पुलिस को कुछ हद तक ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ कानून लागू करने की जरूरत है: सीतलवाड़
पुलिस को कुछ हद तक ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ कानून लागू करने की जरूरत है: सीतलवाड़
उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगों में ‘‘निर्दोष लोगों’’ को फंसाने के लिए कथित तौर पर सबूत गढ़ने के आरोप में गत 25 जून को गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की अंतरिम जमानत शुक्रवार को मंजूर कर ली थी.
हाइलाइट्सतीस्ता सीतलवाड़ गिरफ्तारी के करीब दो महीने से अधिक समय बाद बीते शनिवार को जेल से बाहर आईं. सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने पुलिस की कार्यशैली पर टिप्पणी की.गत 25 जून को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार किया गया था.
अहमदाबाद. सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने सोमवार को कहा कि यदि पुलिस ईमानदारी, निष्पक्षता एवं स्वायत्तता के साथ कानून लागू करने में असफल रहती है और गिरफ्तारी से संबंधित उचित प्रक्रिया का पालन न करके बच निकलती है, तो यह केवल आंदोलनकारियों के लिए नहीं बल्कि, हर किसी के लिए खतरा बन सकती है. सीतलवाड़ ने 2002 के गुजरात दंगा मामलो में ‘‘निर्दोष लोगों’’ को फंसाने के लिए कथित रूप से झूठे सबूत गढ़ने के मामले में यहां साबरमती केंद्रीय कारागार से अंतरिम जमानत पर रिहाई के दो दिन बाद एक निजी समाचार चैनल से कहा, ‘‘हमारे देश में कुछ कानून हैं– इस देश में आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) कानून और अन्य कानून हैं– और इन कानूनों को पुलिस द्वारा कुछ हद तक ईमानदारी और निष्पक्षता एवं स्वायत्तता के साथ लागू किए जाने की आवश्यकता है.’’
उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगों में ‘‘निर्दोष लोगों’’ को फंसाने के लिए कथित तौर पर सबूत गढ़ने के आरोप में गत 25 जून को गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की अंतरिम जमानत शुक्रवार को मंजूर कर ली थी. सीतलवाड़ गिरफ्तारी के करीब दो महीने से अधिक समय बाद शनिवार को जेल से बाहर आईं. सीतलवाड़ ने ट्वीट के जरिए धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में जून में गिरफ्तार किए गए ऑल्ट न्यूज’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर और तथाकथित ‘‘कार्रवाई’’ के दायरे में आए अन्य लोगों का हवाला देते हुए कहा कि यहां सवाल यह है कि क्या पुलिस कार्यपालिका का हाथ नहीं बन रही है.
जुबैर को 2018 में एक हिंदू देवता के बारे में ट्वीट कर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. बाद में उच्चतम न्यायालय ने उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया. सीतलवाड़ ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह वास्तव में काफी चिंताजनक है क्योंकि अगर ऐसी स्थिति है, जिसमें पुलिस उचित प्रक्रिया के बिना गिरफ्तारी करने की आदी हो जाती और इसके बाद बच निकलती है, तो यह कल किसी के लिए भी खतरा हो सकती है. यह कोई व्यापारी हो सकता है, यह कोई भी हो सकता है. इसकी शुरुआत किसी कार्यकर्ता से हो सकती है और यह कोई भी हो सकता है.’’
सीतलवाड़ ने कहा कि संविधान उन लोगों को अधिकार देता है जो महसूस करते हैं कि उनके साथ सरकार द्वारा भेदभाव किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘उस अधिकार को व्यक्ति से नहीं छीना जा सकता.’’ गैर सरकारी संगठन ‘सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस’ (सीजेपी) की संस्थापक न्यासी सीतलवाड़ ने कहा कि देश को यह समझने की जरूरत है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है और किसी को कैद किया जाना आम बात नहीं बन सकती.
उन्होंने कहा , ‘‘उच्चतम न्यायलय ने 11 जुलाई को इस बारे में कड़ा निर्णय पारित किया था कि इस देश में जमानत के मापदंड क्या होने चाहिए. न्यायालय का कहना है कि सत्र अदालत में, उच्च न्यायालय में 2-3 सप्ताह में जमानत की सुनवाई होनी चाहिए. इसे बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है.’’ उन्होंने विचाराधीन कैदियों को विभिन्न भाषाओं में जेल नियामवली उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला ताकि कैदी अपने अधिकारों के बारे में जान सकें. सीतलवाड़ ने अपनी गिरफ्तारी के बारे में बात करते हुए कहा कि उनसे केवल एक बार पूछताछ की गई. उन्होंने कहा कि अहमदाबाद अपराध शाखा में पुलिस हिरासत के दौरान उनसे लगभग चार घंटे पूछताछ हुई थी.
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Tags: Gujarat riot, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : September 05, 2022, 22:51 IST