मछली पालन करके किसान की बदल गई तकदीर! हर साल हो रही 5-6 लाख की कमाई

लोकल 18 से बात करते हुए तेज बहादुर बताते हैं, कि वह बीते 35 वर्षों से अपनी तीन एकड़ जमीन पर तालाब बनाकर मछली पालन का काम कर रहे हैं. इस काम में सालाना लगभग 90 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक लागत आती है. तो वहीं सालाना 5 से 6 लाख रुपए तक आसानी से कमाई हो जाती है.

मछली पालन करके किसान की बदल गई तकदीर! हर साल हो रही 5-6 लाख की कमाई
सौरभ वर्मा/ रायबरेली : मछली पालन लोगों का प्रमुख व्यवसाय बनता जा रहा है. लोग मछली पालन करके मोटी कमाई कर रहे हैं. क्योंकि बाजारों में मछलियों की मांग बढ़ती जा रही है. जिससे मछली पालकों को अधिक मुनाफा हो रहा है. इसी कड़ी में रायबरेली जिले के बछरावां कस्बे के रहने वाले तेज बहादुर ने भी मछली पालन से अपनी तकदीर बदल दी. वह मछली पालन करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. तेज बहादुर के मुताबिक वह पहले परंपरागत फसलों धान, गेहूं की खेती करते थे. जिससे उन्हें ज्यादा कमाई नहीं होती थी. उनके परिवार का भरण पोषण भी अच्छे से नहीं हो पा रहा था. तो उन्होंने सोचा क्यों न कोई नया काम शुरू किया जाए. जिससे कम लागत में अच्छा मुनाफा मिल सके. इसी सोच को आगे बढ़ाते  हुए उन्होंने मत्स्य विभाग रायबरेली से संपर्क कर मछली पालन के बारे में जानकारी हासिल की. वहां से जानकारी मिलने के बाद उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन पर तालाब बना कर मछली पालन का काम शुरू कर दिया. जिससे उन्हें अब अच्छा मुनाफा मिल रहा है. तीन एकड़ जमीन पर कर रहे मछली पालन लोकल 18 से बात करते हुए तेज बहादुर बताते हैं, कि वह बीते 35 वर्षों से अपनी तीन एकड़ जमीन पर तालाब बनाकर मछली पालन का काम कर रहे हैं. इस काम में सालाना लगभग 90 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक लागत आती है. तो वहीं सालाना 5 से 6 लाख रुपए तक आसानी से कमाई हो जाती है. वह मछलियों के बच्चे को मत्स्य विभाग से लेते हैं एवं तालाब में तैयार मछलियों को लखनऊ, गोरखपुर की बाजारों में बिक्री के लिए भेजते हैं. चार प्रकार की मछलियों का करते हैं पालन तेज बहादुर बताते हैं कि वह उन्हें मछलियों का पालन करते हैं जिनकी बाजारों में अधिक मांग रहती है. वह मुख्य रूप से रोहू कतला ,चाइना गोल्ड, ग्रास कटर, जैसी मछलियों का पालन करते हैं .क्योंकि यह प्रजातियां उन्नत किस्म की प्रजाति मानी जाती है .साथ ही यह सभी प्रकार की जलवायु में आसानी से रह लेती हैं .आगे की जानकारी देते हुए वह बताते हैं,कि वह मछलियों के लिए आहार के रूप में मछली दाना, पशु आहार ,सरसों की खली का प्रयोग करते हैं. पक्षियों एवं जानवरों से बचाव के लिए है खास व्यवस्था तालाब के चारों ओर एवं ऊपर उन्होंने जाल बना रखा है.जिससे कि बाहरी जीव जंतु एवं पक्षी मछलियों को नुकसान न पहुंचा पाए.साथ ही कोई भी बाहरी व्यक्ति तालाब में कचरा ना फेंकने पाए. इसकी निगरानी वह स्वयं करते हैं. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : August 21, 2024, 15:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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