EWS Quota: सुप्रीम कोर्ट ने दी सामान्य वर्ग को बड़ी राहत जानें मामले से जुड़ी 5 खास बातें
EWS Quota: सुप्रीम कोर्ट ने दी सामान्य वर्ग को बड़ी राहत जानें मामले से जुड़ी 5 खास बातें
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सामान्य वर्ग को बड़ी राहत दी. कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था को संवैधानिक माना है. बता दें, साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षणके लिए संविधान में 103वां संशोधन किया था. इस संशोधन के खिलाफ 40 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थीं. सभी में मांग की गई थी कि इस संशोधन को असंवैधानिक माना जाए. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने 3:2 के बहुमत से ईडब्ल्यूएस कोटा को बरकरार रखा.
हाइलाइट्ससुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग को दी बड़ी राहत3:2 रेशियो से ईडब्ल्यूएस कोटा को बरकरार रखा2019 में सरकार ने किया था कानून में संशोधन
नई दिल्ली. आरक्षण को लेकर बड़ी खबर है. सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था को संवैधानिक माना है. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने 3:2 के बहुमत से ईडब्ल्यूएस कोटा को बरकरार रखा. इस मामले में चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस. रवींद्र भट, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने सुनवाई की और फैसला सुनाया. जस्टिस माहेश्वरी, जस्टिस त्रिवेदी और जस्टिस पारदीवाला ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण का समर्थन किया. जबकि, चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट इसके खिलाफ रहे.
गौरतलब है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षणके लिए संविधान में 103वां संशोधन किया था. इस संशोधन के खिलाफ 40 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थीं. सभी में मांग की गई थी कि इस संशोधन को असंवैधानिक माना जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर लंबी सुनवाई के बाद 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. पांच जजों की पीठ ने 7 नवंबर, 2022 को मामले में अपना फैसला पढ़ा. पहले 3 जजों ने ईडब्ल्यूएस कोटा को संवैधानिक माना, जिससे 103वें संविधान संशोधन की वैधता पर मुहर लग गई.
मामले से जुड़ी 5 खास बातें ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच चीफ जस्टिस यूयू ललित जस्टिस एस. रवींद्र भट, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी, जस्टिस जेबी पारदीवाला ने की. जस्टिस माहेश्वरी, जस्टिस त्रिवेदी और जस्टिस पारदीवाला ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण का समर्थन किया है, जबकि चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट इसके खिलाफ रहे. इस तरह सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने 3:2 के बहुमत से ईडब्ल्यूएस कोटा को बरकरार रखा जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने कहा- ईडब्ल्यूएस कोटा संविधान के मूल ढांचे को न तो नुकसान पहुंचाता है और न ही मौजूदा आरक्षण संविधान के कानूनों का उल्लंघन करता है. यह समानता संहिता का भी उल्लंघन नहीं करता है जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने कहा इसे संविधान का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता. आजादी के 75 साल बाद हमें समाज के हितों के लिए आरक्षण की व्यवस्था पर फिर से विचार करने की जरूरत है. मैं 103वें संविधान संशोधन की वैधता को बरकरार रखती हूं. जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा आरक्षण को निहित स्वार्थ नहीं बनने देना चाहिए. संविधान के 103वें संशोधन की वैधता को बरकरार रखते हुए मैंने सोचा कि आरक्षण का पालन करना सामाजिक न्याय को सुरक्षित रखना है. जस्टिस एस. रवींद्र भट ने कहा एससी, एसटी और ओबीसी के गरीब लोगों को ईडब्ल्यूएस आरक्षण से बाहर करना भेदभावपूर्ण है. 103वां संविधान संशोधन सामाजिक न्याय के ताने-बाने को कमजोर करता है. इस तरह यह संविधान के बुनियादी ढांचे को कमजोर करता है. इसलिए हम ईडब्ल्यूएस कोटा के लिए 103वें संविधान संशोधन को असंवैधानिक मानते हैं.
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Tags: Reservation news, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : November 07, 2022, 15:51 IST