CJI की बेंच को लेना था सेम सेक्स मैरिज पर फैसला पर अदालत में क्यों टला मामला
CJI की बेंच को लेना था सेम सेक्स मैरिज पर फैसला पर अदालत में क्यों टला मामला
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट चेंबर में सेम सेक्स मैरिज याचिका पर होने वाली सुनवाई इसलिए टल गई, क्योंकि जस्टिस संजीव खन्ना ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. अब सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ नई बेंच बनाएंगे. बता दें कि समलैंगिक विवाह पर निर्णय की समीक्षा संबंधी याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था.
नई दिल्ली: समलैंगिक विवाह से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट को आज फैसला करना था कि याचिका पर सुनवाई हो या नहीं. मगर उससे पहले ही एक बड़ा अपडेट सामने आ गया. सुप्रीम कोर्ट आज यानी 10 जुलाई को अपने पिछले साल के उस फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर विचार करने वाला था, जिसमें समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया गया था. सुप्री कोर्ट को यह फैसला लेना था कि सुनवाई की जाए या नहीं, मगर आज की सुनवाई टल गई. सुप्रीम कोर्ट चेंबर में होने वाली यह सुनवाई इसलिए टल गई, क्योंकि जस्टिस संजीव खन्ना ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. अब सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ नई बेंच बनाएंगे. बता दें कि समलैंगिक विवाह पर निर्णय की समीक्षा संबंधी याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था.
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ पिछले वर्ष 17 अक्टूबर के फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं पर अपने कक्ष में विचार करने वाली थी. परम्परा के अनुसार, पुनर्विचार याचिकाओं पर न्यायाधीशों द्वारा अपने कक्ष में विचार किया जाता है. मगर बीते दिनों खुली अदालत में सुनवाई की मांग की गई थी. जिसे अदालत ने इनकार कर दिया था. इस बेंच में प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ के अलावा पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति हिमा कोहली, न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा थे. मगर अब इसमें से संजीव खन्ना ने खुद को अलग कर लिया.
पिछले साल मिला था झटका
दरअसल, समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष 17 अक्टूबर को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था. उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कानून द्वारा मान्यता प्राप्त विवाहों को छोड़कर विवाह करने का कोई भी दूसरा तरीका विधिक तौर पर उचित नहीं है. इसके साथ ही न्यायालय ने कहा था कि इस बारे में कानून बनाने का काम संसद का है. सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि, समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकारों और उनकी सुरक्षा को मान्यता दी और आम जनता को इस संबंध में संवेदनशील होने का आह्वान किया था ताकि उन्हें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़े.
सिंघवी ने क्या मांग की
सीनियर अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और एन के कौल ने मंगलवार को इस मामले का उल्लेख किया था और प्रधान न्यायाधीश से खुली अदालत में पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई करने का आग्रह किया. कौल ने न्यायालय से कहा, ‘मेरा कहना है कि क्या इन याचिकाओं की खुली अदालत में सुनवाई की जा सकती है…’ इस पर प्रधान न्यायाधीश ने उनसे कहा कि ये संविधान पीठ द्वारा समीक्षा किये जाने वाले मामले हैं, जिन्हें कक्ष (चैम्बर) में सूचीबद्ध किया गया है. परंपरा के अनुसार, पुनर्विचार याचिकाओं पर न्यायाधीशों द्वारा कक्ष में विचार किया जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया था
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर चार अलग-अलग फैसले सुनाए थे. सभी पांच न्यायाधीश विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने को लेकर एकमत थे. पीठ ने कहा था कि इस तरह के संबंध को वैध बनाने के लिए कानून में बदलाव करना संसद के अधिकार क्षेत्र में है.
Tags: DY Chandrachud, Same Sex Marriage, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : July 10, 2024, 14:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed