PMLA के मामलों में भी जमानत नियम है और जेल अपवाद : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कथित करीबी को मनी लॉन्ड्रिंग केस बेल दे दिया. साथ ही जस्टिस गवई और विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हिरासत में आरोपी के बयान को उनके खिलाफ सबूत के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए मामले में जमानत नियम है, जेल सिर्फ अपवाद है.

PMLA के मामलों में भी जमानत नियम है और जेल अपवाद : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) मामले में रांची हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कथित करीबी प्रेम प्रकाश को जमानत दी. साथी ही अपने फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने दोहराते हुए कहा कि PMLA मामलों में भी जमानत नियम है और जेल की सजा तो सिर्फ अपवाद है. गौरतलब है कि मनीष सिसोदिया को जमानत देने के फैसले में भी इसी नियम का पालन किया था. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने आदेश में ये भी कहा कि PMLA के तहत हिरासत के दौरान कोई आरोपी जांच अधिकारी या जांच एजेंसी के सामने कोई अपराध स्वीकार करता या उससे संबंधी बयान देता है तो उसे अदालत में सबूत नहीं माना जा सकता है. इसे केस दर केस देखा जाएगा. असली रंग द‍िखाने लगा बांग्‍लादेश, पहले बाढ़ को लेकर फैलाया झूठ, अब वीजा सेंटर में घुसी भीड़, लगाए भारत विरोधी नारे इकबालिया बयान सबूत के तौर पर नहीं होगा पेश सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर ये माना जाता है कि PMLA के तहत जांच एजेंसी के सामने हिरासत में दिए गए आरोपी के इकबालिया बयान को बतौर सबूत माना जाता था. लेकिन, हम उस पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम (पूर्व में भारतीय साक्ष्य अधिनियम) की धारा 25 के तहत प्रतिबंध लगाते हैं. यानी कि आरोपी के हिरासत में दिए गए इकबालिया बयान को उसके ही खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. जीवन के अधिकार का हिस्सा जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने साफ कहा है कि PMLA के सेक्शन 45 के तहत जमानत के लिए दोहरी शर्तों का मतलब ये कतई नहीं है कि आरोपी को जमानत दी ही नहीं जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि किसी भी आरोपी की व्यक्तिगत आजादी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले जीवन के अधिकार का हिस्सा है. उचित कानूनी प्रकिया का पालन करके ही इसे छीना जा सकता है. SC ने उदाहरण पेश किया सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है. PMLA के सेक्शन 45 की दोहरी शर्तों को वजह बताकर आरोपियों को जमानत मिलना लगभग नामुमकिन हो जाता है. लेकिन, अब देश को सर्वोच्च अदालत के इस फैसले को PMLA के मामलों में उदाहरण बनाकर पेश किया जाएगा. Tags: CM Hemant Soren, Jharkhand New, Money Laundering, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 28, 2024, 13:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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