापित किए गए थे. इतना ही नहीं गलवान में चीन के साथ संघर्ष के बाद सेना ने बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों को जम्मू से हटाकर पूर्वी लद्दाख में तैनात कर दिया गया. समन्यव का अभाव इलाके में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि के पीछे जम्मू में सुरक्षा बलों में समन्वय और रणनीति की कमी भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. पिछले दिनों कस्तीगढ़ के एक हाई स्कूल में हुए मुठभेड़ में सेना की टीम को कई घंटों तक कोई मदद नहीं मिली. इसी तरह पूंछ जिले में सेना की गाड़ियों पर हमलों के फिराक में बैठे आतंकवादियों के खिलाफ भी सुरक्षा बलों को कार्रवाई करने में देरी हुई. जम्मू में स्थिति सामान्य होने के बाद विलेज डिफेंस गार्ड्स की भूमिका भी कम कर दी गई. इससे आतंकवादियों को अपने पुराने रूट्स पुनर्जीवित करने और नेटवर्क को मजबूत करने का मौका मिल गया. रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार आईएसआई अब उन आतंकवादियों से संपर्क साधने में सफल हो गया जिन्होंने पहले आत्मसमर्पण किया था. विलेज डिफेंस गार्ड्स को मजबूत करना जरूरी है. ताकि वे मदद आने तक दूरदराज के क्षेत्रों में आतंकवादियों को रोक कर रखें. इस बीच सीमा और एलओसी के पार से आतंकवादियों की भारी घुसपैठ देखी गई है. इन आतंकवादियों में पाकिस्तानी सीमा एक्शन टीम और एसएसजी के कमांडो शामिल हैं. आतंकवादियों ने बदली रणनीति जम्मू में आतंकवादी आधुनिक हथियारों और तकनीकों के साथ गुरिल्ला युद्ध की रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं, जैसे कि एम4के कार्बाइन, रात के देखे जा सकने वाले उपकरण, टेलीस्कोप और बॉडी कैम सूट. अब वे पारंपरिक लंबी मुठभेड़ों और फिदाइन हमले की बजाय त्वरित और अप्रत्याशित हमलों को पसंद कर रहे हैं. आतंकवादी स्थानीय गूर्जर और बकरवाल समुदायों को धमका रहे हैं. साथ ही वे पैसे का लालच देकर उनकी मदद भी ले रहे हैं. वे वाई-फाई और मोबाइल हॉटस्पॉट का इस्तेमाल करके एक-दूसरे से संपर्क कर रहे हैं. वे तीन-तीन लोगों के ग्रुप में हैं. जम्मू इलाके में लगभग 55-60 पाकिस्तानी आतंकवादी सक्रिय हैं. जम्मू क्षेत्र आतंकी हमलों में वृद्धि के पीछे चीन की साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता है. जम्मू को नजरअंदाज वर्ष 2008 से जम्मू को नजरअंदाज किया गया. इस कारण बुनियादी सड़क ढांचे और लोकल इंटेलीजेंस में कमी आई है. ऐसी समस्या डोडा जैसे पहाड़ी इलाकों में विशेष रूप से सामने आई है. आतंकवादी वर्ष 2000 के आसपास के पुराने मार्गों को फिर जीवित कर रहे हैं. ये मार्ग अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लेकर कठुआ, बसंतगढ़ और डोडा- किस्तवाड़-रामबन तक फैले हैं. इस इलाके से राष्ट्रीय राइफल्स के लगभग 15,000 सैनिकों की लद्दाख सीमा पर तैनाती ने सुरक्षा गैप पैदा कर दी. इस कारण स्थानीय पुलिस और आर्मी के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो गया. सरकार ने अब 3,000 से अधिक विशेष बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कमांडो को तैनात किया है. चीन की साजिश इसके अलावा ये हमले पाकिस्तान और चीन की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा हैं. भारत इस वक्त दो नहीं बल्कि ढाई मोर्चों पर जंग जैसी स्थिति का सामना कर रहा है. गलवान की घटना के बाद बड़ी संख्या में चीन से लगे विभिन्न मोर्चों पर बड़ी तैनाती करनी पड़ी है. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि चीन की योजना भारत का ध्यान जम्मू में एक छद्म युद्ध की ओर मोड़कर उसको ढाई मोर्चे पर उलझाने की है. भारत पहले से ही पाकिस्तान और चीन दोनों सीमाओं पर चुनौती का सामना कर रहा है. इसलिए इस समस्या का समाधान करने के लिए सटीक रणनीति की आवश्यकता है न कि सीमाओं पर बलों की तैनाती कम करने की. Tags: Jammu kashmir, Pakistan Border, Terror AttackFIRST PUBLISHED : August 1, 2024, 17:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed