गेहूं की कटाई के बाद करें यह खेती बन जाएंगे मालामाल छप्परफाड़ मिलेगा मुनाफा

गेहूं की कटाई के बाद प्रगतिशील युवा किसान कुलदीप सिंह अपने खाली पड़े खेत में तोरई की फसल उगाते हैं. वह पिछले 4 साल से तोरई की खेती कर रहे हैं. जिसमें उन्हें बेहद नाम मात्र की लागत से हजारों रूपयों का मुनाफा होता है.

गेहूं की कटाई के बाद करें यह खेती बन जाएंगे मालामाल छप्परफाड़ मिलेगा मुनाफा
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: गेहूं की कटाई के बाद ज्यादातर किसानों के खेत खाली पड़े रहते हैं. लेकिन अगर इन दिनों में किसान गर्मियों में उगाई जाने वाली सब्जियों की खेती कर लें, तो उनको अच्छा मुनाफा हो सकता है. शाहजहांपुर का एक प्रगतिशील युवा किसान जो अपने खेत में तोरई की फसल उगाता है. इस किसान का कहना है कि बेहद कम लागत में वह तोरई से अच्छा मुनाफा कमा लेता है. शाहजहांपुर के विकासखंड क्षेत्र सिधौली के ढकिया हमीद नगर गांव का कुलदीप सिंह जो अपने खेत में तोरई की फसल उगाता है. कुलदीप का कहना है कि वह दो से तीन महीने में बेहद कम लागत पर अच्छा मुनाफा कमा रहा है. खास बात यह है कि कुलदीप सिंह तोरई की खेती करने में बेहद कम कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं. जिसकी वजह से उनकी तोरई की फसल को बाजार में दाम भी अच्छे मिलते हैं. व्यापारी उनके खेत से ही फसल खरीद कर ले जाते हैं. नर्सरी तैयार कर करते हैं तोरई की खेती कुलदीप सिंह ने बताया कि वह तोरई की नर्सरी तैयार कर उसको खेत में रोपाई करते हैं. नर्सरी तैयार करने के लिए वह सबसे पहले फरवरी के महीने में कोकोपिट, वर्मी क्लाइट या वर्मी कंपोस्ट को मिलाकर छोटे-छोटे पॉलिथीन के बैग में भरते हैं. उसके बाद सर्वाेत्तम क्वालिटी का बीज लाते हैं. वह 5 हजार रुपए प्रति किलो बीज खरीद कर नर्सरी तैयार करते हैं. नर्सरी तैयार कर खेत में लगाने से पौधे जल्दी तैयार हो जाते हैं. उनको फसल भी जल्द मिलने लगती है. कुलदीप तोरई की फसल को तैयार करने के लिए बेहद कम कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं. इसकी वजह से उनकी तोरई स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है. 10 हजार से होगा एक लाख का मुनाफा कुलदीप सिंह ने बताया कि वह चार बीघा खेत में तोरई की खेती कर रहे हैं. तोरई की फसल को तैयार करने में 10 से 12 हजार रुपए की लागत आती है. हालांकि तोरई की फसल तैयार करने में मेहनत भी ज्यादा करनी पड़ती है. कुलदीप ने बताया कि वह अभी तक तोरई की फसल से करीब 50 से 60 हजार रुपए का मुनाफा ले चुके हैं. उनको इस फसल से करीब 1 लाख रुपए की आमदनी होगी. 250 किलो की रोजाना होती है हार्वेस्टिंग कुलदीप ने बताया कि उनके खेत से रोजाना 200 किलो से लेकर 250 किलो तक तोरई की हार्वेस्टिंग हो रही है. उनके खेत से तैयार हुई तोरई को खरीदने के लिए व्यापारी उनके खेत में ही पहुंच जाते हैं. कभी-कभी पास की मंडी में ले जाकर भी तोरई की उपज को बेचते हैं. Tags: Farming, Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 09:25 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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