फैशन डिजाइनिंग करने के बाद यूपी की लड़की ने शुरू किया ये स्टार्टअप अब घर-घर
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बलिया : बंजर जमीन पर खेती करना हमेशा से ही किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन अब बांस की खेती ने इस चुनौती को एक अवसर में बदल दिया है. विशेषज्ञों के अनुसार, बंजर या कम उपजाऊ जमीन पर बांस की खेती करके किसान अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं. बांस की खेती में निवेश की तुलना में मुनाफा बहुत अधिक होता है, और इसे एक स्थायी और लाभदायक कृषि विकल्प माना जा रहा है.
मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के एचओडी प्रो. अशोक कुमार सिंह के अनुसार वैसे बहुत से लोगों को लगता है की बांस एक पेड़ है. लेकिन विज्ञान के हिसाब से बांस एक पेड़ नहीं एक घास है. 1927 के इंडियन फॉरेस्ट एक्ट के मुताबिक बांस को एक पेड़ माना गया था. परंतु इंडियन फॉरेस्ट एक्ट में संशोधन 2017 में कर दिया गया था. अब कानूनी दृष्टि से भी बांस एक घास है. बांस का विकास की दर प्रतिदिन 5 सेमी से लेकर 40 सेमी तक होती है. ऐसा कहा जाता है कि बांस दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ने वाले घास हैं.
पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद
प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि बांस एक ऐसा पौधा है जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी पनप सकता है. इसे बहुत कम पानी और देखभाल की आवश्यकता होती है, जिससे यह बंजर या कम उपजाऊ जमीन पर भी आसानी से उगाया जा सकता है. इसके अलावा, बांस की जड़ें मिट्टी को मजबूती प्रदान करती हैं, जिससे मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद मिलती है. यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है और इसकी मांग भी बाजार में लगातार बनी रहती है.
लागत से होगा 10 गुना तक मुनाफा
प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि बांस की खेती में शुरुआती निवेश बेहद कम होता है, और एक बार फसल उगाने के बाद यह 50 सालों तक लगातार उपज देता है. बांस का पौधा तीन से चार साल में पूरी तरह से परिपक्व हो जाता है, और इसके बाद किसान को नियमित रूप से मुनाफा मिलना शुरू हो जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसान इस खेती में सही तरीके से निवेश करते हैं, तो उन्हें अपनी लागत का 10 गुना तक लाभ मिल सकता है.
बांस की खेती में इन बातों का रखें खास ध्यान
प्रो. अशोक कुमार सिंह के अनुसार, हालांकि बांस की खेती सरल है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है. इसकी खेती में सिंचाई और देखरेख की आवश्यकता न के बराबर पड़ती है. सही किस्म का चयन करना और पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखना महत्वपूर्ण है. इसके अलावा, शुरुआती वर्षों में नियमित सिंचाई और खाद का उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए. बांस की कटाई भी सही समय पर करनी चाहिए, जिससे इसकी गुणवत्ता बनी रहे.
दुनिया में बढ़ रही बांस की मांग
प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि बांस की मांग विभिन्न उद्योगों में लगातार बढ़ रही है. इसका उपयोग फर्नीचर, कागज, निर्माण सामग्री, और हैंडीक्राफ्ट उत्पादों में किया जाता है. इसके अलावा, बांस से बने उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी भारी मांग है, जिससे किसानों को बेहतर दाम मिल सकते हैं. यही नहीं इसके नए नए ताजे निकलने वाले कोपले का आचार, मुरब्बा और सब्जी भी बड़ी स्वादिष्ट बनाई जाती है.
बनेगा स्थाई आय का जरिया
प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि बंजर जमीन पर बांस की खेती न केवल किसानों के लिए एक स्थायी आय का स्रोत बन सकती है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. विशेषज्ञों की सलाह मानकर और सही तकनीकों का उपयोग करके किसान इस खेती से अधिकतम लाभ उठा सकते हैं.
Tags: Agriculture, Ballia news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 12:37 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed