एमपी में कार्तिकेय का एकमात्र मंदिर : 450 साल पुराने इस देवस्थान के सिर्फ कार्तिक पूर्णिमा पर खुलते हैं पट
एमपी में कार्तिकेय का एकमात्र मंदिर : 450 साल पुराने इस देवस्थान के सिर्फ कार्तिक पूर्णिमा पर खुलते हैं पट
ग्वालियर- 450 साल प्राचीन कार्तिकेय मंदिर..- साल में सिर्फ कार्तिक पूर्णिमा को ही दर्शन देते है भगवान कार्तिकेय...- किवदंती है- पूर्णिमा के अलावा अन्य दिन कार्तिकेय भगवान दर्शन करने वाली महिलाएं विधवा हो जाती है। तो दर्शन करने वाला पुरुष 7 जन्मों तक नरक में जाता है।
धर्ग्वामलियर. देवों के सेनापति माने जाने भगवान कार्तिकेय का ग्वालियर में 450 साल पुराना अनोखा मंदिर है. साल में कार्तिक पूर्णिमा के दिन 24 घंटे के लिए इस मंदिर के पट खुलते हैं. किवदंती के है कि गणेश जी के प्रथम पूज्य देव बनने के बाद कार्तिकेय नाराज हो गए थे. किसी को दर्शन न देने की सौगंध खा ली, लेकिन माता पार्वती के समझाने पर भगवान कार्तिकेय साल में एक बार अपने जन्मदिन के मौके कार्तिक पूर्णिमा पर दर्शन देने के लिए राज़ी हुए. यही वजह है कि ग्वालियर का ये मंदिर कार्तिक पूर्णिमा पर ही खुलता है.
एक अंधविश्वास ये भी है कि पूर्णिमा के अलावा अन्य दिन कार्तिकेय भगवान दर्शन करने वाली महिलाएं विधवा हो जाती हैं और दर्शन करने वाला पुरुष 7 जन्मों तक नरक में जाता है.
कार्तिकेय मंदिर के पट खुले….
ग्वालियर के जीवाजीगंज में ये प्रदेश का इकलौते कार्तिकेय स्वामी मंदिर स्थित है. इसके पट आज सुबह से 24 घंटे के लिए खुल गए. सोमवार सुबह से ही यहां भक्तों का सैलाब उमड़ने लगा. 450 साल पुराना कार्तिकेय मंदिर वर्ष में एक बार कार्तिक पूर्णिमा को ही खुलता है. कार्तिकेय के साथ इस मंदिर में हनुमान, गंगा, जमुना, सरस्वती और लक्ष्मीनारायण आदि मंदिर हैं.
4 बजे से भक्तों का मेला
12 बजे के बाद मंदिर के पट खुलने के बाद पुजारी ने मंदिर की साफ-सफाई की. इसके बाद कार्तिकेय का श्रृंगार और अभिषेक किया. 4 बजे से मंदिर के बाहर जुटे श्रद्धालुओं को अंदर आने की अनुमति दे दी गई. खास मौके पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. यहां आने वाले भक्त मानते हैं भगवान कार्तिकेय के दरबार में आने वालों की मन्नत पूरी होती है. यही वजह है कि सालभर भक्तों को कार्तिक पूर्णिमा का इंतजार रहता है. कार्तिकेय के दर्शन करने से घरों में खुशहाली और सुख-शांति साल भर बनी रहती है.
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सिर्फ 24 घंटे खुलेंगे पट
कार्तिकेय भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र हैं. जब भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय से कहा था कि जो भी तीनों लोक की परिक्रमा करके सबसे पहले हमारे पास आएगा, उसकी पूजा सबसे पहले मानी जाएगी. उसे संसार में प्रथम पूज्य देवता का दर्जा मिलेगा. इस पर कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर तीनों लोकों की परिक्रमा करने निकल पड़े. लेकिन शिवजी के छोटे पुत्र गणेश ने माता-पिता की परिक्रमा लगाई और कहा कि मेरी परिक्रमा पूरी हो गई, माता पार्वती ने कहा कैसे, तो भगवान गणेश ने कहा माता-पिता में तीनों लोक समाहित होते हैं. गणेशजी की बुद्धिमता से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि उनकी पूजा सभी देवी देवताओं से पहले होगी. तब से भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाने लगा.
कार्तिकेय का श्राप
कार्तिकेय ने तीनों लोक की परिक्रमा पूरी की और वापस लौटे तो देखा गणेश की प्रथम पूज्य देवता के रूप में जय जयकार हो रही है. सभी ने उन्हें प्रथम पूज्य भगवान मान लिया. इस पर कार्तिकेय माता पार्वती से नाराज हो गए और खुद को गुफा में बंद कर किसी को दर्शन न देने की शपथ ले ली. श्राप दिया कि जो महिला उनके दर्शन करेगी विधवा हो जाएगी. पुरुष 7 जन्म नरक में जाएंगे. इस पर भगवान शिव और माता पार्वती ने उन्हें समझाया. जब कार्तिकेय का गुस्सा शांत हुआ तो उनको पछतावा भी हुआ. माता पार्वती ने उन्हें साल में एक दिन दर्शन देने के लिए मना लिया. तब कार्तिकेय ने कहा वो अपने जन्मदिवस कार्तिक पूर्णिमा के दिन भक्तों को दर्शन देंगे. इस पर भगवान शिव ने वरदान दिया कि कार्तिक के जन्मदिन यानी कार्तिक पूर्णिमा पर कार्तिकेय के दर्शन करने से भक्तों की सभी मन्नतें पूरी होंगी. इसलिए ग्वालियर का ये मंदिर साल में एक दिन के लिए खुलता है.
देश में कार्तिकेय के सिर्फ 4 मंदिर
1- ग्वालियर का कार्तिक स्वामी मंदिर-साल में एक बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन 24 घंटे के लिए खुलता है.
2- उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में कार्तिकेय मंदिर
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में रुद्रप्रयाग-पोखरी मार्ग पर कनक चौरी गांव के पास 3050 मीटर की ऊंचाई पर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है कार्तिक स्वामी मंदिर.
3-हरियाणा के कुरुक्षेत्र में कार्तिकेय मंदिर
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के पिहोवा में स्थित है कुमार कार्तिकेय मंदिर. इस मंदिर में महिलाएं परिसर में आ तो जाती हैं लेकिन उन्हें मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश की इजाजत नहीं है. मंदिर में बाकायदा बोर्ड में इस बात का उल्लेख किया गया है. इसके पीछे किवदंती है कि यदि किसी महिला ने कार्तिकेय महाराज की पिंडी के दर्शन किए तो वह सात जन्मों तक विधवा रहती है.
4-तमिलनाडु के पलनी में है कार्तिक स्वामी मंदिर
कार्तिकेय को दक्षिण भारत में मुरुगन कहा जाता है. कार्तिकेय का सबसे विशाल व प्रसिद्ध मंदिर भी दक्षिण भारत में है. तमिलनाडु के डिंडिगुल जिले के पलनी शहर में मुरुगन स्वामी का मंदिर है. ये मंदिर 560 फ़ीट ऊंचे शिवगिरि पर्वत पर बना है.
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Tags: Gwalior news, Madhya pradesh latest newsFIRST PUBLISHED : November 07, 2022, 15:46 IST