Opinion: जरुरी है साइबर ठगी के विरुद्ध ऐसी ही सख्त कार्रवाई

ठगों की कहानी देश में बचपन से ही सुनने को मिलती रहती थी. इसका मकसद शायद हमें सतर्क करना था. लेकिन जब से साइबर क्राइम का दौर चला है तब से बड़ी घटना हो जाने के बाद उसी की कहानी सुनने को मिलती है. राजस्थान पुलिस ने ऑपरेशन एंटी वायरस चला कर इन ठगों के विरुद्ध एक बड़ी और प्रभावी मुहिम चलाई है. देश के दूसरे हिस्सों में भी ऐसी कार्रवाई की तुरंत जरुरत है.

Opinion: जरुरी है साइबर ठगी के विरुद्ध ऐसी ही सख्त कार्रवाई
हाइलाइट्स साइबर ठगों का नेटवर्क बढ़ता ही जा रहा है लगातार ठगी के नए तरीके खोज रहे हैं साइबर फ्रॉड साइबर क्राइम भारत में एक महामारी का रूप धर चुका है. मिलने जुलने वाले किसी व्यक्ति से बात कीजिए तो उसके पास साइबर ठगी की कोई न कोई कहानी है. हैरानी की बात ये है कि लूट का ये धंधा फल फूल रहा है. यहां तक की लखनऊ के एक बैंक मैनेजर को भी ठगों ने साइबर चमत्कार दिखाकर करोड़ों की ठगी कर ली. डिजिटल अरेस्ट के मामले भी खूब सामने आ रहे हैं. इन सबके बीच राजस्थान पुलिस ने ऑपरेशन एंटी वायरस चलाकर मेवात इलाके में पूरे गिरोह और उसके नेटवर्क का पर्दाफाश किया और उन्हें उनकी जगह तक पहुंचा दिया. राजस्थान पुलिस की ये कार्रवाई काबिलेतारीफ है. इसकी कमान भरतपुर रेंज के आईजी राहुल प्रकाश के हाथों में थी. दरअसल, राजस्थान और हरियाणा का मेवात इलाका इस हिस्से का सुपर जामताड़ा है. एक अनुमान है कि यहां के ठगों ने दुनिया भर से 7 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की उगाही अलग अलग तरीकों से की है. साइबर ठगों के रूप अनेक सबसे पहले यहां समझ लेना जरुरी है कि साइबर ठगी सिर्फ आपके खाते से रुपये उड़ा लेना भर नहीं है. ये रूप बदल लेने वाले दैत्य की तरह है. आपके सामने किसी भी रूप में आ सकती है. हां, इसमें संचार के आधुनिक तौर तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है. ये दरअसल, इस ठगने वाले को प्रभावित करने वाला कोई भी तरीका हो सकता है. फोन, ई-मेल या फिर सोशल मीडिया के दूसरे प्लेटफार्म. किसी को लड़की दिखाकर जाल में फंसा लिया जाता है. इसे एक अलग नाम सेक्सटॉर्शन कहा जा रहा है, लेकिन इसे भी साइबर फ्राड से अलग नहीं मानना चाहिए. बच्चों के नाम पर शिकार ठगों के लिए सबसे आसान और ज्यादातर कोशिशों में सफल होने वाली व्यवस्था वो हैं, जिसमें भावनाएं भी जुड़ी हों और किसी तरह से सेक्सटॉर्शन का मसला भी. भुक्तभोगियों से जुड़े एक व्यक्ति ने एक कहानी बताई. किसी घरेलू महिला को फोन आया कि आपका बेटा रेप के मामले में फंस गया है. तमाम और भूमिकाएं बांधने के साथ ही फोन करने वाले आखिरकार 50 हजार रुपये में मामला रफा दफा करने का प्रस्ताव रखा. बेटे की सलामती और घर की इज्जत के आगे 50 हजार रुपये की क्या वकत है. बहरहाल, एक व्यक्ति के लिए ये 50 हजार रुपये का मसला है. लेकिन ठगों के लिए तो ये रोजाना 50 हजार रुपये की लूट है. ऑनलाइन खरीददारी करने वाले आसान निशाना दूसरा सबसे आसान तरीका सामने आ रहा है कि ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को ये ठग निशाना बनाते हैं. अक्सर वे कोई सामान लेकर दोपहर के समय जब घर में पुरुष सदस्यों के होने की संभावना कम ही होती है, घर में पहुंच जाते हैं. महिलाओं को कोई सामान देते हैं कि ये आपने कोई सामान ऑर्डर किया था. जाहिर है महिला इनकार करेगी. हील हुज्जत करके असली जैसा पोज करने के बाद वे कहते हैं आपके फोन पर ओटीपी आया होगा, सामान वापसी के लिए. महिला ने जल्दबाजी में ओटीपी दे दिया तो उनका काम बन गया. बड़े आराम से वे उस महिला के अकाउंट पर झाड़ू फेर देते हैं. बैंक के मैनेजर साहब भी बने शिकार हैरान करने वाला एक मामला तो लखनऊ का बताया जा रहा है. वहां ठगों ने मेल और फोन करके एक बैंक मैनेजर को भरोसे में लेकर बैंक का 120 करोड़ रुपया लूट लिया. बताया जा रहा है कि ठगों ने छुट्टी पर गए बैंक मैनेजर को लालच दिया कि वे लोग एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से हैं और बैंक में 120 करोड़ रुपये की एफडी कराना चाहते हैं. भरोसा बढ़ाने के लिए ऑफिशियल दिख रहे ईमेल से भी संदेश दिया. खाता खुलवाया लिया. पैसे भी दे दिए. फिर धीरे धीरे बैंक को बड़ा चूना लगा गए. ये भी पढ़ें : सवाल रिजल्ट का नहीं, बच्चों के भविष्य और भरोसे का है, नंबर के खेल में जिंदगी लग रही दांव पर डिजिटल अरेस्ट की बला साइबर ठगों का एक हथियार डिजिटल अरेस्ट भी के नाम से सामने आया है. इसमें वे किसी को किसी बड़े मामले में लिप्त बताकर उसे अरेस्ट ही कर लेते हैं. लेकिन शिकार के घर में ही. उनके कहने पर शिकार बना व्यक्ति अपने मोबाइल के आगे अपने ही घर में मुजरिम जैसा व्यवहार करने लगता है. मानसिक रूप से उसे तोड़कर ठग लाखों और कई मामलों में करोड़ों वसूल लेते हैं. जबकि भारत में सुरक्षा एजेंसियां डिजिटली कोई जांच करती ही नहीं. मतलब उन्हें पूछताछ करना होता है तो वे व्यक्ति को थाने बुलाते हैं या फिर उस वक्ति तक एजेंसी की टीम जाती है. फिर भी रोजाना इस तरह की घटनाएं देश भर में सामने आ रही है. आंकड़ों की कहानी साइबर ठगी के बारे में कुछ बहुत ही रोचक आंकड़े सामने आए हैं. एक सर्वे में बताया गया है कि साइबर फ्रॉड के 10 में से 6 लोग शिकायत करने की जहमत ही नहीं उठाते. कारण चाहे जो भी हो, लेकिन हैरान करने वाली ये संख्या हकीकत है. इस लिहाज से जरुरी है कि किसी के साथ कोई फ्रॉड होता है तो वो शिकायत जरूर करे. एक आंकड़ा ये भी कहता है कि देशभर में तकरीबन आधी आबादी यानी 46 फीसदी लोग ठगी के शिकार हो चुके हैं. नकदी ठगी की बात की जाय तो एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक साल 23-24 में ठगी के मामले डेढ सौ फीसदी से ज्यादा बढ़े हैं. साथ ही इसमें कुल 14 हजार करोड़ रुपये ठगों ने उड़ा लिए हैं. …तो सबसे पहले अपने कान चेक कर लीजिए राजस्थान पुलिस का साइबर ठगों के विरुद्ध ये कार्रवाई बहुत महत्वपूर्ण है. दूसरे राज्यों में भी इस तरह की कार्रवाई लगातार होनी चाहिए. झारखंड के जामताड़ा में हुई पुलिस की कार्रवाई और उस पर बनी वेब सीरीज बहुतों को याद ही होगी. ऐसा ही ऑपरेशन दूसरे राज्यों को भी पूरी ताकत से चलाना चाहिए. दूसरी अहम बात ये है कि आधुनिक संचार साधनों के बाद भी हमें अपनी पुरानी कहावत पर भरोसा करना जरुरी है. हमारी पुरानी मान्यता रही है कि कोई कहे कि कौव्वा कान ले गया तो कान पहले देख ही लेना चाहिए. फिर कौव्वे के पीछे दौड़ना चाहिए. Tags: Cyber Crime, Cyber Fraud, Cyber thugsFIRST PUBLISHED : June 21, 2024, 17:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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