न्यूड वीडियो बनाने वाले को बेल से सुप्रीम इनकार फिर पोर्शे वाले पर क्यों रहम

उत्तराखंड के एक स्कूल में पढ़ने वाले नाबालिग छात्र पर 14 साल की क्लासमेट का अश्लील वीडियो सर्कुलेट करने का आरोप है. इस वीडियो से हुई बदमानी की वजह से लड़की ने आत्महत्या कर ली थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस आरोपी को जमानत से इनकार कर दिया है. पुणे में पोर्शे कार से कुचलकर 2 लोगों की जान लेने के आरोपी नाबालिग को तुरंत जमानत मिलने के बाद इस फैसले को नजीर के रूप में देखा जा रहा है.

न्यूड वीडियो बनाने वाले को बेल से सुप्रीम इनकार फिर पोर्शे वाले पर क्यों रहम
नई दिल्ली. पुणे में तेज रफ्तार पोर्शे कार से दो लोगों की कुचलकर जान लेने वाले नाबालिग को जमानत देने पर तमाम जगहों से नाराजगी देखने को मिल रही है. इस बीच उत्तराखंड के एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को नजीर के तौर देखा रहा है. कोर्ट ने गंभीर अपराध के आरोपी बच्चों को कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है. दरअसल उत्तराखंड के एक स्कूल में पढ़ने वाले इस नाबालिग छात्र पर 14 साल की क्लासमेट का अश्लील वीडियो सर्कुलेट करने का आरोप है. इस वीडियो से हुई बदमानी की वजह से बच्ची ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी. यह भी पढ़ें- 54 साल का बुजुर्ग 13 साल की लड़की को बना रहा था हवस का शिकार, छोटे भाई ने रोका तो चट्टान से फेंक दिया नीचे उत्तराखंड के स्कूल में हुए अश्लील वीडियो कांड में इस साल 10 जनवरी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड हरिद्वार ने ‘कानून का उल्लंघन करने वाले लड़के’ की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इस लड़के पर आईपीसी की धारा 305 और 509 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 13 और 14 के तहत मामला दर्ज किया गया था. जुवेनाइल बोर्ड से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सबका एक फैसला जुवेनाइल बोर्ड के फैसले को हाईकोर्ट की तरफ से बरकरार रखे जाने के बाद आरोपी लड़के ने अपनी मां के जरिये सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. यहां सीनियर वकील लोक पाल सिंह ने अदालत में दलील दी कि बच्चे के माता-पिता उनकी देखभाल करने के लिए तैयार हैं. उसे बाल सुधार गृह में नहीं रखा जाना चाहिए और उसकी हिरासत उसकी मां को दी जानी चाहिए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले की जांच करते हुए लड़के को जमानत देने से इनकार करने के फैसले को सही पाया. यह भी पढ़ें- ढाई करोड़ की पोर्शे, 45 हजार में खरीदा पसंदीदा नंबर, फिर 1758 रुपये के चलते बिना नंबर के दौड़ती रही कार बता दें कि हाई कोर्ट ने भी इस लड़के को जमानत देने से इनकार करते हुए लड़के को ‘गैर अनुशासित बच्चा’ कहा था. यह मामला वैसे तो उत्तराखंड का है, लेकिन पुणे के रईस बिल्डर के बेटे को जमानत दिए जाने की खबर के बाद सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सुर्खियों में है. इस अदालत के इस फैसले से एक नजीर पेश हुई है कि कानून तोड़ने वाले बच्चों को अपराध की गंभीर देखते हुए जमनात नहीं दी जानी चाहिए. पुणे वाले ‘शहजादे’ के बेल पर सवाल पुणे में अपनी महंगी पोर्शे कार से 2 लोगों को कुचलने के आरोपी इस नाबालिग लड़के को जुवेनाइल कोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दे दी थी कि उसे 15 दिनों के लिए ट्रैफिक वालों के साथ काम करना होगा. इसके अलावा उसे ‘हादसे पर एक निबंध लिखने’ के लिए कहा है और ऐसे डॉक्टर से इलाज कराने का निर्देश दिया है, जो उसे शराब छोड़ने में मदद कर सके. इसके अलावा उसे ‘साइकेट्रिस्ट से सलाह’ लेकर उसकी रिपोर्ट अदालत में जमा करने का निर्देश दिया गया है. बोर्ड के इस आदेश पर पूरे देश में खासी नाराजगी देखी गई. इस मामले में फिर पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए आरोपी लड़के के बिल्डर पिता और उसे शराब परोसने वाले पब पर भी ताला जड़ दिया. Tags: Pune news, Road accident, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : May 22, 2024, 11:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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