वन रैंक-वन पेंशन के खिलाफ पुनर्विचार याचिका खारिज SC ने कहा- फैसले में कोई कमी नहीं

सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने कहा कि हमारे फैसले में न तो कोई संवैधानिक कमी है और न ही यह मनमाना है. हमने पुनर्विचार याचिका और इससे जुड़े दस्तावेजों को ध्यान से देखा है. हमें समीक्षा याचिका में कोई दम नहीं दिखा, इसलिए पुनर्विचार याचिका को खारिज किया जाता है.

वन रैंक-वन पेंशन के खिलाफ पुनर्विचार याचिका खारिज SC ने कहा- फैसले में कोई कमी नहीं
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने उस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है जो केंद्र सरकार द्वारा 2015 में अपनाई गई वन रैंक-वन पेंशन (OROP) पॉलिसी को बरकरार रखने के उसके फैसले के संबंध में दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस फैसले में न तो कोई संवैधानिक कमी है और न ही यह मनमाना है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिका में कोई दम नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘खुली अदालत में समीक्षा याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए अनुरोध को खारिज किया जाता है. हमने पुनर्विचार याचिका और इससे जुड़े दस्तावेजों को ध्यान से देखा है. हमें समीक्षा याचिका में कोई दम नहीं दिखा और उसी के अनुसार इसे खारिज किया जाता है.’’ न्यायालय ने केंद्र द्वारा अपनाए गए ‘वन रैंक-वन पेंशन’ सिद्धांत को 16 मार्च को अपने फैसले में बरकरार रखा था. न्यायालय ने कहा था कि भगत सिंह कोश्यारी समिति की रिपोर्ट 10 दिसंबर 2011 को राज्यसभा में पेश की गई थी और यह ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, मांग का कारण, संसदीय समिति के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती है. समिति की रिपोर्ट में सशस्त्र बलों से संबंधित कर्मियों के लिए ओआरओपी को अपनाने का प्रस्ताव किया गया था. न्यायालय ने कहा कि रिपोर्ट को सरकारी नीति के एक बयान के रूप में नहीं माना जा सकता है. तीनों सेनाओं के प्रमुखों को 7 नवंबर 2015 को सरकार की तरफ से जारी पत्र में ओआरओपी को समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक में सेवानिवृत्त होने वाले सशस्त्र सेवा कर्मियों को एकजैसी पेंशन के रूप में परिभाषित किया गया है, चाहे सेवानिवृत्ति की तारीख कुछ भी हो. कहा गया है कि समय-समय पर वर्तमान और पिछले पेंशनभोगियों की पेंशन की दर के बीच बनी खाई को इससे पाटा जा सकेगा. याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि ओआरओपी पॉलिसी को लागू करते समय समान सेवा अवधि वाले कर्मचारियों के लिए ‘वन रैंक मल्टीपल पेंशन’ से बदल दिया गया है. अब पेंशन की दरों में स्वत: संशोधन के बजाय समय-समय पर संशोधन किया जाएगा. केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि केंद्र ने वन रैंक, वन पेंशन व्यवस्था तैयार करते हुए समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक वाले रक्षा कर्मियों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया गया है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Indian army, Pensioners, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : July 29, 2022, 15:02 IST