OBC आयोग के लिए कितना समय चाहिए HC का तेलंगाना की कांग्रेस सरकार को सख्त आदेश
OBC आयोग के लिए कितना समय चाहिए HC का तेलंगाना की कांग्रेस सरकार को सख्त आदेश
तेलंगाना हाईकोर्ट ने काग्रेस की राज्य सरकार से पूछा है कि आपको राज्य में ओबीसी आयोग के गठन में अभी और कितना समय लगेगा? इसके लिए कोर्ट ने सरकार को 27 अगस्त तक का समय दिया है. साथ ही बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कोटा पर राज्यों द्वारा अपनाए जाने वाले ट्रिपल टेस्ट आदेश का पालन करना चाहिए.
हैदराबाद: आरक्षण पर देशभर में बहस जारी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एससी/ एसटी के लिए कोटे के अंदर कोटा देने की बात कही थी. जिसमें राज्य सरकारों को कोटे के भीतर कोटे की अनुमति दी गई है. इसी बीच तेलंगाना हाईकोर्ट ने कांग्रेस सरकार को सख्त निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि 27 अगस्त तक बताए कि पिछड़ी जातियों (बीसी) के लिए आयोग गठित करने में कितना समय लगेगा. इस आयोग के तहत राज्य में पिछड़ेपन की सीमा का आंकलन करने के लिए सर्वेक्षण किया जाएगा.
तेलंगाना की कांग्रेस सरकार को आदेश देने वाले पीठ में मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति जे श्रीनिवास राव शामिल हैं. बेंच ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) और ग्रामीण निकायों जैसे नगर निगमों के चुनावों में पिछड़ी जातियों के लिए श्रेणीवार सीट आरक्षण लागू करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
ट्रिपल टेस्ट जरूरी
तेलंगाना हाईकोर्ट बेंच ने सुप्रीम कोर्ट की तीन जस्टिस वाली पीठ के 4 मार्च, 2021 के फैसले का हवाला दिया है. बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कोटा पर राज्यों द्वारा अपनाए जाने वाले ट्रिपल टेस्ट निर्धारित किए थे, इसलिए तेलंगाना को इस आदेश का पालन करना चाहिए.
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OBC आयोग का गठन करें
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा कि स्थानीय निकायों में पिछड़ी जातियों के लिए सीटें निर्धारित करने से पहले वे पिछड़ी जातियों के लिए आयोग का गठन करें. साथ ही, बेंच ने पिछड़ी जातियों की विभिन्न श्रेणियों की स्थिति पर डेटा प्राप्त करने के लिए सर्वेक्षण का आदेश दे दिया. साथ ही राज्यों से आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए पिछड़ी जातियों को सीटें आवंटित करने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर अपनी मंशा जाहिर कर दी है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि एससी, एसटी और पिछड़ी जातियों के लिए कुल आरक्षण का कोटा 50% से अधिक नहीं होना चाहिए. पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण तय करते समय अब राज्यों को इस बात को ध्यान में रखना होगा. वहीं, एससी और एसटी के लिए निर्धारित कोटा प्रकृति में वैधानिक है.
SC-ST को संविधान ने दिया है आरक्षण
आसान भाषा में समझें कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है अगर आप पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण का प्रतिशत कम किया जा सकता है, लेकिन एससी और एसटी के आरक्षण को कम नहीं किया जा सकता है. इनका हिस्सा संविधान द्वारा तय किया गया है.
Tags: High court, Supreme Court, Telangana, Telangana High CourtFIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 12:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed